नई दिल्ली: नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने LG से मुलाकात कर दिल्ली में 24 अस्पतालों में हुए निर्माण कार्यों में वित्तीय अनियमिताओं की शिकायत की है. गुप्ता ने आम आदमी पार्टी सरकार के स्वास्थ्य मॉडल को झूठा और आडंबर बताते हुए इसे भ्रष्टाचार का केंद्र बताया है. उपराज्यपाल से मिलकर उन्होंने इसमें आम आदमी पार्टी के नेताओं की संलिप्तता की जांच करने का अनुरोध किया है.
नेता विपक्ष ने कहा कि 5,590 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृत 24 अस्पताल परियोजनाओं में से कई अभी तक अधूरी पड़ी हैं, जिस कारण इनकी लागत में बेतहाशा वृद्धि हुई है. उन्होंने बताया कि 1,125 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले सात आईसीयू अस्पतालों के निर्माण में भारी वित्तीय अनियमितताएं बरती गईं और करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया गया. उन्होंने कहा कि आज तीन साल बीत जाने के बावजूद इन अस्पतालों का निर्माण कार्य 50 फीसदी ही हुआ है, जिससे इनकी निर्माण लागत में दोगुनी से ज्यादा बढ़ोतरी हो गई है.
इसी तरह 94 पॉलीक्लिनिक के निर्माण के बारे में विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि 94 में से केवल 52 पॉलीक्लिनिक ही बनाए गए हैं. इसके बावजूद, इन 52 पोलीक्लीनिक्स की निर्माण लागत अप्रत्याशित रूप से 168.58 करोड़ रुपये से बढ़कर 220 करोड़ रुपये हो गई है और इनमें से अधिकांश पॉलीक्लिनिक अब खाली पड़े हैं. उन्होंने एलएनजेपी अस्पताल में एक ब्लॉक के निर्माण में भी धांधली का आरोप लगाया है. इस ब्लॉक के निर्माण का ठेका 465 करोड़ रुपये था. लेकिन काम चार साल में 60 प्रतिशत भी पूरा नहीं हुआ और लागत बढ़कर 1,125 करोड़ रुपये हो गई और काम पिछले छह महीने से ठप पड़ा है.
नेता विपक्ष ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोपः नेता विपक्ष ने कहा कि न केवल निर्माण कार्यों में बल्कि अस्पताल के प्रबंधन तक में भी जहां जहां मौका मिला जमकर भ्रष्टाचार किया गया. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने अस्पताल सूचना प्रबंधन प्रणाली (HIMS) नाम से एक सॉफ्टवेयर बनाया हुआ है, जिसका प्रयोग सभी एम्स और केंद्रीय अस्पतालों में किया जा रहा है. लेकिन दिल्ली सरकार ने आठ साल बीत जाने के बावजूद इसका इस्तेमाल नहीं किया और अपना अलग से सॉफ्टवेयर बनवाया जिस पर 130 करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए गए. जबकि, केंद्र सरकार का सॉफ्टवेयर बिल्कुल फ्री था.
लैब सेवाओं को आउटसोर्स करके भ्रष्टाचार किया गयाः दिल्ली सरकार केंद्र सरकार द्वारा दिये गए फंड का उपयोग करने में भी विफल रही है, विशेष रूप से पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (PM-ABHIM) के तहत राज्य के लिए स्वीकृत किये गए 2,406 करोड़ रुपये का उपयोग नहीं किया गया. इस पैसे से आधुनिक लैब्स और आईसीयू सेंटर्स बनाये जाने थे. लेकिन इस पैसे का उपयोग ना करके दिल्ली सरकार ने अपने अस्पतालों की लैब सेवाओं को आउटसोर्स कर दिया, जिसमें मोटा भ्रष्टाचार किया गया.
ACB भी कर रही मामले की जांचः बता दें, विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता व अन्य बीजेपी विधायकों ने इस स्वास्थ्य घोटाले की जांच के लिए 22 अगस्त को एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) के प्रमुख से भी मिले थे. तमाम दस्तावेजों के साथ इसकी शिकायत की थी और एसीबी ने इसकी जांच भी शुरू कर दी है. यही शिकायत केन्द्रीय सतर्कता आयोग को भी दी जा चुकी है.
ये भी पढ़ें- खबर का असर: दिल्ली के प्राइवेट अस्पताल में बंधक बने नवजातों को पुलिस ने छुड़ाया, 13 लाख कराए माफ
ये भी पढ़ें- LNJP अस्पताल में डेंगू और मंकी पॉक्स के मामले आने के बाद जायजा लेने पहुंचे मंत्री सौरभ भारद्वाज