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विश्व गौरैया दिवस 2024: करनाल की सत्या फाउंडेशन ने उठाया गौरैया चिड़िया को बचाने का बीड़ा, जानें क्यों विलुप्त हो रहा ये पक्षी

World Sparrow Day 2024: हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है. इसका मकसद विलुप्त होती गौरैया चिड़िया को बचाना है. बढ़ते शहर और बदलती जीवन शैली के चलते गौरैया चिड़िया विलुप्त होने की कगार पर है.

World Sparrow Day 2024
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Mar 20, 2024, 4:05 PM IST

विश्व गौरैया दिवस 2024: करनाल की सत्या फाउंडेशन ने उठाया गौरैया चिड़िया को बचाने का बीड़ा

करनाल: घर के आंगन में चहचहाने वाली और फुदकने वाली नन्ही सी गौरैया चिड़िया आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. करनाल की पक्षी प्रेमी सत्या फाउंडेशन ने इस चिड़िया को बचाने की मुहिम चलाई है. करनाल की सत्या फाउंडेशन के सदस्य गौरैया के अस्तित्व को बचाने को लेकर समर्पित हैं. वो शहर और आस-पास के क्षेत्र में पाई जाने वाली गौरैया प्रजाति की चिड़िया के संरक्षण में लगे हैं.

World Sparrow Day 2024
कॉलोनी वासी चिड़िया के लिए खाने और पीने के पानी का इंतजाम करते हैं.

सत्या फाउंडेशन ने करनाल के श्यामनगर में करीब एक हजार से अधिक घर चिड़िया के लिए बनाए हैं. यहां आपको विलुप्त होती गौरैया चिड़िया आसानी से देखने को मिल जाएगी. इस क्षेत्र को अब गौरैया एन्क्लेव और चिड़ियों का मोहल्ला नाम से जाना जाने लगा है. बताया जा रहा कि तीन गौरैया चिड़िया के साथ इस मुहिम की शुरुआत की गई थी. अब इन चिड़ियाओं की संख्या बढ़कर तीन हजार से ज्यादा हो चुकी है.

World Sparrow Day 2024
सत्या फाउंडेशन ने चिड़िया के करीब 1200 घोंसले लगाए हैं.

गौरैया चिड़िया को बचाने की मुहिम: सत्या फाउंडेशन के सदस्य संदीप जैन ने बताया कि 6 साल से वो इस मुहिम के तहत गौरैया चिड़िया को बचाने का काम कर रहे हैं. संस्था अब तक 1200 से अधिक मजबूत लक्कड़ी के घोंसले बनावा कर, अनेक जगह पर लगवा चुकी है. संस्था द्वारा विश्व गौरैया दिवस पर पार्कों, मंदिर, हाईवे आदि पर 1100 से अधिक घोंसले को आमजन को निशुल्क वितरित किया गया.

World Sparrow Day 2024
सत्या फाउंडेशन ने करनाल के श्यामनगर में चिड़िया के घोंसले बनाए हैं.

6 साल पहले शुरू की अनोखी पहल: संदीप जैन ने कहा कि शाम-नगर करनाल में 6 साल पहले कुछ आशियाने बनाकर गौरैया को आमंत्रित करने का फैसला किया. उन्होंने गौरैया के लिए पुराने डिब्बों को काटकर 5 घोंसले लगाए. थोड़े ही दिनों में सभी घोसलों में चीं-चीं की आवाज गूंजायमान हो रही थी. इसके बाद लकड़ी के करीब 950 से अधिक घोंसले घरों के आगे लगाए, जिनमें चिड़िया रहने के लिए आई. गौरैया को खाने की दिक्कत ना हो, इसे देखते हुए बर्ड फीडर बनाकर उनमें एक-एक महीने का मिक्स दाना रखा गया. जिसे गौरैया अधिक पसंद करती हैं. अब तो लोग घोंसले मांगते हैं, ताकि उनके आंगन में भी चिड़ियों की आवाज गूंजे.

World Sparrow Day 2024
विलुप्त होने की कगार पर गौरैया चिड़िया

क्यों गायब हो रही गौरैया चिड़िया? सत्या फाउंडेशन के सदस्य संदीप जैन ने बताया कि फसलों में कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करने से गौरैया पक्षी का जीवन खत्म हो रहा है. शहरों का बेतरतीब विकास, घटते पेड़, घटती हरियाली और कंक्रीट के बढ़ते जंगलों की वजह से गौरैया चिड़िया खत्म होने की कगार पर है. संदीप जैन ने कहा कि कई लोग और संस्थाएं गौरैया चिड़िया को बचाने में जुटी हैं. उन्होंने उम्मीद जताई की सभी के प्रयासों से वो गौरैया चिड़िया को बचाने में कामयाब हो पाएंगे.

ये भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर: वुलर झील में 30,000 प्रवासी पक्षियों ने डेरा डाला, देखें वीडियो

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विश्व गौरैया दिवस 2024: करनाल की सत्या फाउंडेशन ने उठाया गौरैया चिड़िया को बचाने का बीड़ा

करनाल: घर के आंगन में चहचहाने वाली और फुदकने वाली नन्ही सी गौरैया चिड़िया आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. करनाल की पक्षी प्रेमी सत्या फाउंडेशन ने इस चिड़िया को बचाने की मुहिम चलाई है. करनाल की सत्या फाउंडेशन के सदस्य गौरैया के अस्तित्व को बचाने को लेकर समर्पित हैं. वो शहर और आस-पास के क्षेत्र में पाई जाने वाली गौरैया प्रजाति की चिड़िया के संरक्षण में लगे हैं.

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कॉलोनी वासी चिड़िया के लिए खाने और पीने के पानी का इंतजाम करते हैं.

सत्या फाउंडेशन ने करनाल के श्यामनगर में करीब एक हजार से अधिक घर चिड़िया के लिए बनाए हैं. यहां आपको विलुप्त होती गौरैया चिड़िया आसानी से देखने को मिल जाएगी. इस क्षेत्र को अब गौरैया एन्क्लेव और चिड़ियों का मोहल्ला नाम से जाना जाने लगा है. बताया जा रहा कि तीन गौरैया चिड़िया के साथ इस मुहिम की शुरुआत की गई थी. अब इन चिड़ियाओं की संख्या बढ़कर तीन हजार से ज्यादा हो चुकी है.

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सत्या फाउंडेशन ने चिड़िया के करीब 1200 घोंसले लगाए हैं.

गौरैया चिड़िया को बचाने की मुहिम: सत्या फाउंडेशन के सदस्य संदीप जैन ने बताया कि 6 साल से वो इस मुहिम के तहत गौरैया चिड़िया को बचाने का काम कर रहे हैं. संस्था अब तक 1200 से अधिक मजबूत लक्कड़ी के घोंसले बनावा कर, अनेक जगह पर लगवा चुकी है. संस्था द्वारा विश्व गौरैया दिवस पर पार्कों, मंदिर, हाईवे आदि पर 1100 से अधिक घोंसले को आमजन को निशुल्क वितरित किया गया.

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सत्या फाउंडेशन ने करनाल के श्यामनगर में चिड़िया के घोंसले बनाए हैं.

6 साल पहले शुरू की अनोखी पहल: संदीप जैन ने कहा कि शाम-नगर करनाल में 6 साल पहले कुछ आशियाने बनाकर गौरैया को आमंत्रित करने का फैसला किया. उन्होंने गौरैया के लिए पुराने डिब्बों को काटकर 5 घोंसले लगाए. थोड़े ही दिनों में सभी घोसलों में चीं-चीं की आवाज गूंजायमान हो रही थी. इसके बाद लकड़ी के करीब 950 से अधिक घोंसले घरों के आगे लगाए, जिनमें चिड़िया रहने के लिए आई. गौरैया को खाने की दिक्कत ना हो, इसे देखते हुए बर्ड फीडर बनाकर उनमें एक-एक महीने का मिक्स दाना रखा गया. जिसे गौरैया अधिक पसंद करती हैं. अब तो लोग घोंसले मांगते हैं, ताकि उनके आंगन में भी चिड़ियों की आवाज गूंजे.

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विलुप्त होने की कगार पर गौरैया चिड़िया

क्यों गायब हो रही गौरैया चिड़िया? सत्या फाउंडेशन के सदस्य संदीप जैन ने बताया कि फसलों में कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करने से गौरैया पक्षी का जीवन खत्म हो रहा है. शहरों का बेतरतीब विकास, घटते पेड़, घटती हरियाली और कंक्रीट के बढ़ते जंगलों की वजह से गौरैया चिड़िया खत्म होने की कगार पर है. संदीप जैन ने कहा कि कई लोग और संस्थाएं गौरैया चिड़िया को बचाने में जुटी हैं. उन्होंने उम्मीद जताई की सभी के प्रयासों से वो गौरैया चिड़िया को बचाने में कामयाब हो पाएंगे.

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