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वक्फ अधिनियम में संशोधन बिल: लागू हुआ तो कितनी घटेगी बोर्ड की ताकत, जानें दिल्ली की संपत्ति - Waqf Board Amendment Bill 2024

केंद्र की मोदी सरकार ने वक्फ अधिनियम में 40 संशोधन का प्रस्ताव पारित किया है. केंद्र सरकार इन संशोधनों को लाकर वक्फ बोर्डों में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहती है. अब इस कानून को लेकर विपक्षी पार्टी और कुछ मुस्लिम संस्थाएं विरोध कर रही है. इस कानून पर किसने क्या कहा पढ़ें पूरी खबर..

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वक्फ अधिनियम में संशोधन (GFX ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 7, 2024, 6:13 AM IST

Updated : Aug 7, 2024, 2:59 PM IST

वक्फ अधिनियम में संशोधन (ETV Bharat)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन कर अंकुश लगाने के लिए तैयार है. केंद्र की मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड अधिनियम में करीब 40 संशोधनों की मंजूरी दे दी है. इसके बाद से वक्फ बोर्ड सुर्खियों में आ गया है. इस बिल को लेकर विपक्ष और कुछ मुस्लिम संस्था विरोध कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, इस कानून के तहत वक्फ बोर्ड द्वारा किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति बनाने के आधिकार को वापस लिया जा सकता है. आइए जानते हैं वक्फ क्या है और दिल्ली वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति है. उस पर क्या असर पडे़गा...

वक्फ क्या है: 'वक्फ' अरबी भाषा के 'वकुफा' शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना. इसके अलावा वक्फ का मतलब ‘अल्लाह के नाम' होता है. यानी वे जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है, लेकिन उनका ताल्लुक मुस्लिम समाज से है. वक्फ उस जायदाद को कहते हैं, जो इस्लाम को मानने वाले दान करते हैं. ये चल-अचल दोनों तरह की हो सकती है. ये संपत्ति वक्फ बोर्ड के तहत आती है. इस तरह की जमीनों को वक्फ की जमीन कहा जाता है. इनमें मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान, ईदगाह और मजार शामिल हैं. वक्फ बोर्ड दो तरह का होता है. पहला सुन्नी वक्फ बोर्ड और दूसरा शिया वक्फ बोर्ड.

कब बना वक्फ बोर्ड एक्ट: रिपोर्ट्स के अनुसार, वक्फ अधिनियम को पहली बार 1954 में संसद में पारित किया गया था. हालांकि, बाद में इसे निरस्त कर दिया गया था. इसके बाद 1995 में नया वक्फ अधिनियम संसद में पास किया गया था. इस साल वक्फ बोर्ड को काफी ज्यादा अधिकार दिए गए थे. इसके बाद मनमोहन सिंह सरकार ने साल 2013 में इसमें कई संशोधन किए गए और वक्फ बोर्ड को स्वयत्ता मिली.

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वक्फ अधिनियम में संशोधन (GFX ETV Bharat)

दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्ति: दिल्ली बोर्ड द्वारा दी गई सूची में बताया गया कि उसके पास 1964 संपत्तियां हैं, जिनमें अधिकतर मस्जिदें शामिल हैं. इसमें कई मस्जिदें ऐसी हैं, जो 100 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं. बोर्ड ने सूची में मस्जिदों के पूरे पते के साथ यह भी जानकारी दी है कि वह कितनी पुरानी है. वहीं कुछ मस्जिदों के बारे में वक्फ बोर्ड को भी जानकारी नहीं है कि वह कितनी पुरानी है, उनके बारे में सूची में समय अवधि नहीं दी है. 306 पेज की सूची में वक्फ बोर्ड ने मस्जिद और मदरसों के कर्ता-धर्ता कौन हैं, इसकी भी जानकारी दी है. इनमें से कई संपत्तियों की देख रेख और मैनेजमेंट वक्फ बोर्ड के हाथ में है.

प्रशासनिक अराजकता बढ़ेगी: एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि मोदी सरकार बोर्ड की स्वायत्तता छीनना चाहती है और इसमें हस्तक्षेप करने का इरादा रखती है. उन्होंने कहा कि अगर आप वक्फ बोर्ड की स्थापना और संरचना में संशोधन करते हैं, तो प्रशासनिक अराजकता होगी और वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता खत्म हो जाएगी. अगर वक्फ बोर्ड पर सरकार का नियंत्रण बढ़ता है, तो वक्फ की स्वतंत्रता प्रभावित होगी.

बदलाव होना जरूरी: अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन काउंसिल काउंसिल की ओर से इस बिल का स्वागत किया गया. काउंसिल के सदस्य फरीदी अरशद ने कहा कि बदलाव होना जरूरी है. जब तक हमको इसके बारे में जानकारी नहीं होगी तब तक इसके बारे में हम किसी को कुछ नहीं बोल सकते हैं. हमें केंद्र सरकार पर पूरा भरोसा है कि जो भी बिल आएगा सभी के हित में आएगा.

ये भी पढ़ें: दिल्ली वक्फ बोर्ड ने CIC के निर्देश के बाद उपलब्ध कराई 1964 संपत्तियों की सूची

ये भी पढ़ें: दिल्ली: वक्फ बोर्ड की जमीन को लेकर सिमरन गुप्ता ने कोर्ट में दायर की थी याचिका, अब मिला धमकी भरा पत्र

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन कर अंकुश लगाने के लिए तैयार है. केंद्र की मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड अधिनियम में करीब 40 संशोधनों की मंजूरी दे दी है. इसके बाद से वक्फ बोर्ड सुर्खियों में आ गया है. इस बिल को लेकर विपक्ष और कुछ मुस्लिम संस्था विरोध कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, इस कानून के तहत वक्फ बोर्ड द्वारा किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति बनाने के आधिकार को वापस लिया जा सकता है. आइए जानते हैं वक्फ क्या है और दिल्ली वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति है. उस पर क्या असर पडे़गा...

वक्फ क्या है: 'वक्फ' अरबी भाषा के 'वकुफा' शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना. इसके अलावा वक्फ का मतलब ‘अल्लाह के नाम' होता है. यानी वे जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है, लेकिन उनका ताल्लुक मुस्लिम समाज से है. वक्फ उस जायदाद को कहते हैं, जो इस्लाम को मानने वाले दान करते हैं. ये चल-अचल दोनों तरह की हो सकती है. ये संपत्ति वक्फ बोर्ड के तहत आती है. इस तरह की जमीनों को वक्फ की जमीन कहा जाता है. इनमें मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान, ईदगाह और मजार शामिल हैं. वक्फ बोर्ड दो तरह का होता है. पहला सुन्नी वक्फ बोर्ड और दूसरा शिया वक्फ बोर्ड.

कब बना वक्फ बोर्ड एक्ट: रिपोर्ट्स के अनुसार, वक्फ अधिनियम को पहली बार 1954 में संसद में पारित किया गया था. हालांकि, बाद में इसे निरस्त कर दिया गया था. इसके बाद 1995 में नया वक्फ अधिनियम संसद में पास किया गया था. इस साल वक्फ बोर्ड को काफी ज्यादा अधिकार दिए गए थे. इसके बाद मनमोहन सिंह सरकार ने साल 2013 में इसमें कई संशोधन किए गए और वक्फ बोर्ड को स्वयत्ता मिली.

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दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्ति: दिल्ली बोर्ड द्वारा दी गई सूची में बताया गया कि उसके पास 1964 संपत्तियां हैं, जिनमें अधिकतर मस्जिदें शामिल हैं. इसमें कई मस्जिदें ऐसी हैं, जो 100 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं. बोर्ड ने सूची में मस्जिदों के पूरे पते के साथ यह भी जानकारी दी है कि वह कितनी पुरानी है. वहीं कुछ मस्जिदों के बारे में वक्फ बोर्ड को भी जानकारी नहीं है कि वह कितनी पुरानी है, उनके बारे में सूची में समय अवधि नहीं दी है. 306 पेज की सूची में वक्फ बोर्ड ने मस्जिद और मदरसों के कर्ता-धर्ता कौन हैं, इसकी भी जानकारी दी है. इनमें से कई संपत्तियों की देख रेख और मैनेजमेंट वक्फ बोर्ड के हाथ में है.

प्रशासनिक अराजकता बढ़ेगी: एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि मोदी सरकार बोर्ड की स्वायत्तता छीनना चाहती है और इसमें हस्तक्षेप करने का इरादा रखती है. उन्होंने कहा कि अगर आप वक्फ बोर्ड की स्थापना और संरचना में संशोधन करते हैं, तो प्रशासनिक अराजकता होगी और वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता खत्म हो जाएगी. अगर वक्फ बोर्ड पर सरकार का नियंत्रण बढ़ता है, तो वक्फ की स्वतंत्रता प्रभावित होगी.

बदलाव होना जरूरी: अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन काउंसिल काउंसिल की ओर से इस बिल का स्वागत किया गया. काउंसिल के सदस्य फरीदी अरशद ने कहा कि बदलाव होना जरूरी है. जब तक हमको इसके बारे में जानकारी नहीं होगी तब तक इसके बारे में हम किसी को कुछ नहीं बोल सकते हैं. हमें केंद्र सरकार पर पूरा भरोसा है कि जो भी बिल आएगा सभी के हित में आएगा.

ये भी पढ़ें: दिल्ली वक्फ बोर्ड ने CIC के निर्देश के बाद उपलब्ध कराई 1964 संपत्तियों की सूची

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Last Updated : Aug 7, 2024, 2:59 PM IST
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