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17 किलोमीटर पैदल चलकर अपना दर्द बताने डीसी कार्यालय पहुंचे लोग, कहा: साहब हम भी इंसान हैं...हमारे भी बच्चे हैं - Villagers foot march

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 3, 2024, 6:52 PM IST

Updated : Jul 3, 2024, 8:05 PM IST

pollution in industrial area Kala Amb: काला अंब के ग्रामीण 17 किलोमीटर का पैदल मार्च कर अपनी समस्याओं का पुलिंदा लेकर डीसी कार्यालय नाहन पहुंचे. ये ग्रामीण औद्योगिक क्षेत्र कालाअंबा में फैक्ट्रियों-कारखानों के प्रदूषण से परेशान हैं. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द उनकी समस्याओं समाधान न होने पर उन्हें भूख हड़ताल पर बैठना पड़ेगा.

डीसी कार्यालय नाहन पहुंचे लोग
समस्या लेकर डीसी कार्यालय नाहन पहुंचे लोग (ईटीवी भारत)

कारखानों के कचरे से जीना हुआ मुश्किल (ईटीवी भारत)

नाहन: प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में शुमार कालाअंब में बढ़ते प्रदूषण और यहां की विभिन्न समस्याओं को लेकर जिला परिषद सदस्य के साथ मिलकर कुछ ग्रामीण 17 किलोमीटर का पैदल मार्च कर नाहन पहुंचे. यहां ग्रामीणों ने डीसी सिरमौर सुमित खिमटा को एक ज्ञापन सौंप समस्याओं के समाधान की गुहार लगाई. यही नहीं लोगों ने 10 दिन के भीतर समस्याओं को लेकर उचित कदम न उठाने पर डीसी कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल पर बैठने की चेतावनी भी दे डाली.

कालाअंब निवासी दिनेश अग्रवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 'वो अपनी समस्याओं को लेकर काला अंब से पैदल मार्च कर डीसी कार्यालय पहुंचे हैं. औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब में जिस तरह से गंदगी का आलम है, वहां आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. हम भी इंसान हैं ऐसे माहौल में रहना किसी यातना से कम नहीं है. प्रदूषण फैला रहे कुछ उद्योगों के मालिकों से पत्राचार, बैठकों और फोन के माध्यम से भी अवगत करवाया गया कि उद्योगों के कचरे को सड़कों पर फेंका जा रहा है. कहीं भूस पड़ा है, कहीं चूना, तो कहीं उद्योगों की राख के ढेर देख जा सकते हैं. यहीं नहीं लोहा उद्योग भी इस तरह से धुआं छोड़ते हैं कि वाहन चालकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में हादसे का भी खतरा बना रहता है.'

लोगों के मुताबिक कालाअंब पंचायत के वार्डों, गांवों में व्यवस्था चरमरा कर रह गई है. हर जगह पर उद्योगों की गंदगी देखी जा सकती है. थोड़ी सी बरसात में भी उद्योगों का गंदा पानी सड़क पर छोड़ दिया जाता है. समस्याओं के समाधान के लिए मौसम खराब होने के कारण कुछ लोग ही नाहन पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि करोड़ों रूपए औद्योगिक क्षेत्र से राजस्व सरकार को जाता है, लेकिन यहां के स्थानीय लोगों की चिंता सरकार नहीं कर रही है. उन्होंने प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि यदि जल्द समस्याओं के समाधान को लेकर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो 10 दिनों के बाद काफी संख्या में लोग यहां पहुंचकर डीसी कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल करने को विवश होंगे.

लोगों ने यह भी कहा कि कालाअंब से त्रिलोकपुर सड़क की हालत भी खस्ताहाल है. त्रिलोकपुर में उत्तर भारत का प्रसिद्ध माता बालासुंदरी मंदिर है. बावजूद इसके सड़क की हालत को सुधारा नहीं जा रहा है. अक्सर गड्ढों को मिट्टी से भर दिया जाता है. लोगों ने जल्द से जल्द समस्याओं के समाधान की मांग की है. उधर डीसी सिरमौर सुमित खिमटा ने लोगों को इस मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि उक्त समस्याओं को लेकर संबंधित विभागों का उचित दिशा निर्देश दिए जाएंगे.

ये भी पढ़ें: दक्षिण भारत हुआ सिरमौर के लहसुन के स्वाद का 'दीवाना', राजस्थान-गुजरात तक भी डिमांड

कारखानों के कचरे से जीना हुआ मुश्किल (ईटीवी भारत)

नाहन: प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में शुमार कालाअंब में बढ़ते प्रदूषण और यहां की विभिन्न समस्याओं को लेकर जिला परिषद सदस्य के साथ मिलकर कुछ ग्रामीण 17 किलोमीटर का पैदल मार्च कर नाहन पहुंचे. यहां ग्रामीणों ने डीसी सिरमौर सुमित खिमटा को एक ज्ञापन सौंप समस्याओं के समाधान की गुहार लगाई. यही नहीं लोगों ने 10 दिन के भीतर समस्याओं को लेकर उचित कदम न उठाने पर डीसी कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल पर बैठने की चेतावनी भी दे डाली.

कालाअंब निवासी दिनेश अग्रवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 'वो अपनी समस्याओं को लेकर काला अंब से पैदल मार्च कर डीसी कार्यालय पहुंचे हैं. औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब में जिस तरह से गंदगी का आलम है, वहां आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. हम भी इंसान हैं ऐसे माहौल में रहना किसी यातना से कम नहीं है. प्रदूषण फैला रहे कुछ उद्योगों के मालिकों से पत्राचार, बैठकों और फोन के माध्यम से भी अवगत करवाया गया कि उद्योगों के कचरे को सड़कों पर फेंका जा रहा है. कहीं भूस पड़ा है, कहीं चूना, तो कहीं उद्योगों की राख के ढेर देख जा सकते हैं. यहीं नहीं लोहा उद्योग भी इस तरह से धुआं छोड़ते हैं कि वाहन चालकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में हादसे का भी खतरा बना रहता है.'

लोगों के मुताबिक कालाअंब पंचायत के वार्डों, गांवों में व्यवस्था चरमरा कर रह गई है. हर जगह पर उद्योगों की गंदगी देखी जा सकती है. थोड़ी सी बरसात में भी उद्योगों का गंदा पानी सड़क पर छोड़ दिया जाता है. समस्याओं के समाधान के लिए मौसम खराब होने के कारण कुछ लोग ही नाहन पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि करोड़ों रूपए औद्योगिक क्षेत्र से राजस्व सरकार को जाता है, लेकिन यहां के स्थानीय लोगों की चिंता सरकार नहीं कर रही है. उन्होंने प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि यदि जल्द समस्याओं के समाधान को लेकर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो 10 दिनों के बाद काफी संख्या में लोग यहां पहुंचकर डीसी कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल करने को विवश होंगे.

लोगों ने यह भी कहा कि कालाअंब से त्रिलोकपुर सड़क की हालत भी खस्ताहाल है. त्रिलोकपुर में उत्तर भारत का प्रसिद्ध माता बालासुंदरी मंदिर है. बावजूद इसके सड़क की हालत को सुधारा नहीं जा रहा है. अक्सर गड्ढों को मिट्टी से भर दिया जाता है. लोगों ने जल्द से जल्द समस्याओं के समाधान की मांग की है. उधर डीसी सिरमौर सुमित खिमटा ने लोगों को इस मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि उक्त समस्याओं को लेकर संबंधित विभागों का उचित दिशा निर्देश दिए जाएंगे.

ये भी पढ़ें: दक्षिण भारत हुआ सिरमौर के लहसुन के स्वाद का 'दीवाना', राजस्थान-गुजरात तक भी डिमांड

Last Updated : Jul 3, 2024, 8:05 PM IST
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