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वृंदावन से मथुरा की 22 किलोमीटर की परिधि में जल्द चलेंगे दो क्रूज, शुरू हुई तैयारी - WATER TRANSPORT in up - WATER TRANSPORT IN UP

यूपी में जल परिवहन (Water Transport in UP) को लेकर सरकार की पहल के बाद विभागों ने भी कार्यों में तेजी लानी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में परिवहन विभाग ने वृंदावन से मथुरा के बीच 22 किलोमीटर की परिधि में दो क्रूज चलाने की योजना तैयार कर ली है.

वृंदावन से मथुरा के बीच चलेंगे क्रूज.
वृंदावन से मथुरा के बीच चलेंगे क्रूज. (Photo Credit-Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 6, 2024, 12:57 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब जल परिवहन के जरिए पर्यटन के लिए तेजी से सक्रियता दिखाई जा रही है. परिवहन विभाग जल परिवहन का नोडल है. लिहाजा, जिम्मेदारी परिवहन विभाग को ही निभानी है. अब परिवहन विभाग की तरफ से वृंदावन से मथुरा की 22 किलोमीटर की परिधि में दो क्रूज उतारने की तैयारी कर ली गई है. भारत सरकार की तरफ से जल्दी ही दो क्रूज उपलब्ध कराए जाएंगे.

यूपी में जल परिवहन का दायरा.
यूपी में जल परिवहन का दायरा. (Photo Credit-Etv Bharat)
परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है. वृंदावन और मथुरा में तमाम पर्यटन स्थल हैं जहां पर हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं. धार्मिक नगरी होने के चलते यहां पर पर्यटकों की संख्या में कमी नहीं होती है. पर्यटकों को जल परिवहन की सुविधा दी जा सके इसके लिए हरहाल में छह माह के अंदर दो क्रूज वृंदावन से मथुरा के बीच 22 किलोमीटर की परिधि में संचालित करने को लेकर काम शुरू हो गया है. भारत सरकार के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार का इसमें खास योगदान रहेगा. यात्रियों को क्रूज में उतरने और चढ़ने के लिए 11 प्लेटफार्म बनाए जाएंगे. भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार मिलकर इन प्लेटफार्म का निर्माण करेगी.

ड्रेनेज पर सबसे पहले काम : वृंदावन से मथुरा के बीच क्रूज चलाने के लिए ड्रेनेज को लेकर सबसे पहले काम होगा. यमुना रिवर के फैलाव की स्थिति जांची जाएगी. जल स्तर चेक किया जाएगा. यह सुनिश्नचत किया जाएगा कि 22 किलोमीटर की इस परिधि में क्रूज के चलने लायक पानी है भी या नहीं. अगर जलस्तर कम होगा तो इसमें जल बढ़ाने की दिशा में काम किया जाएगा. इसके बाद घाट, मंदिर और अन्य हिस्टोरिकल प्लेस चिन्हित किए जाएंगे.



ये होंगे मुख्य घाट : जल परिवहन से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि वृंदावन से मथुरा की 22 किलोमीटर की परिधि में विश्राम घाट, बंगाली घाट, कंस किला घाट, स्वामी घाट, जुगल किशोर घाट, केशीघाट, अखरूर घाट, देवरहा बाबा घाट, गोकुल बैराज मुख्य घाट होंगे.







अन्य राज्यों में नदियों की ये स्थिति : आंध्र प्रदेश में नदियों की कुल लंबाई 3761.73 किलोमीटर है. जिसमें नेविगेबल लेंथ तकरीबन 1160 किलोमीटर और टोटल लेंथ का लगभग 31 फीसद है. असम में नदियों की लंबाई 7,988 किलोमीटर है. इसमें से 2,024 किलोमीटर नेविगेबल लेंथ है. कुल लेंथ का 25 फीसद से ज्यादा नेविगेबल लेंथ है. पश्चिम बंगाल में नदियों के कुल लंबाई 4,741 किलोमीटर है. यहां पर नेविगेशन लेंथ 4,593 किलोमीटर है. नागालैंड में कुल नदियों की लंबाई 276 किलोमीटर है और 276 किलोमीटर में भी नेविगेबल लेंथ है. यहां पर नदियों में सौ फीसद जल परिवहन हो रहा है. इसी तरह झारखंड में भी नदियों की लंबाई कुल 95 किलोमीटर है और नेविगेबल लेंथ भी 95 किलोमीटर ही है. यहां पर भी नदियों की लंबाई का 100 फीसद नेविगेबल लेंथ है. इसी तरह बिहार में भी नदियों की लंबाई 1011 किलोमीटर है और नेविगेबल लेंथ भी 1011 किलोमीटर है. यहां पर भी नदियों की नेविगेबल लेंथ 100 फीसद है.



यह भी पढ़ें : राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले क्रूज "कटमरैन" पहुंचेगा अयोध्या

यह भी पढ़ें : वाटर वे अथॉरिटी से यूपी में जल परिवहन बढ़ेगा, जल्द होगा गठन

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब जल परिवहन के जरिए पर्यटन के लिए तेजी से सक्रियता दिखाई जा रही है. परिवहन विभाग जल परिवहन का नोडल है. लिहाजा, जिम्मेदारी परिवहन विभाग को ही निभानी है. अब परिवहन विभाग की तरफ से वृंदावन से मथुरा की 22 किलोमीटर की परिधि में दो क्रूज उतारने की तैयारी कर ली गई है. भारत सरकार की तरफ से जल्दी ही दो क्रूज उपलब्ध कराए जाएंगे.

यूपी में जल परिवहन का दायरा.
यूपी में जल परिवहन का दायरा. (Photo Credit-Etv Bharat)
परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है. वृंदावन और मथुरा में तमाम पर्यटन स्थल हैं जहां पर हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं. धार्मिक नगरी होने के चलते यहां पर पर्यटकों की संख्या में कमी नहीं होती है. पर्यटकों को जल परिवहन की सुविधा दी जा सके इसके लिए हरहाल में छह माह के अंदर दो क्रूज वृंदावन से मथुरा के बीच 22 किलोमीटर की परिधि में संचालित करने को लेकर काम शुरू हो गया है. भारत सरकार के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार का इसमें खास योगदान रहेगा. यात्रियों को क्रूज में उतरने और चढ़ने के लिए 11 प्लेटफार्म बनाए जाएंगे. भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार मिलकर इन प्लेटफार्म का निर्माण करेगी.

ड्रेनेज पर सबसे पहले काम : वृंदावन से मथुरा के बीच क्रूज चलाने के लिए ड्रेनेज को लेकर सबसे पहले काम होगा. यमुना रिवर के फैलाव की स्थिति जांची जाएगी. जल स्तर चेक किया जाएगा. यह सुनिश्नचत किया जाएगा कि 22 किलोमीटर की इस परिधि में क्रूज के चलने लायक पानी है भी या नहीं. अगर जलस्तर कम होगा तो इसमें जल बढ़ाने की दिशा में काम किया जाएगा. इसके बाद घाट, मंदिर और अन्य हिस्टोरिकल प्लेस चिन्हित किए जाएंगे.



ये होंगे मुख्य घाट : जल परिवहन से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि वृंदावन से मथुरा की 22 किलोमीटर की परिधि में विश्राम घाट, बंगाली घाट, कंस किला घाट, स्वामी घाट, जुगल किशोर घाट, केशीघाट, अखरूर घाट, देवरहा बाबा घाट, गोकुल बैराज मुख्य घाट होंगे.







अन्य राज्यों में नदियों की ये स्थिति : आंध्र प्रदेश में नदियों की कुल लंबाई 3761.73 किलोमीटर है. जिसमें नेविगेबल लेंथ तकरीबन 1160 किलोमीटर और टोटल लेंथ का लगभग 31 फीसद है. असम में नदियों की लंबाई 7,988 किलोमीटर है. इसमें से 2,024 किलोमीटर नेविगेबल लेंथ है. कुल लेंथ का 25 फीसद से ज्यादा नेविगेबल लेंथ है. पश्चिम बंगाल में नदियों के कुल लंबाई 4,741 किलोमीटर है. यहां पर नेविगेशन लेंथ 4,593 किलोमीटर है. नागालैंड में कुल नदियों की लंबाई 276 किलोमीटर है और 276 किलोमीटर में भी नेविगेबल लेंथ है. यहां पर नदियों में सौ फीसद जल परिवहन हो रहा है. इसी तरह झारखंड में भी नदियों की लंबाई कुल 95 किलोमीटर है और नेविगेबल लेंथ भी 95 किलोमीटर ही है. यहां पर भी नदियों की लंबाई का 100 फीसद नेविगेबल लेंथ है. इसी तरह बिहार में भी नदियों की लंबाई 1011 किलोमीटर है और नेविगेबल लेंथ भी 1011 किलोमीटर है. यहां पर भी नदियों की नेविगेबल लेंथ 100 फीसद है.



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