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ब्रेस्टफीडिंग से ब्रेस्ट कैंसर का टलता है खतरा, बच्चा भी रहता है हेल्दी - World Breastfeeding Week 2024

अगस्त के महीने में विश्व स्तनपान सप्ताह सेलिब्रेट किया जा रहा है. इस दौरान ब्रेस्टफीडिंग से मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर कैसा प्रभाव पड़ता है. इसकी जानकारी लोगों को दी जा रही है, ताकि लोग ब्रेस्टफीडिंग के महत्व को समझ सकें. सरगुजा की डॉक्टर अविनाशी कुजूर के मुताबिक ब्रेस फीडिंग से ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क कम होता है. डॉक्टर ने यह भी बताया कि जो महिलाएं ब्रेस्ट फीडिंग करती है उनका बच्चा हेल्दी होता है.

WORLD BREASTFEEDING WEEK 2024
विश्व स्तनपान सप्ताह 2024 (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 2, 2024, 10:57 AM IST

Updated : Aug 2, 2024, 3:34 PM IST

विश्व स्तनपान सप्ताह (ETV Bharat)

सरगुजा: पूरे विश्व में विश्व स्तनपान सप्ताह 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मनाया जा रहा है. ब्रेस्टफीडिंग वीक के जरिए स्तनपान के प्रति नई मां को जागरूक करने के साथ ही इसके फायदे बताए जाते हैं. नवजात बच्चे के लिए मां का दूध अमृत समान माना जाता है, लेकिन बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि स्तनपान से महिलाओं के स्तन कैंसर का खतरा टल जाता है. इसके अलावा भी कई बीमारियों का खतरा टल जाता है.

नई पीढ़ी की महिलाएं नहीं करना चाहती ब्रेस्ट फीडिंग: नई पीढ़ी की महिलाएं बदलते वक्त के साथ अपने बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग कराने से पीछे हट रहीं हैं. कई बार फिजिक के बिगड़ने की चिंता में महिलएं अपने बच्चों को स्तनपान नहीं कराती है. बच्चा भी मदर मिल्क के बदले फार्मूलेटेड मिल्क पीकर बड़ा होता है, लेकिन शायद ही आप जानते होंगे कि इससे न सिर्फ बच्चे के सेहत को बड़ा नुकसान होता है बल्कि मां को भी इससे खतरा होता है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अविनाशी कुजूर ने ETV भारत के जरिए महिलाओं को स्तनपान के फायदे बताए हैं.

ब्रेस्ट कैंसर का टलता है खतरा: डॉ अविनाशी कुजूर ने बताया कि, "भारत में ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में अगर हम बात करें स्तनपान की तो ये जितना शिशु के लिए जरूरी है, उतना ही मां के लिए भी जरूरी है, क्योंकि स्तनपान कराने से ब्रेस्ट कैंसर होने की सभांवना काफी हद तक कम हो जाती है. मां के स्तनपान कराने से ब्रेस्ट कैंसर की संभावना कम हो जाती है. ब्रेस्ट फीडिंग कराने से प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली डायबिटीज ठीक जाती है. मोटापा कम होता है. बीपी की समस्या नहीं होती है. स्तनपान कराने से कई अन्य बीमारियों से महिलाएं बच जाती है."

"जब तक मां स्तनपान नहीं कराएगी, तब तक बच्चे से वो अटैच नहीं होगी. ये जितना मेडिकली जरूरी है, उतना ही इमोशनली भी जरूरी है. क्योंकि बच्चा उस स्पर्श को याद रखता है. स्तनपान कराने से मां और बच्चे के बीच में बॉन्डिंग होती है. माताओं में प्रेग्नेंसी के बाद डिप्रेशन के मामले देखे जाते हैं. मानसिक तनाव की स्थिति देखी जाती है, लेकिन जब मां स्तनपान कराती है तो एक सिक्योरिटी मां और बच्चे दोनों को महसूस होती है. ये मां के मेंटल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होता है." -डॉ अविनाशी कुजूर, विभागाध्यक्ष, स्त्री रोग विभाग

ऐसे में साफ है कि स्तनपान जितना महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है उतना ही बच्चों के लिए भी. स्तनपान से महिला और शिशु दोनों का हेल्थ प्रभावित होता है. साथ ही दोनों को कई बीमारियों से स्तनपान बचाता है.

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विश्व स्तनपान सप्ताह (ETV Bharat)

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नई पीढ़ी की महिलाएं नहीं करना चाहती ब्रेस्ट फीडिंग: नई पीढ़ी की महिलाएं बदलते वक्त के साथ अपने बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग कराने से पीछे हट रहीं हैं. कई बार फिजिक के बिगड़ने की चिंता में महिलएं अपने बच्चों को स्तनपान नहीं कराती है. बच्चा भी मदर मिल्क के बदले फार्मूलेटेड मिल्क पीकर बड़ा होता है, लेकिन शायद ही आप जानते होंगे कि इससे न सिर्फ बच्चे के सेहत को बड़ा नुकसान होता है बल्कि मां को भी इससे खतरा होता है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अविनाशी कुजूर ने ETV भारत के जरिए महिलाओं को स्तनपान के फायदे बताए हैं.

ब्रेस्ट कैंसर का टलता है खतरा: डॉ अविनाशी कुजूर ने बताया कि, "भारत में ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में अगर हम बात करें स्तनपान की तो ये जितना शिशु के लिए जरूरी है, उतना ही मां के लिए भी जरूरी है, क्योंकि स्तनपान कराने से ब्रेस्ट कैंसर होने की सभांवना काफी हद तक कम हो जाती है. मां के स्तनपान कराने से ब्रेस्ट कैंसर की संभावना कम हो जाती है. ब्रेस्ट फीडिंग कराने से प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली डायबिटीज ठीक जाती है. मोटापा कम होता है. बीपी की समस्या नहीं होती है. स्तनपान कराने से कई अन्य बीमारियों से महिलाएं बच जाती है."

"जब तक मां स्तनपान नहीं कराएगी, तब तक बच्चे से वो अटैच नहीं होगी. ये जितना मेडिकली जरूरी है, उतना ही इमोशनली भी जरूरी है. क्योंकि बच्चा उस स्पर्श को याद रखता है. स्तनपान कराने से मां और बच्चे के बीच में बॉन्डिंग होती है. माताओं में प्रेग्नेंसी के बाद डिप्रेशन के मामले देखे जाते हैं. मानसिक तनाव की स्थिति देखी जाती है, लेकिन जब मां स्तनपान कराती है तो एक सिक्योरिटी मां और बच्चे दोनों को महसूस होती है. ये मां के मेंटल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होता है." -डॉ अविनाशी कुजूर, विभागाध्यक्ष, स्त्री रोग विभाग

ऐसे में साफ है कि स्तनपान जितना महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है उतना ही बच्चों के लिए भी. स्तनपान से महिला और शिशु दोनों का हेल्थ प्रभावित होता है. साथ ही दोनों को कई बीमारियों से स्तनपान बचाता है.

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Last Updated : Aug 2, 2024, 3:34 PM IST
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