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ये शहर कहलाता है 'रक्तदान की राजधानी' दूसरों की जिंदगी बचाने का यहां है अनूठा जज्बा - WORLD Blood Donor Day

World Blood Donation Day रक्तदान महादान, जी हां इंसान अपने खून की बूंदों का इसलिए दान करता है, ताकि किसी दूसरे इंसान की जिंदगी बचाई जा सके. रक्तदान केवल दान ही नहीं, बल्कि इंसानियत का जीता जागता प्रमाण है. इस दान के लिए जाति, धर्म या वर्ग का भेद नहीं देखा जाता, बल्कि मानवीय संवेदना को इंसानियत के रूप से समझा जाता है. आज विश्व रक्तदाता दिवस के मौके पर देखिए हमारी यह खास रिपोर्ट.

विश्व रक्तदाता दिवस
विश्व रक्तदाता दिवस (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 14, 2024, 6:56 PM IST

विश्व रक्तदाता दिवस. (ETV Bharat deedwana)

डीडवाना. जन्मदिन पर आपने लोगों को मिठाइयां बांटते देखा होगा. किसी पुण्यतिथि पर दान-पुण्य करते हुए देखा होगा. अपनी खुशी का इजहार करने के लिए दोस्तों के साथ पार्टी करते हुए भी काफी लोगों को देखा होगा, लेकिन आज हम आपको उस शहर में लेकर जा रहे हैं, जहां ऐसे मौकों पर लोग रक्तदान करते हैं और बचाते हैं कई जिंदगियां, इसीलिए इस शहर को कहा जाता है रक्तदान की राजधानी. जी हां, हम बात कर रहे हैं "रक्तदान की राजधानी" कहे जाने वाले डीडवाना शहर की. जनसंख्या की दृष्टि से डीडवाना शहर ज्यादा बड़ा नहीं है, लेकिन यहां के लोगों का दिल बहुत बड़ा है, क्योंकि यहां के लोग दिल खोलकर रक्तदान करते हैं. यहां लोग मौका तलाशते हैं रक्तदान करने का. यही वजह है कि यहां के ब्लड बैंक से अगर आप ब्लड लेना चाहते हैं, तो बदले में आपको रिप्लेसमेंट की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां पहले से दानदाताओं की भरमार है, जो जिले की तीन चौथाई जनसंख्या की रक्त की जरूरत को भी पूरा करते हैं.

इसलिए कहते हैं रक्तदान की राजधानी : डीडवाना में रक्तदान का जज्बा लोगों के लिए जुनून बन गया है. कहीं भी रक्तदान शिविर हो, सभी जाति और धर्म के लोग रक्तदान करने पहुंच जाते हैं और अपने लहू से इंसानियत की अटूट डोर बांध रहे हैं. रक्तदान के मामले में डीडवाना पूरे राजस्थान में पहले पायदान पर है. डीडवाना में हर साल औसतन 50 रक्तदान शिविर लगते हैं, जिनमें 3000 यूनिट से भी ज्यादा रक्त का संग्रहण किया जाता है. रक्तदान करने में शहर की कई स्वयंसेवी और सामाजिक संस्थाएं अग्रिम पंक्ति में रहती हैं, तो वहीं अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के जन्मदिन के मौके पर रक्तदान करने का चलन भी बढ़ा है. इसके अलावा दिवंगत साथियों और रिश्तेदारों की याद में भी रक्तदान शिविरों में बढ़ोतरी हुई है. इसी जज्बे और हौसले के कारण डीडवाना को "रक्तदान की राजधानी" कहा जाता है.

इसे भी पढ़ें- मिलिए उदयपुर के रक्तवीर से, 102 बार डोनेट कर चुके बल्ड, बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड - Blood Donor Family

डॉ सोहन चौधरी का प्रयास : यह जागरूकता अचानक नहीं आई. कुछ साल पहले तक रक्तदान के प्रति लोगों में भ्रांतियां थी और लोग रक्तदान करने से कतराते थे. मगर रक्तदान को अभियान बनाने के पीछे एक व्यक्ति की पॉजिटिव सोच का नतीजा है, जिसने लोगों को रक्तदान के लिए इस कदर प्रेरित किया कि आज लोग स्वेच्छा से रक्तदान करने आते हैं. वो शख्स हैं डॉ सोहन चौधरी. डॉक्टर चौधरी पेशे से चिकित्सक हैं और मारवाड़ हॉस्पिटल के निदेशक भी हैं. वे लंबे समय से सामाजिक सेवा के कार्यों में सक्रिय हैं. उन्होंने रक्तदान को अपना मिशन बना लिया है. उन्होंने लोगों में रक्तदान की भ्रांतियां दूर की और लगातार लोगों को प्रोत्साहित किया और जागरूक किया.

डॉ चौधरी के प्रयास से धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता आई और आज स्थिति यह है कि डीडवाना में नियमित रूप से रक्तदान करने वालों की संख्या 2000 के पार पहुंच चुकी है. यह वे लोग हैं, जो नियमित रूप से रक्तदान करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर लोगों को रक्त उपलब्ध करवाते हैं. डॉक्टर सोहन चौधरी अब तक लगभग 225 से अधिक रक्तदान शिविर के भागीदार बन चुके हैं और लगभग 18,000 यूनिट से अधिक रक्तदान करवा चुके हैं. डॉक्टर सोहन चौधरी की प्रेरणा से लोग रक्तदान का महत्व समझने लगे, जिससे यह कारवां बढ़ता हुआ लाल क्रांति में तब्दील हो गया है.

विश्व रक्तदाता दिवस. (ETV Bharat deedwana)

डीडवाना. जन्मदिन पर आपने लोगों को मिठाइयां बांटते देखा होगा. किसी पुण्यतिथि पर दान-पुण्य करते हुए देखा होगा. अपनी खुशी का इजहार करने के लिए दोस्तों के साथ पार्टी करते हुए भी काफी लोगों को देखा होगा, लेकिन आज हम आपको उस शहर में लेकर जा रहे हैं, जहां ऐसे मौकों पर लोग रक्तदान करते हैं और बचाते हैं कई जिंदगियां, इसीलिए इस शहर को कहा जाता है रक्तदान की राजधानी. जी हां, हम बात कर रहे हैं "रक्तदान की राजधानी" कहे जाने वाले डीडवाना शहर की. जनसंख्या की दृष्टि से डीडवाना शहर ज्यादा बड़ा नहीं है, लेकिन यहां के लोगों का दिल बहुत बड़ा है, क्योंकि यहां के लोग दिल खोलकर रक्तदान करते हैं. यहां लोग मौका तलाशते हैं रक्तदान करने का. यही वजह है कि यहां के ब्लड बैंक से अगर आप ब्लड लेना चाहते हैं, तो बदले में आपको रिप्लेसमेंट की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां पहले से दानदाताओं की भरमार है, जो जिले की तीन चौथाई जनसंख्या की रक्त की जरूरत को भी पूरा करते हैं.

इसलिए कहते हैं रक्तदान की राजधानी : डीडवाना में रक्तदान का जज्बा लोगों के लिए जुनून बन गया है. कहीं भी रक्तदान शिविर हो, सभी जाति और धर्म के लोग रक्तदान करने पहुंच जाते हैं और अपने लहू से इंसानियत की अटूट डोर बांध रहे हैं. रक्तदान के मामले में डीडवाना पूरे राजस्थान में पहले पायदान पर है. डीडवाना में हर साल औसतन 50 रक्तदान शिविर लगते हैं, जिनमें 3000 यूनिट से भी ज्यादा रक्त का संग्रहण किया जाता है. रक्तदान करने में शहर की कई स्वयंसेवी और सामाजिक संस्थाएं अग्रिम पंक्ति में रहती हैं, तो वहीं अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के जन्मदिन के मौके पर रक्तदान करने का चलन भी बढ़ा है. इसके अलावा दिवंगत साथियों और रिश्तेदारों की याद में भी रक्तदान शिविरों में बढ़ोतरी हुई है. इसी जज्बे और हौसले के कारण डीडवाना को "रक्तदान की राजधानी" कहा जाता है.

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डॉ सोहन चौधरी का प्रयास : यह जागरूकता अचानक नहीं आई. कुछ साल पहले तक रक्तदान के प्रति लोगों में भ्रांतियां थी और लोग रक्तदान करने से कतराते थे. मगर रक्तदान को अभियान बनाने के पीछे एक व्यक्ति की पॉजिटिव सोच का नतीजा है, जिसने लोगों को रक्तदान के लिए इस कदर प्रेरित किया कि आज लोग स्वेच्छा से रक्तदान करने आते हैं. वो शख्स हैं डॉ सोहन चौधरी. डॉक्टर चौधरी पेशे से चिकित्सक हैं और मारवाड़ हॉस्पिटल के निदेशक भी हैं. वे लंबे समय से सामाजिक सेवा के कार्यों में सक्रिय हैं. उन्होंने रक्तदान को अपना मिशन बना लिया है. उन्होंने लोगों में रक्तदान की भ्रांतियां दूर की और लगातार लोगों को प्रोत्साहित किया और जागरूक किया.

डॉ चौधरी के प्रयास से धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता आई और आज स्थिति यह है कि डीडवाना में नियमित रूप से रक्तदान करने वालों की संख्या 2000 के पार पहुंच चुकी है. यह वे लोग हैं, जो नियमित रूप से रक्तदान करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर लोगों को रक्त उपलब्ध करवाते हैं. डॉक्टर सोहन चौधरी अब तक लगभग 225 से अधिक रक्तदान शिविर के भागीदार बन चुके हैं और लगभग 18,000 यूनिट से अधिक रक्तदान करवा चुके हैं. डॉक्टर सोहन चौधरी की प्रेरणा से लोग रक्तदान का महत्व समझने लगे, जिससे यह कारवां बढ़ता हुआ लाल क्रांति में तब्दील हो गया है.

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