विदिशा: धनतेरस के शुभ अवसर पर लोग सोने चांदी आदि के आभूषण और बर्तन खरीदते हैं. बताया जाता है कि सैकड़ों सालों से विदिशा व्यापार का एक प्रमुख केंद्र रहा है. यहां के बैस नगर जो बेतवा नदी और बेस नदी के बीच और उदयगिरि की पहाड़ियों के पास स्थित है, वह व्यापारिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र था. आज भी यहां इस परंपरा का असर दिखाई देता है. धनतेरस के मौके पर यहां बड़े पैमाने पर व्यापार होता है.
धनतेरस पर जमकर हुई खरीदारी
सैकड़ों वर्ष पूर्व से यहां के व्यापारी भगवान कुबेर और उनकी पत्नी यक्षिणी की पूजा करते आए थे. बताया जाता है उन्होंने कुबेर के बड़ी-बड़ी प्रतिमा भी बनवाई थीं. जो आज विदिशा के पुरातत्व संग्रहालय में मौजूद हैं. आज भी यहां यदा-कदा बेशकीमती धातुओं के सिक्के आदि मिलते रहते हैं. इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज भी लोग धनतेरस पर खूब जमकर खरीदारी करते हैं. यही वजह है कि सर्राफा बाजार में धनतेरस पर काफी भीड़ होती है.
प्राचीन सिक्के का करते हैं पूजा
इतिहासकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट गोविंद देवलिया ने बताया कि "क्षेत्र में कई जगह सिक्के छोटी-छोटी यक्ष आदि की मूर्तियां, और अन्य बर्तन के टूटे हुए हिस्से पाए जाते हैं. कई संग्रहक लोग सिक्के आदि को एकत्रित करते हैं. कुछ लोगों के पास प्राचीन सिक्के का स्टॉक होता है, लोगों की पहली कोशिश इन सिक्को को ही खरीदना रहता है. धनतेरस पर प्राचीन सिक्कों की पूजा करते हैं."
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सोना चांदी खरीदना शुभ मानते हैं
ज्वेलर्स संचालक राजीव जैन बताया कि "धनतेरस पर सोना, चांदी, सिक्के खरीदना शुभ माना जाता है. घर पर कुबेर की पूजा की जाती हैं." वहीं, दुकानदार विकास ताम्रकार ने बताया कि "ये पुरानी परंपरा है, धनतेरस के दिन बर्तन, सोने, चांदी, तांबा और स्टील बर्तन जैसी जिसकी क्षमता होती है, वह अपने हिसाब से लेता है." खरीदारी कर रहे ग्राहक छोटू बताते हैं "धनतेरस के दिन माना जाता है नया बर्तन लेने से शुभ और धन वृद्धि होती है."