शिमला: भाजपा ने नारा दिया है-अबकी बार, चार सौ पार. इस नारे को हकीकत बनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी हिमाचल की सभी चार सीटों को भाजपा की झोली में डालने की अपील कर चुके हैं. शिमला सीट पर मुकाबला कड़ा है. कांग्रेस इस परंपरागत सीट को फिर से अपनी झोली में डालने के लिए बेताब है तो सुरेश कश्यप मोदी मैजिक के सहारे फिर से लोकसभा में जाने के लिए आतुर हैं. इस तरह शिमला का रण दिलचस्प हो गया है. कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी यहां सुख की सरकार के फैक्टर को अपने पक्ष में मान रहे हैं. वहीं, भाजपा के सुरेश कश्यप का मानना है कि हिमाचल की सभी सीटें हर हाल में पीएम मोदी के नाम व काम पर पार्टी की झोली में जाएंगी. ऐसे में शिमला सीट के गणित को समझना जरूरी है. शिमला में कांग्रेस की मजबूती और कमजोरी क्या है और भाजपा को कहां लाभ व कहां हानि के आसार हैं, इस पर चर्चा आगे की पंक्तियों में की जाएगी.
कुल विधायक 17, कांग्रेस का स्कोर 13
शिमला सीट पर कुल 17 विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें से मौजूदा समय में 13 विधायक कांग्रेस के हैं. विनोद सुल्तानपुरी खुद कसौली से कांग्रेस टिकट पर पहली बार विधायक बने हैं. वे सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी हैं. उनके पिता केडी सुल्तानपुरी शिमला सीट से छह बार सांसद रहे हैं. इधर, विनोद सुल्तानपुरी की ताकत देखी जाए तो शिमला सीट पर उनके साथ 13 विधायकों का वोट बैंक है. फिर शिमला सीट पर रोहित ठाकुर, विक्रमादित्य सिंह, अनिरुद्ध सिंह, धनीराम शांडिल के रूप में कैबिनेट मंत्रियों की ताकत है. इसके अलावा श्री रेणुका जी सीट से जीते विनय कुमार विधानसभा उपाध्यक्ष हैं. अर्की से विधायक संजय अवस्थी सीपीएस हैं. वहीं, भाजपा के पास सिरमौर जिले का वोट बैंक, प्रदेश मुखिया राजीव बिंदल की रणनीति, हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा दिलाने का प्रयास व सुरेश कश्यप की तरफ से सांसद निधि के खर्च में अच्छी परफॉर्मेंस के फैक्टर हैं.
नाहन में मोदी व राहुल की रैली से बदला माहौल
शिमला सीट के तहत नाहन में पीएम नरेंद्र मोदी व कांग्रेस नेता राहुल गांधी रैली का आयोजन कर चुके हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी रैली में लोकल बोली का तड़का लगाया और यहां के देवी-देवताओं को नमन कर नाहन से अपने करीबी रिश्ते की बात कही. उनकी रैली में खूब भीड़ उमड़ी थी. वहीं, राहुल गांधी की रैली को सफल बनाने के लिए कांग्रेस ने भी खूब मेहनत की थी. राहुल ने नाहन की रैली से सेब, अडानी, किसानों आदि का मुद्दा उठाया. वहीं, प्रियंका गांधी भी सोलन में रोड शो करने वाली हैं.
भाजपा को सिरमौर में बढ़त की आस
भाजपा को सिरमौर जिले में बढ़त की आस है. कारण ये है कि सुरेश कश्यप पच्छाद से विधायक रहे हैं. वे भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. सिरमौर से ही भाजपा के मुखिया राजीव बिंदल हैं. इसके अलावा सुखराम चौधरी व रीना कश्यप विधायक हैं. निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर का सहारा भी सुरेश कश्यप को है. विधायकों व मंत्रियों की संख्या सहित सत्ता का सहारा देखा जाए तो कांग्रेस की स्थिति मजबूत है. कांग्रेस को शिमला जिला की सीटों पर बढ़त की आस है. शिमला सीट पर 13.54 लाख से अधिक मतदाता हैं.
मोदी मैजिक के सहारे भाजपा
वैसे वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो भाजपा को प्रदेश की सभी 68 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी, लेकिन अब पांच साल का अर्सा हो गया है. सुरेश कश्यप को एंटी इनकंबेंसी फैक्टर से भी जूझना पड़ेगा. वरिष्ठ मीडिया कर्मी ओपी वर्मा का कहना है कि शिमला में इस बार मुकाबला कड़ा है. कांग्रेस को सत्ता के साथ-साथ शिमला जिले में बनाए गए मंत्रियों के वोट बैंक का सहारा मिलेगा. भाजपा इस बार भी मोदी मैजिक के आसरे ही है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प रहेगा कि क्या कांग्रेस शिमला में अपना गढ़ फिर से ले सकेगी या नहीं? और भाजपा के लिए भी ये सीट नाक का सवाल इसलिए है कि यहां पीएम मोदी रैली कर चुके हैं. यदि सीट भाजपा के हाथ से फिसलती है तो ये पीएम नरेंद्र मोदी के मैजिक पर भी सवाल होगा.
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