श्रीनगर: पौड़ी जिले के श्रीनगर डांग क्षेत्र के रहने वाले मेजर दिग्विजय सिंह रावत को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जाएगा. 75वें गणतंत्र दिवस के मौके पर केंद्र सरकार की तरफ से ये घोषणा की गई. मेजर दिग्विजय सिंह रावत को कीर्ति चक्र मिलने पर उनके परिवार और क्षेत्र में खुशी की लहर है. हर कोई उनकी बाहदूरी को सलाम कर रहा है.
जानकारी के मुताबिक मेजर दिग्विजय सिंह रावत को कीर्ति चक्र विद्रोही समूहों (वीबीआईजी) के खिलाफ किए ऑपरेशन के लिए मिला है. मेजर दिग्विजय सिंह रावत को सूचना मिली थी कि घाटी के कुछ विद्रोही समूहों (वीबीआईजी) मणिपुर में कोई बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में है. मेजर दिग्विजय सिंह रावत को जैसे ही ये सूचना मिली उन्होंने अपने सूत्र को सक्रिय किया, जिसने विद्रोही समूहों को भटकाने का काम किया.
मेजर दिग्विजय सिंह रावत जैसे ही अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे तो आतंकवादियों ने सैनिकों पर अंधाधुंध फायरिंग करना शुरू कर दी, लेकिन अंधाधुंध फायरिंग के बीच भी मेजर दिग्विजय सिंह रावत ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी टीम को कुशलता से नियंत्रित किया. मेजर दिग्विजय सिंह रावत जमीन पर रेंगते हुए आतंकवादियों के इलाके में पहुंचे और उनके कैंप्टन का ढेर किया. वहीं आतंकवादियों के एक साथी को घायल भी किया.
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कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी के प्रति समर्पण, बेजोड़ शौर्य, साहस और रणनीतिक कौशल के चलते मेजर दिग्विजय सिंह रावत को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जाएगाी. मेजर दिग्विजय सिंह रावत को कीर्ति चक्र मिलने पर उनके पिता दिगम्बर सिंह रावत ने खुशी जाहिर की है. दिगम्बर सिंह रावत ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर फर्क है कि वो सीमा पर रहकर देश की सेवा कर रहा है. ये पूरे उत्तराखंड के लिए गौरव का पल है.
मेजर दिग्विजय सिंह रावत ने हाई स्कूल तक की पढ़ाई सेंट थेरेसॉस कान्वेंट स्कूल और इंटर मीडियट की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय श्रीनगर से उत्तीर्ण की, जिसके बाद एनडीए में एसएसबी देकर इंटरव्यू में पास होने के बाद उन्होंने आर्मी के टेक्निकल इंट्री के क्षेत्र का चुना. जून 2014 में पैरा (स्पेशल फोर्सेज) को चुन कर अपनी सेवाएं देना शुरू की.