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बाढड़ा विधानसभा के गांव रामलवास में ग्रामीणों ने किया मतदान का बहिष्कार - Villagers boycotted voting

अवैध माइनिंग व जल दोहन के खिलाफ चरखी दादरी के बाढड़ा विधानसभा के गांव रामलवास में ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया है.

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 2 hours ago

VILLAGERS BOYCOTTED VOTING
रामलवास में मतदान का बहिष्कार (Etv Bharat)

चरखी दादरी: बाढड़ा विधानसभा के गांव रामलवास में अवैध माइनिंग व जल दोहन के खिलाफ ग्रामीणों में रोष बरकरार है. ग्रामीणों ने जहां चुनाव का बहिष्कार का फैसला लिया, वहीं प्रशासन पर ठोस कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया.

सरपंच प्रतिनिधि विनोद कुमार की अध्यक्षता में ग्रामीण गांव के मतदान केंद्र के बाहर डेरा डाले हुए हैं. मतदान के दिन दोपहर तक कोई भी ग्रामीण मतदान करने नहीं पहुंचा. वहीं प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को समझाने का भी प्रयास किया गया. बावजूद इसके किसी भी ग्रामीण ने वोट नहीं डाला.

रामलवास में मतदान का बहिष्कार (Etv Bharat)

अवैध माइनिंग व जल दोहन के खिलाफ कर रहे धरना : बता दें कि रामलवास के ग्रामीण अवैध माइनिंग व जल दोहन के खिलाफ बीते करीब एक माह से धरने पर बैठे हुए हैं. ग्रामीणों की मांग है कि अवैध माइनिंग व जल दोहन के कारण भूमिगत जलस्तर लगातार गहराता चला जा रहा है और पेयजल की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. भविष्य में उन पर पेयजल संकट का खतरा मंडराने लगा है. इसी के चलते वे अवैध माइनिंग व जलदोहन पर रोक लगाने के लिए धरना दे रहे हैं.

प्रशासन की भी नहीं सुनी ग्रामीणों ने : ग्रामीणों की ओर से इस मामले में संबंधित सभी विभागों को अवगत किया जा चुका है और प्रशासनिक अधिकारियों से भी बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन सिवाय आश्वासन के उन्हें कुछ नहीं मिला है, जिसके चलते ग्रामीण मतदान का बहिष्कार कर रहे हैं. गांव रामलवास में 1083 वोटर हैं और प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को समझाने का प्रयास भी किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें : हरियाणा की सभी 90 सीटों पर कौन जीतेगा चुनावी "दंगल", जानिए क्या है पूरे समीकरण ? - HARYANA ELECTION 2024

किसी भी नेता ने गांव में नहीं किया प्रचार : गांव के सरपंच प्रतिनिधि विनोद कुमार ने बताया कि अवैध जल दोहन व अवैध माइनिंग का समाधान नहीं हुआ. जिसके चलते ग्रामीणों की ओर से मतदान का बहिष्कार किया गया है. प्रशासन की ओर से 8 अक्टूबर के बाद उनकी मांग पूरी करने का आश्वासन मिला था, लेकिन ग्रामीण उससे संतुष्ट नहीं हैं और मतदान का बहिष्कार करने के निर्णय पर अडिग हैं. चुनाव के बहिष्कार के निर्णय के साथ नेताओं की एंट्री भी गांव में बैन कर दी थी. जिसके चलते उनके गांव में किसी भी नेता ने पहुंचकर प्रचार नहीं किया.

चरखी दादरी: बाढड़ा विधानसभा के गांव रामलवास में अवैध माइनिंग व जल दोहन के खिलाफ ग्रामीणों में रोष बरकरार है. ग्रामीणों ने जहां चुनाव का बहिष्कार का फैसला लिया, वहीं प्रशासन पर ठोस कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया.

सरपंच प्रतिनिधि विनोद कुमार की अध्यक्षता में ग्रामीण गांव के मतदान केंद्र के बाहर डेरा डाले हुए हैं. मतदान के दिन दोपहर तक कोई भी ग्रामीण मतदान करने नहीं पहुंचा. वहीं प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को समझाने का भी प्रयास किया गया. बावजूद इसके किसी भी ग्रामीण ने वोट नहीं डाला.

रामलवास में मतदान का बहिष्कार (Etv Bharat)

अवैध माइनिंग व जल दोहन के खिलाफ कर रहे धरना : बता दें कि रामलवास के ग्रामीण अवैध माइनिंग व जल दोहन के खिलाफ बीते करीब एक माह से धरने पर बैठे हुए हैं. ग्रामीणों की मांग है कि अवैध माइनिंग व जल दोहन के कारण भूमिगत जलस्तर लगातार गहराता चला जा रहा है और पेयजल की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. भविष्य में उन पर पेयजल संकट का खतरा मंडराने लगा है. इसी के चलते वे अवैध माइनिंग व जलदोहन पर रोक लगाने के लिए धरना दे रहे हैं.

प्रशासन की भी नहीं सुनी ग्रामीणों ने : ग्रामीणों की ओर से इस मामले में संबंधित सभी विभागों को अवगत किया जा चुका है और प्रशासनिक अधिकारियों से भी बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन सिवाय आश्वासन के उन्हें कुछ नहीं मिला है, जिसके चलते ग्रामीण मतदान का बहिष्कार कर रहे हैं. गांव रामलवास में 1083 वोटर हैं और प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को समझाने का प्रयास भी किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें : हरियाणा की सभी 90 सीटों पर कौन जीतेगा चुनावी "दंगल", जानिए क्या है पूरे समीकरण ? - HARYANA ELECTION 2024

किसी भी नेता ने गांव में नहीं किया प्रचार : गांव के सरपंच प्रतिनिधि विनोद कुमार ने बताया कि अवैध जल दोहन व अवैध माइनिंग का समाधान नहीं हुआ. जिसके चलते ग्रामीणों की ओर से मतदान का बहिष्कार किया गया है. प्रशासन की ओर से 8 अक्टूबर के बाद उनकी मांग पूरी करने का आश्वासन मिला था, लेकिन ग्रामीण उससे संतुष्ट नहीं हैं और मतदान का बहिष्कार करने के निर्णय पर अडिग हैं. चुनाव के बहिष्कार के निर्णय के साथ नेताओं की एंट्री भी गांव में बैन कर दी थी. जिसके चलते उनके गांव में किसी भी नेता ने पहुंचकर प्रचार नहीं किया.

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