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विश्व रक्तदान दिवस 2024: जरूरतमंदों के लिए मसीहा बना हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप - World Blood Donation Day 2024

सरगुजा का हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप लोगों के लिए मसीहा बनकर उभरा है. ब्लड की कमी होने पर लोग इसी ग्रुप से संपर्क करते हैं. अब तक इस ग्रुप में 11 हजार 299 लोगों ने ब्लड डोनेट किया है.

World Blood Donation Day 2024
विश्व रक्तदान दिवस 2024 (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 13, 2024, 7:55 PM IST

लोगों के लिए मसीहा बना हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप (ETV Bharat)

सरगुजा: विश्व रक्तदान दिवस के मौके पर ईटीवी भारत आपको कुछ ऐसे रक्त वीरों के बारे में बताने जा रहा है, जो रक्तदान कर लोगों को नई जिन्दगी दे रहे हैं. दरअसल, हम बात तर रहे हैं हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप की. ये एक ऐसा समूह है, जिसमें से किसी ने 90 बार रक्त दान किया है, तो किसी ने 50 बार, तो किसी नें 38 बार अपना रक्त देकर किसी की जिंदगी बचाई है.

2013 में तैयार हुआ था समूह: साल 2013 में शहर के कुछ युवाओं ने हेल्पिंग हैंड्स नाम का एक रक्तदान ग्रुप बनाया. ब्लड ग्रुप और कांटेक्ट नंबर के साथ एक डायरेक्ट्री तैयार की गई. इसके साथ ही शुरू हुआ सफर मरीजों के रक्तदान करने का. शहर में कुछ सीनियर्स, जो पहले से रक्तदान करते आ रहे थे, उनको भी युवाओ ने ग्रुप में जोड़ा. आलम यह है कि अब तक 11 हजार 299 लोगों की मदद यह ग्रुप कर चुका है. इस ग्रुप में कुछ ऐसे महान रक्तदाता हैं, जो रक्तदान की संख्या में बेहद आगे हैं.

जानिए क्या कहते हैं समूह के सदस्य: समूह के वेदांत बताते हैं, " जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में खून की कमी रहती थी तो हम लोगों ने प्लान किया कि रक्तदान ग्रुप बनाया जाए. ऐसे हमारी शुरुआत हुई. खुशी की बात है कि आज तक 11 हजार 299 लोगों को इस ग्रुप के माध्यम से रक्त दिलवाया जा चुका है. हमारे मार्गदर्शक हैं शहर के पीयूष त्रिपाठी, जिन्होंने 90 बार खून दिया है. राकेश तिवारी और गोल्डी बिहाडे ने 50 से अधिक बार खून दिया है, जबकि ऋषि अग्रवाल 38 बार रक्तदान कर चुके हैं."

साल 1998 में मैं पहली बार रक्तदान किया था. तब मैं 12वीं में पढ़ता था. मुझे पता भी नहीं था. एक भैया गाड़ी पर बैठाकर गए और मिशन अस्पताल में बोले खून दे दो. उस दिन बहुत डर लगा था. जीवन में सिर्फ एक ही बार रक्त दान करने में डर लगा. उसके बाद ये संख्या 90 हो गई और पता भी नही चला. अफसोस कि एक साल से मैं रक्तदान नहीं कर पा रहा हूं, मेरा हीमोग्लोबिन कम रहता है, जिस कारण डॉक्टर ब्लड नहीं लेते हैं. रक्तदान करने के अनेक फायदे हैं, युवा आगे आएं और निडर होकर रक्तदान करें. -पीयूष त्रिपाठी, रक्तदाता

खून की कमी होने पर लोग समूह से करते हैं संपर्क: सरगुजा के पीयूष त्रिपाठी ने 90 बार अपना रक्तदान किया है. राकेश तिवारी, ऋषि अग्रवाल, गोल्डी बिहाडे जैसे सीनियर रक्तदाता भी हैं, जो 35 से 50 बार रक्तदान कर चुके हैं. एक लंबी फेहरिस्त है रक्तदाताओं की, लेकिन पीयूष त्रिपाठी ने तो कमाल ही कर दिया है. 90 बार खून देना मजाक नहीं है. फिलहाल शहर या संभाग भर में अगर किसी को खून की जरूरत पड़ जाती है, तो लोग हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप से संपर्क करते हैं. यहां तक कि ब्लड बैंक से भी अधिकारी लोगों को इस ग्रुप के पास भेजते हैं. युवाओं की इस टीम को लीड करने में मुख्य रूप से शानू कश्यप और वेदांत तिवारी को जाना जाता है. हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप के अध्यक्ष शानू और सचिव वेदांत हैं.

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लोगों के लिए मसीहा बना हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप (ETV Bharat)

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2013 में तैयार हुआ था समूह: साल 2013 में शहर के कुछ युवाओं ने हेल्पिंग हैंड्स नाम का एक रक्तदान ग्रुप बनाया. ब्लड ग्रुप और कांटेक्ट नंबर के साथ एक डायरेक्ट्री तैयार की गई. इसके साथ ही शुरू हुआ सफर मरीजों के रक्तदान करने का. शहर में कुछ सीनियर्स, जो पहले से रक्तदान करते आ रहे थे, उनको भी युवाओ ने ग्रुप में जोड़ा. आलम यह है कि अब तक 11 हजार 299 लोगों की मदद यह ग्रुप कर चुका है. इस ग्रुप में कुछ ऐसे महान रक्तदाता हैं, जो रक्तदान की संख्या में बेहद आगे हैं.

जानिए क्या कहते हैं समूह के सदस्य: समूह के वेदांत बताते हैं, " जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में खून की कमी रहती थी तो हम लोगों ने प्लान किया कि रक्तदान ग्रुप बनाया जाए. ऐसे हमारी शुरुआत हुई. खुशी की बात है कि आज तक 11 हजार 299 लोगों को इस ग्रुप के माध्यम से रक्त दिलवाया जा चुका है. हमारे मार्गदर्शक हैं शहर के पीयूष त्रिपाठी, जिन्होंने 90 बार खून दिया है. राकेश तिवारी और गोल्डी बिहाडे ने 50 से अधिक बार खून दिया है, जबकि ऋषि अग्रवाल 38 बार रक्तदान कर चुके हैं."

साल 1998 में मैं पहली बार रक्तदान किया था. तब मैं 12वीं में पढ़ता था. मुझे पता भी नहीं था. एक भैया गाड़ी पर बैठाकर गए और मिशन अस्पताल में बोले खून दे दो. उस दिन बहुत डर लगा था. जीवन में सिर्फ एक ही बार रक्त दान करने में डर लगा. उसके बाद ये संख्या 90 हो गई और पता भी नही चला. अफसोस कि एक साल से मैं रक्तदान नहीं कर पा रहा हूं, मेरा हीमोग्लोबिन कम रहता है, जिस कारण डॉक्टर ब्लड नहीं लेते हैं. रक्तदान करने के अनेक फायदे हैं, युवा आगे आएं और निडर होकर रक्तदान करें. -पीयूष त्रिपाठी, रक्तदाता

खून की कमी होने पर लोग समूह से करते हैं संपर्क: सरगुजा के पीयूष त्रिपाठी ने 90 बार अपना रक्तदान किया है. राकेश तिवारी, ऋषि अग्रवाल, गोल्डी बिहाडे जैसे सीनियर रक्तदाता भी हैं, जो 35 से 50 बार रक्तदान कर चुके हैं. एक लंबी फेहरिस्त है रक्तदाताओं की, लेकिन पीयूष त्रिपाठी ने तो कमाल ही कर दिया है. 90 बार खून देना मजाक नहीं है. फिलहाल शहर या संभाग भर में अगर किसी को खून की जरूरत पड़ जाती है, तो लोग हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप से संपर्क करते हैं. यहां तक कि ब्लड बैंक से भी अधिकारी लोगों को इस ग्रुप के पास भेजते हैं. युवाओं की इस टीम को लीड करने में मुख्य रूप से शानू कश्यप और वेदांत तिवारी को जाना जाता है. हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप के अध्यक्ष शानू और सचिव वेदांत हैं.

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