लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब जल परिवहन के जरिए पर्यटन के लिए तेजी से सक्रियता दिखाई जा रही है. परिवहन विभाग जल परिवहन का नोडल है. लिहाजा, जिम्मेदारी परिवहन विभाग को ही निभानी है. अब परिवहन विभाग की तरफ से वृंदावन से मथुरा की 22 किलोमीटर की परिधि में दो क्रूज उतारने की तैयारी कर ली गई है. भारत सरकार की तरफ से जल्दी ही दो क्रूज उपलब्ध कराए जाएंगे.
ड्रेनेज पर सबसे पहले काम : वृंदावन से मथुरा के बीच क्रूज चलाने के लिए ड्रेनेज को लेकर सबसे पहले काम होगा. यमुना रिवर के फैलाव की स्थिति जांची जाएगी. जल स्तर चेक किया जाएगा. यह सुनिश्नचत किया जाएगा कि 22 किलोमीटर की इस परिधि में क्रूज के चलने लायक पानी है भी या नहीं. अगर जलस्तर कम होगा तो इसमें जल बढ़ाने की दिशा में काम किया जाएगा. इसके बाद घाट, मंदिर और अन्य हिस्टोरिकल प्लेस चिन्हित किए जाएंगे.
ये होंगे मुख्य घाट : जल परिवहन से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि वृंदावन से मथुरा की 22 किलोमीटर की परिधि में विश्राम घाट, बंगाली घाट, कंस किला घाट, स्वामी घाट, जुगल किशोर घाट, केशीघाट, अखरूर घाट, देवरहा बाबा घाट, गोकुल बैराज मुख्य घाट होंगे.
अन्य राज्यों में नदियों की ये स्थिति : आंध्र प्रदेश में नदियों की कुल लंबाई 3761.73 किलोमीटर है. जिसमें नेविगेबल लेंथ तकरीबन 1160 किलोमीटर और टोटल लेंथ का लगभग 31 फीसद है. असम में नदियों की लंबाई 7,988 किलोमीटर है. इसमें से 2,024 किलोमीटर नेविगेबल लेंथ है. कुल लेंथ का 25 फीसद से ज्यादा नेविगेबल लेंथ है. पश्चिम बंगाल में नदियों के कुल लंबाई 4,741 किलोमीटर है. यहां पर नेविगेशन लेंथ 4,593 किलोमीटर है. नागालैंड में कुल नदियों की लंबाई 276 किलोमीटर है और 276 किलोमीटर में भी नेविगेबल लेंथ है. यहां पर नदियों में सौ फीसद जल परिवहन हो रहा है. इसी तरह झारखंड में भी नदियों की लंबाई कुल 95 किलोमीटर है और नेविगेबल लेंथ भी 95 किलोमीटर ही है. यहां पर भी नदियों की लंबाई का 100 फीसद नेविगेबल लेंथ है. इसी तरह बिहार में भी नदियों की लंबाई 1011 किलोमीटर है और नेविगेबल लेंथ भी 1011 किलोमीटर है. यहां पर भी नदियों की नेविगेबल लेंथ 100 फीसद है.
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