करनाल: पिछले साल देश में गेहूं उत्पादन का रिकॉर्ड बनाने वाले राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने आगामी रबी सीजन के लिए 115 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि नई किस्मों के भरोसे वो इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे. संस्थान में रविवार यानी 20 अक्टूबर 2024 से किसानों को गेहूं की नई किस्मों के बीज का वितरण शुरू किया जाएगा.
किसानों को दिए जाएंगे गेहूं के नए बीज: इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉक्टर रतन तिवारी ने बताया कि पिछले वर्ष संस्थान ने 113.29 मिलियन टन गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन किया था. जिसे बढ़ाते हुए इस बार 115 मिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने कहा कि देशभर में किसानों तक संस्थान की नई किस्मों के बीज उपलब्ध कराने के लिए रविवार से गेहूं का बीज दिया जा रहा है.
गेहूं की नई किस्म तैयार: उन्होंने कहा कि नई किस्मों के बीज लेने के लिए देश भर के 22 हजार किसानों ने पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराया था. राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान में किसान वैज्ञानिक संवाद का भी आयोजन किया गया. जिसमें कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को नई तकनीक के बारे में बताया. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान से 17 हजार किसानों के आने की उम्मीद है.
13 नई किस्म के मरीज: डॉक्टर तिवारी ने कहा कि संस्थान ने केंद्र सरकार के पास 19 नई प्रजातियों का प्रपोजल भेजा था. जिसमें से केंद्र ने 13 अनुमोदित की हैं. जिनके जल्द ही रिलीज होने की संभावना है. गेहूं की अनुमोदित किस्मों में जौ की किस्म dwrv 137 भी शामिल है. जो छिलका रहित होने के साथ पशु चारे के लिए भूसा भी देगी.
5 नवंबर तक कर सकते हैं अगेती किस्मों की बुवाई: निदेशक ने किसानों से कहा कि "किसान 25 अक्टूबर से 5 नवंबर तक गेहूं की अगेती किस्मों की बुवाई कर सकते हैं. केंद्र सरकार ने किसानों का एमएसपी बढ़ाया है. इसके साथ किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए गेहूं का प्रोसेसिंग प्लांट भी लगा सकते हैं. इससे उन्हें काफी फायदा होगा. जल्द ही किसानों को गेहूं के उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण संस्थान में दिया जाएगा."
जानें क्या है गेहूं की नई किस्मों में खास: नोडल अधिकारी डॉक्टर अमित शर्मा ने बताया कि नई किस्मों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के बीच dbw 327 और dbw 371 की काफी मांग है." ये प्रजातियां बीमारी रोधी होने के अलावा बेहतर उत्पादन देने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों की भौगोलिक स्थिति के अनुसार किस्मों को तैयार किया गया है.