नई दिल्लीः दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (DTC) के कर्मचारियों से हाल में लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी मुलाकात की थी. राहुल गांधी ने संविदा कर्मचारियों को नियमित करने व उनकी अन्य मांगों को पूरा करने की मांग भी उठाई थी. लेकिन अभी कर्मचारी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.
ETV Bharat से बातचीत में डीटीसी के कर्मचारियों ने कहा कि वे सरकार से सालों से बात कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. डीटीसी में संविदा कर्मचारियों का खूब शोषण हो रहा है. इससे कर्मचारी नौकरी तक छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं. कहीं सुनवाई नहीं होने पर उन्होंने कोर्ट की शरण ली है. सोमवार को संविदा कर्मचारियों ने अपनी मांगों का पत्र राउज एवेन्यू कोर्ट में जमा किया.
राऊज एवेन्यू कोर्ट में कर्मचारियों ने जमा किया मांग पत्र: डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के प्रेसीडेंट ललित चौधरी ने कहा कि लंबे समय से हम मांग कर रहे हैं कि डीटीसी के संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए, लेकिन हमारी मांगें नहीं पूरी हो रही हैं. इसको लेकर हम लोग लेवर कोर्ट गए थे. वहां से केस दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में भेज दिया गया है.
सोमवार को राऊज एवेन्यू कोर्ट में हमने अपना मांग पत्र जमा कर दिया है. अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी. 2013 में अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कांट्रैक्ट के कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा, सरकार बनने के बाद आज 10 साल हो गए. लेकिन हमारी मांगें पूरी नहीं हुई. जबकि, हम लोगों ने कई बार दिल्ली सरकार को पत्र लिखा. हड़ताल और प्रदर्शन भी किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ.
सरकार से निराश होकर ली कोर्ट की शरण: सरकार ने कुछ नहीं किया तो हमने कोर्ट की शरण ली है. डीटीसी के कर्मचारी मनोज शर्मा ने कहा कि संविदा के कर्मचारी नियमित कर्मचारी से अधिक मेहनत करते हैं. लेकिन उन्हें समान काम का समान वेतन नहीं मिलता है. महीने में चार रेस्ट नहीं मिलते हैं. छुट्टी का पैसा नहीं दिया जाता है. EL, CL और TA नहीं दिया जाता है.
होली, दीपावली, रक्षाबंधन जैसे महत्वपूर्ण त्योहार पर नोटिस जारी कर कहा जाता है कि किसी भी कर्मचारी को छुट्टी नहीं मिलेगी. लेकिन इस दिन का कोई अतिरिक्त पैसा नहीं मिलता है. जबकि, अन्य जगहों ओवर टाइम काम करने का या छुट्टी के दिन काम करने पर ज्यादा वेतन मिलता है.
करीब 20 हजार संविदा कर्मचारी परेशान: डीटीसी में बतौर कंडक्टर काम करने वाले पंकज शर्मा ने कहा कि 15 साल पहले पिता की मौत के बाद अनुकंपा पर मुझे नौकरी मिली, लेकिन मुझे संविदा पर नौकरी मिली है. जबकि, ऐसा किसी भी विभाग में नहीं होता है. कम वेतन पर हम कैसे घर चला रहे हैं. बच्चों को पढ़ा रहे हैं. किराया दे रहे हैं. ये कोई नहीं देख रहा है. दर्जनों बार सरकार को पत्र लिखकर अपनी मांगे रखी लेकिन सरकार पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. करीब 20 हजार संविदा के कर्मचारी परेशान हैं.
श्रम कानूनों के उल्लंघन का आरोप: ललित चौधरी ने कहा कि डीटीसी में श्रम कानूनों का उल्लंघन होता था. महत्वपूर्ण त्योहारों से पहले नोटिस जारी कर दिया जाता है कि किसी ने छुट्टी ली तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. श्रम कानून के मुताबिक, 8 घंटे की ड्यूटी के बाद आप फ्री हैं, लेकिन डीटीसी में डबल ड्यूटी कराई जाती है. कानून कहता है कि यदि कोई 1 घंटे भी ओवर टाइम करता है तो उसको दो घंटे के पैसे मिलते हैं, लेकिन यहां जबरन रात के 12 बजे तक ड्यूटी कराई जाती है. घर जाने के लिए कोई सुविधा नहीं मिलती है. दिल्ली सरकार और दिल्ली परिवहन निगम लगातार कर्मचारियों को शोषण कर रहा है. कोई आवाज उठाता है तो नौकरी से निकालने की धमकी दे रहे हैं.
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