विदिशा: मध्य प्रदेश में विदिशा के एक मुक्तिधाम की तस्वीर आपको सोचने के लिए मजबूर कर देगी. देश और प्रदेश को कई महत्वपूर्ण नेता देने वाले इस जिले में मुक्तिधाम तक जाने के लिए रास्ता नहीं है. पूरी जिंदगी कठिनाईयों से लड़ते, गिरते, संभलते हुए इंसान की मौत के बाद उसके शव को अंतिम संस्कार के लिए इससे कहीं ज्यादा कठिनाईयों को झेलना पड़ रहा है. बरसात के मौसम में हालात बद से बदतर हो जाते हैं. कई बार तो कंधों से अर्थियों के गिरने की नौबत तक आ गई है. हालांकि, प्रशासन अब कुंभकर्णी नींद से थोड़ा सा जगा है और फिलहाल के लिए टेंपरेरी सुधार करने की बात कही है.
कई दिग्गज यहां से संसद का सफर तय कर चुके हैं
मध्य प्रदेश का विदिशा एक महत्वपूर्ण जिला है. यह जिला राजनैतिक लिहाज से पूरे देश के लिए अहम है और इसकी देश भर में पहचान है. कारण यह है कि प्रदेश और देश की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने वाले कई नेताओं को यहां की जनता ने जिताकर सदन भेजा है. विदिशा लोकसभा क्षेत्र से देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी संसद का सफर तय कर चुके हैं. एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान 6 बार यहां से सांसद चुने जा चुके हैं. 1991 से 2004 तक लगातार पांच बार चुनाव जीते थें. इसके अलावा वर्तमान में भी यहां से सांसद हैं. पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय मंत्री सुषमा स्वराज 2009 और 2014 में लगातार यहां से दो बार सांसद रह चुकी हैं.
कंधों से अर्थियां गिरने की आ जाती है नौबत
देश-प्रदेश को इतने बड़े-बड़े दिग्गज नेता देने वाले विदिशा में आज भी मुक्तिधाम जाने के लिए ढंग का रास्ता नहीं है. मुक्तिधाम तो बना दिया गया लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है. जिले में किसी की मौत हो जाती है तो उसके अंतिम संस्कार के लिए परिजन यहां लेकर आते हैं. साल के बाकी दिनों में तो उबड़-खाबड़ रास्ते से मुक्तिधाम तक पहुंच जाते हैं लेकिन बरसात के मौसम में हालात बेहद खराब हो जाते हैं. मुक्तिधाम से करीब 100 मीटर पहले का रास्ता बेहद खराब हो गया है. रास्ते पर मिट्टी जमा हो जाने की वजह से रास्ते में गाड़ियों के पहिए से बडे़-बड़े गढ्ढे हो जाते हैं पूरा रास्ता कीचड़ से भर जाता है. कंधे पर अर्थी लेकर इस रास्ते से चलना मुश्किल हो जाता है. कई बार तो कंधे से अर्थियां गिरने तक की नौबत आ गई है.
बारिश शुरू होते ही हाल बदतर हो जाते
गढ्ढे में सड़क है या सड़क में गढ्ढा इस पहेली को हमेशा के लिए खत्म करने का वादा तो हर जनप्रतिनिधी करता है, लेकिन अभी तक यह वादा ही साबित हो रहा है. मुक्तिधाम शव लेकर आए एक परिजन ने बताया कि, मुक्तिधाम जाने वाले रास्ते की हालत बद से बदतर हो गई है. विकास का दावा करने वालों ने इसको नर्क बना दिया है. यह इलाका नगर पालिका में आता है लेकिन इसकी स्थिती गांव से भी खराब है. स्थानीय निवासी राजा राजपूत ने बताया कि, यहां हम प्रतिदिन लोगों को शव लाता हुए देखते हैं. बारिश शुरू होते ही हालात बद से बदतर हो जाते हैं. उसने बताया कि कच्चे रास्ते को बनवाने के लिए जब हमने वार्ड पार्षद कपिल साहू से कहा तो उनका कहना था कि अभी रोड सेंक्शन नहीं हुआ है. वार्ड पार्षद के इस रवैये से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह रास्ता कैसे लगातार जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार हो रहा है.
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'बारिश के बाद रोड बनाया जाएगा'
नगर पालिका सीएमओ अनिल बिदुआ ने ईटीवी भारत से बात करते हुए रास्ते में टेंपरेरी सुधार लाने की बात कही. उन्होंने कहा कि, फिलहाल शव वाहन और अर्थी ठीक से निकल जाए इसके लिए रास्ते पर मालवा डलवा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बारिश के मौसम में रास्ते में कीचड़ और उससे होने वाली परेशानियों की बात को स्वीकार करते हुए उन्होंने बारिश के बाद रोड़ बनवाने की बात कही. सीएमओ ने कहा कि, बारिश के बाद इस रोड को बनाया जाएगा. इसके लिए स्टीमेट बन रहा है. विदिशा शहरी तहसीलदार अमित सिंह ने भी खराब रास्ते की बात स्वीकार करते हुए कहा कि, यह अतिसंवेदनशील मामला है जो मानवीय भावनाओं से जुड़ा है. विदिशा के मुख्य नगर पालिका अधिकारी को निर्देशित कर मार्ग को ठीक करवा दिया जाएगा.