नई दिल्ली: दिल्ली में जल संकट से निपटने के लिए दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने भी 6 मार्च को हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि जब हिमाचल की ओर से पानी हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा जाए तो हरियाणा वजीराबाद तक पानी पहुंचाने में मदद करे. जिससे कि बिना किसी बाधा के लोगों को पीने का पानी मिल सके. इसके बाद अब समस्या यह हो गई है कि हिमाचल प्रदेश से मिलने वाले पानी को दिल्ली कहां पर स्टोर करेगी.
हिमाचल की ओर से दिल्ली के लिए अपस्ट्रीम से 137 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा लेकिन अभी दिल्ली सरकार के पास इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है कि हिमाचल प्रदेश से मिलने वाले पानी को कैसे स्टोर और इस्तेमाल किया जाएगा.
मौजूदा हाल में देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश की ओर से मिलने वाले पानी को मुनक नहर से बवाना लाने के लिए पंपिंग स्टोरेज तैयार किया जा रहा है. हालांकि, अभी यह पंपिंग स्टोरेज पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हो पाया है. सरकार की योजना है कि इस पंपिंग स्टोरेज से ही पानी को द्वारका लाने के लिए करीब 22 किलोमीटर लंबी 1500 एमएम की लाइन बिछाई गई है. बवाना से द्वारका ले जाने वाले पानी को ट्रीट करने के लिए द्वारका के सेक्टर 16 में 10.88 हैक्टेयर एरिया में एक नया वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाया जा रहा है. इस वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता करीब 50 एमजीडी पानी को ट्रीट करने की होगी लेकिन अभी यह प्लांट भी बनकर तैयार नहीं है.
पूरी क्षमता के साथ वॉटर ट्रीटमेंट कर रहा काम: हिमाचल प्रदेश से दिल्ली को पानी मिल भी जाता है तो दिल्ली जल बोर्ड के पास वर्तमान में इसको स्टोरेज करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. इतना ही नहीं अगर यह पानी हिमाचल से मिलता है तो इसको फिलहाल ट्रीट करने के लिए भी जल बोर्ड के पास कोई खास इंतजाम नहीं है. मौजूदा समय में दिल्ली जल बोर्ड के जो वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट हैं, वह सभी पूरी क्षमता के साथ वॉटर ट्रीटमेंट का काम कर रहे हैं जिससे हिमाचल से आने वाले पानी को इन मौजूदा डब्ल्यूडीटी में ट्रीट करने की क्षमता नहीं है.
इस बीच देखा जाए तो दिल्ली सरकार लगातार हरियाणा सरकार पर आरोप लगाती आ रही है कि वह हिमाचल प्रदेश से आने वाले पानी को लेकर कोई रास्ता नहीं निकाल रही है. इस मामले में दिल्ली सरकार ने 31 मई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर 6 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार को खास निर्देश दिए थे. दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश को दिल्ली को एक महीने तक अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्देश देने की मांग की थी.
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आज से हिमाचल से मिलना था पानी, अभी नहीं मिली आधिकारिक सूचना: सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच ने 7 जून से दिल्ली के लिए पानी छोड़ने के निर्देश दिए थे. साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार से यह भी कहा था कि पानी की बर्बादी नहीं होनी चाहिए और नहीं इस पर कोई राजनीति होनी चाहिए. कोर्ट ने सभी पक्षों से इस मामले पर सोमवार 10 जून तक रिपोर्ट सौंपने के भी निर्देश दिए थे. वहीं, अभी तक हिमाचल की ओर से पानी को छोड़े जाने को लेकर किसी प्रकार की कोई सूचना आधिकारिक तौर पर नहीं मिल पाई है.
दिल्ली को हर रोज 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत: दिल्ली जल बोर्ड का कहना है कि राज्य को हर रोज 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत होती है लेकिन गर्मियों के दौरान हर रोज सिर्फ 96.9 करोड़ गैलन पानी की डिमांड ही पूरी हो पा रही है. दिल्ली में 2.30 करोड़ की आबादी को हर रोज पानी की जरूरत की पूर्ति हरियाणा सरकार यमुना नदी के जरिए और यूपी सरकार गंगा नदी के जरिए जबकि पंजाब सरकार भाखड़ा नांगल के जरिए करती है.
दिल्ली जल बोर्ड के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की बात करें तो वर्तमान में 8 वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट जिनमें हैदरपुर, सोनिया विहार, वजीराबाद, चंद्रावल, द्वारका, नांगलोई, ओखला और बवाना प्रमुख रूप से हैं. इन सभी को फुल कैपेसिटी के साथ वॉटर ट्रीटमेंट करने के लिए चलाया जा रहा है. यह सभी ट्रीटमेंट प्लांट अपनी क्षमता के मुताबिक ज्यादा वाटर ट्रीट करने का काम कर रहे हैं.
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इन वाटर ट्रीटमेंट में हर रोज हो रहा इतना एमजीडी पानी का उत्पादन: हैदरपुर वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 216 एमजीडी की है वह 241 एमजीडी पानी का उत्पादन कर रहा है. इसी तरीके से सोनिया विहार की क्षमता 140 है, वह 141 एमजीडी पानी का उत्पादन कर रहा है. इसके अलावा वजीराबाद के 110 एमजीडी प्लांट में उत्पादन 112 एमजीडी, चंद्रावल डब्ल्यूटीपी में 94 एमजीडी की जगह 99.6 एमजीडी का उत्पादन, द्वारका में 50 एमजीडी क्षमता से ज्यादा 52 एमजीडी पानी का उत्पादन हो रहा है.
वहीं, नांगलोई के 40 एमजीडी में 44 एमजीडी का उत्पादन, ओखला में 20 एमजीडी की जगह 21 एमजीडी उत्पादन और बवाना ट्रीटमेंट प्लांट में 20 एमजीडी पानी का उत्पादन किया जा रहा है. इन वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के क्षमता से ज्यादा वाटर ट्रीट करने के बाद यह साफ हो जा रहा है कि हिमाचल से मिलने वाले पानी को इन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में स्टोरेज या ट्रीट करना संभव नहीं है. यह पहले से ही क्षमता से ज्यादा वर्क कर रहे हैं.
दिल्ली-हिमाचल के बीच 2019 में हुआ था करार: हिमाचल प्रदेश के साथ दिल्ली जल बोर्ड के दिसंबर 2019 में किए गए करार की बात करें तो यह दिल्ली के लिए दो सीजन में अलग-अलग मात्रा में पानी छोड़ने के लिए किया गया था. हिमाचल की ओर से छोड़े जाने वाले पानी के लिए जल बोर्ड सालाना 4 करोड रुपए का भुगतान करता है. यह भुगतान अगले 25 सालों तक दिल्ली को पानी की एवज में करने के लिए निर्धारित हुआ था. जल बोर्ड की ओर से हिमाचल प्रदेश को इस पानी का भुगतान ₹32 रुपए क्यूबिक फीट के हिसाब से करना होगा. हिमाचल की ओर से नवंबर से फरवरी तक 368 क्यूसेक और मार्च से जून तक 268 क्यूसेक पानी दिल्ली को देने का करार साल 2019 में किया गया था. इसी के आधार पर अब दिल्ली, जल संकट के दौरान हिमाचल से पानी लाने के लिए जुटी है.
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