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देहरादून से 20 किमी दूर सरखेत में आपदा है सबसे बड़ी परेशानी, समस्याओं का है अंबार, सुनें ग्रामीणों की पुकार - Lok Sabha elections 2024

LOK SABHA ELECTIONS 2024 उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होना है, जिसको लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां, प्रचार- प्रसार में जुटी हुई हैं, ताकि मतदाताओं से अपने पक्ष में मतदान कराया जा सके, लेकिन मौजूदा चुनाव में मतदाता भी काफी साइलेंट नजर आ रहे हैं. हर चुनाव की तरह इस चुनाव में मतदाता बढ़-चढ़कर किसी भी पार्टी का समर्थन करते दिखाई नहीं दे रहे हैं. ऐसे में यह चुनाव बेहद ही दिलचस्प होने की संभावना है.

LOK SABHA ELECTIONS 2024
सरखेत में लगा समस्याओं का अंबार
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 13, 2024, 10:07 PM IST

Updated : Apr 15, 2024, 6:19 PM IST

सरखेत में लगा समस्याओं का अंबार

देहरादून: लोकसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया है. ऐसे में ग्रामीणों की राय और उनके क्षेत्र की समस्याओं को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम राजधानी से करीब 20 किलोमीटर दूर सरखेत गांव पहुंची, जहां स्थानीय ग्रामीणों से तमाम समस्याओं और उनके चुनावीं मुद्दों पर बातचीत की. बता दें कि सरखेत गांव, देहरादून जिले का एक पिछड़ा गांव है, जहां की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. इस गांव में साल 2022 में आपदा आई थी, जिसके बाद भारी तबाही मची थी. बरसाती सीजन के दौरान ग्रामीणों की समस्याएं और अधिक बढ़ जाती हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए ग्रामीणों ने तमाम समस्याओं को बताया. जिसमें मुख्य रूप से ग्रामीण अभी से बरसाती सीजन में होने वाली दिक्कतों से परेशान नजर आ रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान स्थिति यह है कि ग्रामीणों को शहर जाने में काफी अधिक पैदल चलना पड़ता है, लेकिन जब बरसात का सीजन शुरू होता है, तो वह गांव में कैद हो जाते हैं, क्योंकि आने-जाने का रास्ता नहीं है. उन्होंने कहा कि पीने के पानी की व्यवस्था, स्कूल की व्यवस्था समेत तमाम दिक्कतों से अभी भी दो-चार होना पड़ रहा है.

साल 2022 में आपदा आने के बाद उनकी कृषि भूमि पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. साथ ही पानी की किल्लत होने की वजह से कृषक भूमि पर सिंचाई भी नहीं कर पा रहे हैं. सबसे अहम बात यह है कि इस गांव में जाने के लिए कोई बेहतर रास्ता नहीं है. आपदा आने के बाद अत्यधिक मलबा आने के चलते सड़कें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई हैं. ऐसे में इन ग्रामीणों को शहर आने के लिए मलबे के ऊपर से ही चलकर आना पड़ता है. इन तमाम स्थानीय समस्याओं को देखते हुए ग्रामीणों का कहना है कि 19 अप्रैल को होने वाले मतदान के दौरान इन तमाम समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ही वो मतदान करेंगे.

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने आज तक अपनी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह को देखा नहीं है. साल 2019 में माला राज्य लक्ष्मी शाह एक बार वोट मांगने के लिए वहां पहुंची थी, लेकिन उसके बाद जब उस क्षेत्र में आपदा आई, तो उस दौरान भी सांसद गायब थी और अभी भी मौजूद सांसद उस क्षेत्र से गायब हैं. कुल मिलाकर स्थानीय मुद्दों के साथ ही राष्ट्रीय मुद्दे भी इन ग्रामीणों पर हावी हैं, लेकिन मतदान के दौरान यह ग्रामीण स्थानीय मुद्दों को ही ध्यान में रखते हुए मतदान करेंगे.

वहीं, सरखेत में सड़क और सार्वजनिक परिवहन के अभाव के सवाल पर देहरादून जिलाधिकारी सोनिका ने कहा उस क्षेत्र में साल 2022 में आपदा आई थी, जिसके चलते उस क्षेत्र की सड़कों को काफी नुकसान हुआ था. ऐसे में उस क्षेत्र में सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है. जिसके बाद स्थानीय लोगों को आवाजाही में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी. यही नहीं, वाहनों में जानवरों की तरह लोगों को भरकर लाने ले-जाने के सवाल पर डीएम ने कहा यह जांच का विषय है. उन्होंने कहा लोगों को भी अपना ख्याल रखना चाहिए, उन्हें सावधानियां भी बरतनी चाहिए.

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सरखेत में लगा समस्याओं का अंबार

देहरादून: लोकसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया है. ऐसे में ग्रामीणों की राय और उनके क्षेत्र की समस्याओं को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम राजधानी से करीब 20 किलोमीटर दूर सरखेत गांव पहुंची, जहां स्थानीय ग्रामीणों से तमाम समस्याओं और उनके चुनावीं मुद्दों पर बातचीत की. बता दें कि सरखेत गांव, देहरादून जिले का एक पिछड़ा गांव है, जहां की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. इस गांव में साल 2022 में आपदा आई थी, जिसके बाद भारी तबाही मची थी. बरसाती सीजन के दौरान ग्रामीणों की समस्याएं और अधिक बढ़ जाती हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए ग्रामीणों ने तमाम समस्याओं को बताया. जिसमें मुख्य रूप से ग्रामीण अभी से बरसाती सीजन में होने वाली दिक्कतों से परेशान नजर आ रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान स्थिति यह है कि ग्रामीणों को शहर जाने में काफी अधिक पैदल चलना पड़ता है, लेकिन जब बरसात का सीजन शुरू होता है, तो वह गांव में कैद हो जाते हैं, क्योंकि आने-जाने का रास्ता नहीं है. उन्होंने कहा कि पीने के पानी की व्यवस्था, स्कूल की व्यवस्था समेत तमाम दिक्कतों से अभी भी दो-चार होना पड़ रहा है.

साल 2022 में आपदा आने के बाद उनकी कृषि भूमि पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. साथ ही पानी की किल्लत होने की वजह से कृषक भूमि पर सिंचाई भी नहीं कर पा रहे हैं. सबसे अहम बात यह है कि इस गांव में जाने के लिए कोई बेहतर रास्ता नहीं है. आपदा आने के बाद अत्यधिक मलबा आने के चलते सड़कें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई हैं. ऐसे में इन ग्रामीणों को शहर आने के लिए मलबे के ऊपर से ही चलकर आना पड़ता है. इन तमाम स्थानीय समस्याओं को देखते हुए ग्रामीणों का कहना है कि 19 अप्रैल को होने वाले मतदान के दौरान इन तमाम समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ही वो मतदान करेंगे.

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने आज तक अपनी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह को देखा नहीं है. साल 2019 में माला राज्य लक्ष्मी शाह एक बार वोट मांगने के लिए वहां पहुंची थी, लेकिन उसके बाद जब उस क्षेत्र में आपदा आई, तो उस दौरान भी सांसद गायब थी और अभी भी मौजूद सांसद उस क्षेत्र से गायब हैं. कुल मिलाकर स्थानीय मुद्दों के साथ ही राष्ट्रीय मुद्दे भी इन ग्रामीणों पर हावी हैं, लेकिन मतदान के दौरान यह ग्रामीण स्थानीय मुद्दों को ही ध्यान में रखते हुए मतदान करेंगे.

वहीं, सरखेत में सड़क और सार्वजनिक परिवहन के अभाव के सवाल पर देहरादून जिलाधिकारी सोनिका ने कहा उस क्षेत्र में साल 2022 में आपदा आई थी, जिसके चलते उस क्षेत्र की सड़कों को काफी नुकसान हुआ था. ऐसे में उस क्षेत्र में सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है. जिसके बाद स्थानीय लोगों को आवाजाही में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी. यही नहीं, वाहनों में जानवरों की तरह लोगों को भरकर लाने ले-जाने के सवाल पर डीएम ने कहा यह जांच का विषय है. उन्होंने कहा लोगों को भी अपना ख्याल रखना चाहिए, उन्हें सावधानियां भी बरतनी चाहिए.

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Last Updated : Apr 15, 2024, 6:19 PM IST
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