नई दिल्ली/गाजियाबाद: सनातन धर्म में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है. प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. फाल्गुन मास की कालाष्टमी रविवार 3 मार्च 2024 को मनाई जाएगी. क्योंकि इस दिन भानु सप्तमी और शबरी जयंती भी पड़ रही है. ऐसे में इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक कालाष्टमी के दिन बाबा काल भैरव की सच्चे मन से आराधना करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है.
ज्योतिषाचार्य और आध्यात्मिक गुरु शिव कुमार शर्मा के मुताबिक, कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार का कालाष्टमी का व्रत दीर्घायु प्रदान कर अकाल मृत्यु को हरता है. कालाष्टमी के दिन समर्पण भाव से भगवान काल भैरव की पूजा करने और व्रत रखने से नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है. जो लोग नकारात्मक ऊर्जा से पीड़ित है उन्हें कालाष्टमी का व्रत रखना चाहिए. कालाष्टमी करने से जीवन में स्थिरता की प्राप्ति होती है. साथ ही आगे बढ़ने में आ रही बाधाएं दूर होती है.
कालाष्टमी मुहूर्त:
- फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ: रविवार, 3 मार्च 2024 सुबह 08:44 AM से शुरू.
- फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त: सोमवार, 4 मार्च 2024 सुबह 08:49 AM पर समाप्त.
- फाल्गुन कालाष्टमी 3 मार्च 2024 (रविवार) को मनाई जाएगी.
पूजा विधि:
- कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठ स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-सुथरे कपड़े पहने.
- घर के मंदिर की साफ सफाई कर दीप प्रज्वलित करें.
- घर के मंदिर में भगवान काल भैरव की मूर्ति की स्थापना करें.
- भगवान काल भैरव का ध्यान कर मंत्रों का जाप करें.
- कालाष्टमी तिथि के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करें
- भगवान काल भैरव को नवैध मिष्ठान, पंचामृत आदि का भोग लगाएं. निराहार व्रत रख सकते हैं तो अच्छा होगा नहीं तो अल्पाहार ले सकते हैं.
ना करें ये काम: कालाष्टमी के दिन किसी की निंदा या चुगली करने से बचें. वाणी पर नियंत्रण रखें. किसी को भी गलत शब्दों से संबोधित ना करें. इस दिन काल भैरव के मंत्र का 108 बार जाप करने से भय से मुक्ति मिलती है.