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पीएम नरेंद्र मोदी से हारकर भी खुश हैं अजय राय, बनाया नया रिकॉर्ड, 72 साल बाद किया ये कारनामा - Ajay Rai Vs PM Modi

लोकसभा चुनाव 2024 में वाराणसी लोकसभा सीट से एक बार फिर से अजय राय पीएम मोदी से हार गए. हालांकि उनकी यह हार कई मायने में पार्टी समेत खुद उन्हें भी बड़ी राहत देने वाली रही. लगातार हार के बावजूद अजय राय का वोट प्रतिशत बढ़ता रहा है.

अजय राय ने वाराणसी सीट पर इस बार पीएम मोदी को कड़ी टक्कर दी.
अजय राय ने वाराणसी सीट पर इस बार पीएम मोदी को कड़ी टक्कर दी. (PHOTO Credit; Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 7, 2024, 8:08 AM IST

Updated : Jun 7, 2024, 1:52 PM IST

वाराणसी : वाराणसी लोकसभा सीट के लोकसभा चुनाव के नतीजों ने इस बार पूरे देश को चौंकाया है. काशी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीते तो जरूर, लेकिन अजय राय की हार की चर्चा सबसे अधिक हो रही है. इसकी वजह है पीएम मोदी की वोटों की जीत का अंतर कम होना, और अजय राय का वोट प्रतिशत बढ़ना. इस बार मोदी की जीत का मार्जिन. 1,52,513 रहा. जबकि पीएम मोदी को रिकॉर्ड वोटों से जिताने के लिए भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया था. वहीं कांग्रेस नेता अजय राय अपनी हार से भी खुश हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जबरदस्त टक्कर दी है. इस सीट पर आजादी के बाद से साल 1952 से अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं, उनमें से अब तक किसी भी कांग्रेस प्रत्याशी ने अजय राय जितना वोट प्रतिशत नहीं हासिल किया है.

यूपी में इस बार इंडी गठबंधन ने जोरदार वापसी की है.
यूपी में इस बार इंडी गठबंधन ने जोरदार वापसी की है. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

जी हां! वाराणसी सीट पर 72 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस के खाते में अधिक वोट प्रतिशत आया है. कांग्रेस को बनारस में हर वर्ग का वोट मिला है, जबकि भाजपा का परंपरागत वोटर भी इस बार कांग्रेस की ओर चला गया या फिर वोट देने के लिए निकला ही नहीं है. ये वही अजय राय हैं जो साल 2009 से लोकसभा चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं. साल 2014 और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने चुनाव लड़ा है. मगर उनकी हार ऐसी हुई कि जमानत जब्त हो गई. सवाल उठने लगे कि राय सिर्फ वोट काटने का काम कर रहे हैं.

वाराणसी में कितनी बार जीती है कांग्रेस? : वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत ने भारतीय जनता पार्टी के हिस्से में एक और रिकॉर्ड जोड़ दिया है. वाराणसी में साल 1952 से लेकर 2024 तक के चुनाव में वाराणसी सीट पर साल 1952 से आम चुनाव हो रहे हैं. तब से लेकर आज तक 17 चुनाव हो चुके हैं. इसमें से 1952, 1957, 1962, 1971, 1980, 1984 और 2004 का चुनाव कांग्रेस जीत सकी है. यानी कुल सात बार कांग्रेस ने वाराणसी सीट पर जीत हासिल की है. वहीं भाजपा ने 1991, 1996, 1998, 1999, 2009, 2014, 2019 और अब 2024 में जीत हासिल की है. ऐसे में भाजपा ने कुल 8 बार वाराणसी की सीट पर जीत दर्ज कर ली है.

अजय राय ने वाराणसी सीट से नया रिकॉर्ड बनाया है.
अजय राय ने वाराणसी सीट से नया रिकॉर्ड बनाया है. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

कांग्रेस से ये प्रत्याशी दर्ज कर चुके हैं जीत : साल 1952, 1957, 1962, 1971, 1980, 1984 और 2004 तक वाराणसी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. इसमें से अधिक वोट से जीतने वाले प्रत्याशी में श्यामलाल का नाम आता है. वाराणसी सीट पर 1952 से 1966 तक कांग्रेस के सांसद रघुनाथ सिंह ने जीत दर्ज की थी. 1971 में पं. कमलापति त्रिपाठी, 1984 में श्यामलाल यादव और साल 2004 में डॉ. राजेश मिश्र चुनाव जीते थे. 1984 में श्यामलाल यादव ने 1,53,076 वोट से जीत दर्ज की थी. वहीं साल 1989 में श्यामलाल को 96,593 वोट मिले थे. इस दौरान वे दूसरे नंबर पर थे. उनके महज 22.44 फीसदी वोट मिला था. साल 2009 में राजेश मिश्रा को 66,386 वोट मिले थे.

अजय राय का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ता गया.
अजय राय का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ता गया. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

अजय राय ने कांग्रेस के लिए बंटोरे अधिक वोट प्रतिशत : 04 जून को आए चुनाव परिणाम ने यह तय कर दिया था कि अजय राय हार गए हैं. हालांकि वे चार राउंड तक आगे ही थे. बाद में वे पीछे होते चले गए. अजय राय को 4,60,457 वोट मिले हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 6,12,970 वोट मिले हैं. अजय राय को मिले वोटों का प्रतिशत 40.47 रहा है. यह वाराणसी लोकसभा चुनाव में किसी कांग्रेस नेता को 72 साल बाद मिला सबसे अधिक वोट प्रतिशत है. साल 2004 के चुनाव में राय को 2,06,094 वोट मिले थे. साल 2014 में 75,614 वोट मिले थे, जोकि 7.34 प्रतिशत था. वहीं साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अजय राय को 1,52,548 वोट मिले थे, जोकि 14.38 फीसदी था.

वर्ष कांग्रेस प्रत्याशी वोट
1952 रघुनाथ सिंह300000 (करीब)
1957रघुनाथ सिंह1,03,187
1962 रघुनाथ सिंह 1,04,682
1971 राजा राम शास्त्री 1,38,789
1980 पंडित कमलापति त्रिपाठी 1,29,063
1984 श्याम लाल यादव 1,53,076
1989श्याम लाल यादव96,593
1991लोकपति त्रिपाठी57,415
1996 दूध नाथ चतुर्वेदी22,579
1998डॉ रत्नाकर पांडेय64,154
1999 राजेश मिश्रा 1,56,96
2004राजेश मिश्रा 2,06,904
2009 राजेश मिश्रा66,386
2014 अजय राय75,614
2019अजय राय152548
2024 अजय राय4,60,457

वाराणसी में विश्वनाथ धाम वाली विधानसभा से पीएम मोदी को मिले सबसे कम वोट : बीजेपी का गढ़ कहा जाने वाला बनारस और उसका सबसे मजबूत किला शहर दक्षिणी विधानसभा बीजेपी के लिए कमजोर साबित हुआ है. हालांकि बाकी विधानसभा में पीएम मोदी को ठीक वोट मिले हैं लेकिन दक्षिणी विधानसभा में वोट भी कम मिले और अजय राय के साथ मार्जिन भी इसी विधानसभा में सबसे कम साबित हुआ है. शहर दक्षिणी में अपने प्रतिद्वंद्वी से नजदीकी फाइट होना नया नहीं है, क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में भी दूसरी बार यहां से चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी को भी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी किशन दीक्षित के साथ काफी ज्यादा जद्दोजहद करनी पड़ी थी. नीलकंठ यहां से 10000 से ज्यादा वोटो से जीते थे.

दक्षिणी विधानसभा में मतदाताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जहां 97878 वोट दिए तो वहीं अजय राय को भी 81732 वोट मिले हैं. यह इकलौती ऐसी विधानसभा है. जहां पर वोटों का अंतर 16146 है, जो अन्य विधानसभा में सबसे कम है. अन्य विधानसभाओं की बात करें तो कैंट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 145922 वोट मिले हैं जबकि अजय राय को 87645 वोट मिले हैं. इसी तरह अन्य विधानसभा में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अजय राय के बीच वोट का अंतर काफी ज्यादा रहा है, लेकिन शहर दक्षिणी विधानसभा जो बीजेपी का मजबूत किला है. वहां पर वोट का अंतर सबसे कम होना और प्रधानमंत्री मोदी को 1 लाख से कम वोट मिलना उनके जीत के अंतर को कम करने में बड़ा रोल अदा किया है.

यह भी पढ़ें : अखिलेश यादव आज पार्टी सांसदों की लगाएंगे क्लास, जनता के लिए मोदी-योगी सरकार से भिड़ने के देंगे टिप्स

वाराणसी : वाराणसी लोकसभा सीट के लोकसभा चुनाव के नतीजों ने इस बार पूरे देश को चौंकाया है. काशी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीते तो जरूर, लेकिन अजय राय की हार की चर्चा सबसे अधिक हो रही है. इसकी वजह है पीएम मोदी की वोटों की जीत का अंतर कम होना, और अजय राय का वोट प्रतिशत बढ़ना. इस बार मोदी की जीत का मार्जिन. 1,52,513 रहा. जबकि पीएम मोदी को रिकॉर्ड वोटों से जिताने के लिए भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया था. वहीं कांग्रेस नेता अजय राय अपनी हार से भी खुश हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जबरदस्त टक्कर दी है. इस सीट पर आजादी के बाद से साल 1952 से अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं, उनमें से अब तक किसी भी कांग्रेस प्रत्याशी ने अजय राय जितना वोट प्रतिशत नहीं हासिल किया है.

यूपी में इस बार इंडी गठबंधन ने जोरदार वापसी की है.
यूपी में इस बार इंडी गठबंधन ने जोरदार वापसी की है. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

जी हां! वाराणसी सीट पर 72 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस के खाते में अधिक वोट प्रतिशत आया है. कांग्रेस को बनारस में हर वर्ग का वोट मिला है, जबकि भाजपा का परंपरागत वोटर भी इस बार कांग्रेस की ओर चला गया या फिर वोट देने के लिए निकला ही नहीं है. ये वही अजय राय हैं जो साल 2009 से लोकसभा चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं. साल 2014 और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने चुनाव लड़ा है. मगर उनकी हार ऐसी हुई कि जमानत जब्त हो गई. सवाल उठने लगे कि राय सिर्फ वोट काटने का काम कर रहे हैं.

वाराणसी में कितनी बार जीती है कांग्रेस? : वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत ने भारतीय जनता पार्टी के हिस्से में एक और रिकॉर्ड जोड़ दिया है. वाराणसी में साल 1952 से लेकर 2024 तक के चुनाव में वाराणसी सीट पर साल 1952 से आम चुनाव हो रहे हैं. तब से लेकर आज तक 17 चुनाव हो चुके हैं. इसमें से 1952, 1957, 1962, 1971, 1980, 1984 और 2004 का चुनाव कांग्रेस जीत सकी है. यानी कुल सात बार कांग्रेस ने वाराणसी सीट पर जीत हासिल की है. वहीं भाजपा ने 1991, 1996, 1998, 1999, 2009, 2014, 2019 और अब 2024 में जीत हासिल की है. ऐसे में भाजपा ने कुल 8 बार वाराणसी की सीट पर जीत दर्ज कर ली है.

अजय राय ने वाराणसी सीट से नया रिकॉर्ड बनाया है.
अजय राय ने वाराणसी सीट से नया रिकॉर्ड बनाया है. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

कांग्रेस से ये प्रत्याशी दर्ज कर चुके हैं जीत : साल 1952, 1957, 1962, 1971, 1980, 1984 और 2004 तक वाराणसी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. इसमें से अधिक वोट से जीतने वाले प्रत्याशी में श्यामलाल का नाम आता है. वाराणसी सीट पर 1952 से 1966 तक कांग्रेस के सांसद रघुनाथ सिंह ने जीत दर्ज की थी. 1971 में पं. कमलापति त्रिपाठी, 1984 में श्यामलाल यादव और साल 2004 में डॉ. राजेश मिश्र चुनाव जीते थे. 1984 में श्यामलाल यादव ने 1,53,076 वोट से जीत दर्ज की थी. वहीं साल 1989 में श्यामलाल को 96,593 वोट मिले थे. इस दौरान वे दूसरे नंबर पर थे. उनके महज 22.44 फीसदी वोट मिला था. साल 2009 में राजेश मिश्रा को 66,386 वोट मिले थे.

अजय राय का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ता गया.
अजय राय का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ता गया. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

अजय राय ने कांग्रेस के लिए बंटोरे अधिक वोट प्रतिशत : 04 जून को आए चुनाव परिणाम ने यह तय कर दिया था कि अजय राय हार गए हैं. हालांकि वे चार राउंड तक आगे ही थे. बाद में वे पीछे होते चले गए. अजय राय को 4,60,457 वोट मिले हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 6,12,970 वोट मिले हैं. अजय राय को मिले वोटों का प्रतिशत 40.47 रहा है. यह वाराणसी लोकसभा चुनाव में किसी कांग्रेस नेता को 72 साल बाद मिला सबसे अधिक वोट प्रतिशत है. साल 2004 के चुनाव में राय को 2,06,094 वोट मिले थे. साल 2014 में 75,614 वोट मिले थे, जोकि 7.34 प्रतिशत था. वहीं साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अजय राय को 1,52,548 वोट मिले थे, जोकि 14.38 फीसदी था.

वर्ष कांग्रेस प्रत्याशी वोट
1952 रघुनाथ सिंह300000 (करीब)
1957रघुनाथ सिंह1,03,187
1962 रघुनाथ सिंह 1,04,682
1971 राजा राम शास्त्री 1,38,789
1980 पंडित कमलापति त्रिपाठी 1,29,063
1984 श्याम लाल यादव 1,53,076
1989श्याम लाल यादव96,593
1991लोकपति त्रिपाठी57,415
1996 दूध नाथ चतुर्वेदी22,579
1998डॉ रत्नाकर पांडेय64,154
1999 राजेश मिश्रा 1,56,96
2004राजेश मिश्रा 2,06,904
2009 राजेश मिश्रा66,386
2014 अजय राय75,614
2019अजय राय152548
2024 अजय राय4,60,457

वाराणसी में विश्वनाथ धाम वाली विधानसभा से पीएम मोदी को मिले सबसे कम वोट : बीजेपी का गढ़ कहा जाने वाला बनारस और उसका सबसे मजबूत किला शहर दक्षिणी विधानसभा बीजेपी के लिए कमजोर साबित हुआ है. हालांकि बाकी विधानसभा में पीएम मोदी को ठीक वोट मिले हैं लेकिन दक्षिणी विधानसभा में वोट भी कम मिले और अजय राय के साथ मार्जिन भी इसी विधानसभा में सबसे कम साबित हुआ है. शहर दक्षिणी में अपने प्रतिद्वंद्वी से नजदीकी फाइट होना नया नहीं है, क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में भी दूसरी बार यहां से चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी को भी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी किशन दीक्षित के साथ काफी ज्यादा जद्दोजहद करनी पड़ी थी. नीलकंठ यहां से 10000 से ज्यादा वोटो से जीते थे.

दक्षिणी विधानसभा में मतदाताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जहां 97878 वोट दिए तो वहीं अजय राय को भी 81732 वोट मिले हैं. यह इकलौती ऐसी विधानसभा है. जहां पर वोटों का अंतर 16146 है, जो अन्य विधानसभा में सबसे कम है. अन्य विधानसभाओं की बात करें तो कैंट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 145922 वोट मिले हैं जबकि अजय राय को 87645 वोट मिले हैं. इसी तरह अन्य विधानसभा में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अजय राय के बीच वोट का अंतर काफी ज्यादा रहा है, लेकिन शहर दक्षिणी विधानसभा जो बीजेपी का मजबूत किला है. वहां पर वोट का अंतर सबसे कम होना और प्रधानमंत्री मोदी को 1 लाख से कम वोट मिलना उनके जीत के अंतर को कम करने में बड़ा रोल अदा किया है.

यह भी पढ़ें : अखिलेश यादव आज पार्टी सांसदों की लगाएंगे क्लास, जनता के लिए मोदी-योगी सरकार से भिड़ने के देंगे टिप्स

Last Updated : Jun 7, 2024, 1:52 PM IST
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