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संविदा नियमितीकरण पर आरक्षण का बवाल, पॉलिसी में नियमों का पालन होना मुश्किल - Reservation uproar in Dehradun

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 28, 2024, 4:40 PM IST

Updated : Aug 28, 2024, 10:42 PM IST

Reservation uproar in Dehradun उत्तराखंड में संविदाकर्मियों के नियमितीकरण का मामला मंत्रिमंडल तक पहुंचने से हर दिन नए विवाद सामने आ रहे हैं. पहले 2003 का संविदाकर्मियों की नियुक्ति पर रोक का आदेश तो अब संविदा, तदर्थ कर्मियों की तैनाती में आरक्षण की व्यवस्था ने बवाल मचा दिया है.

Reservation uproar in Dehradun
संविदा नियमितीकरण पर आरक्षण का बवाल (photo- ETV Bharat)
संविदा नियमितीकरण पर आरक्षण का बवाल (video-ETV Bharat)

देहरादून: हाल ही में हुई उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक के दौरान संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के लिए पॉलिसी तैयार किए जाने की बात सामने आई थी. कहा गया कि पॉलिसी में 10 साल से नियुक्ति वाले संविदा कर्मियों को नियमित करने पर बात होगी, लेकिन यह चर्चा बाहर आते ही नए विवाद भी सामने आने लगे हैं. इस बार नया विवाद संविदा और तदर्थ नियुक्ति वाले कर्मचारियों के आरक्षण से जुड़ा है. सवाल उठाए गए हैं कि उत्तराखंड में संविदा, तदर्थ कर्मचारियों की तैनाती के दौरान आरक्षण का पालन नहीं किया जा रहा है.

क्या है संविदा और तदर्थ कर्मी: संविदा कर्मी वो कर्मी होते हैं, जिनका एग्रीमेंट होता है और उनकी समय सीमा निर्धारित होती है. जबकि तदर्थ कर्मचारी वो कर्मचारी होते हैं, जिनका एग्रीमेंट और उनकी समय सीमा निर्धारित नहीं होती है.

उत्तराखंड एससी/एसटी एम्प्लॉय फेडरेशन ने उठाई आवाज: उत्तराखंड एससी/एसटी इंप्लाइज फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष करम राम ने बताया कि जिस तरह संविदा और तदर्थ कर्मियों को नियमित करने की बात कही जा रही है, उससे तो एससी,एसटी समाज को बेहद ज्यादा नुकसान होगा. ऐसे में सरकार को पहले इसको लेकर अपना होमवर्क पूरा कर लेना चाहिए और इसके बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए. उन्होंने 2003 के उस आदेश का फिर से जिक्र किया है, जिसके तहत ऐसे कर्मचारियों की तैनाती पर रोक के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे.

उत्तराखंड एससी/एसटी एम्प्लॉय फेडरेशन बोला मामले में है झोल: करम राम ने बताया कि उन्हें इस मामले में झोल नजर आता है, क्योंकि जब कर्मचारियों को आरक्षण संविदा में नहीं मिल रहा है, तो फिर नियमित कारण में भी आरक्षित श्रेणी को लाभ नहीं मिल पाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि अब तक 2003 में लगाई गई रोक के बाद कितने कर्मचारी को संविदा और तदर्थ पर लगाया गया है. उन्होंने कहा कि नियमितीकरण करने से पहले रोक के बावजूद लगाए गए इन कर्मचारियों को लेकर भी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

उपनल कर्मचारी भी उठा चुके हैं ऐसा मामला: उत्तराखंड में संविदा और तदर्थ कर्मचारियों की तैनाती पर रोक का यह मामला इससे पहले उपनल कर्मचारी भी उठा चुके हैं. उपनल कर्मचारी संगठन ने भी यह स्पष्ट किया था कि रोक के इस आदेश के बाद ही उपनल के जरिए कर्मचारियों की तैनाती की जा रही है और इस तैनाती के दौरान सभी नियमों का पालन भी किया जा रहा है. ऐसे में यदि नियमितीकरण के लिए पॉलिसी लाई जा रही है, तो वह पॉलिसी उपनल कर्मचारियों के लिए ही होनी चाहिए. बहरहाल कैबिनेट में संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का यह मामला अब विवादों से घिर गया है और अब इस पर निर्णय लेना सरकार के लिए भी आसान नहीं होगा.

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संविदा नियमितीकरण पर आरक्षण का बवाल (video-ETV Bharat)

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क्या है संविदा और तदर्थ कर्मी: संविदा कर्मी वो कर्मी होते हैं, जिनका एग्रीमेंट होता है और उनकी समय सीमा निर्धारित होती है. जबकि तदर्थ कर्मचारी वो कर्मचारी होते हैं, जिनका एग्रीमेंट और उनकी समय सीमा निर्धारित नहीं होती है.

उत्तराखंड एससी/एसटी एम्प्लॉय फेडरेशन ने उठाई आवाज: उत्तराखंड एससी/एसटी इंप्लाइज फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष करम राम ने बताया कि जिस तरह संविदा और तदर्थ कर्मियों को नियमित करने की बात कही जा रही है, उससे तो एससी,एसटी समाज को बेहद ज्यादा नुकसान होगा. ऐसे में सरकार को पहले इसको लेकर अपना होमवर्क पूरा कर लेना चाहिए और इसके बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए. उन्होंने 2003 के उस आदेश का फिर से जिक्र किया है, जिसके तहत ऐसे कर्मचारियों की तैनाती पर रोक के स्पष्ट निर्देश दिए गए थे.

उत्तराखंड एससी/एसटी एम्प्लॉय फेडरेशन बोला मामले में है झोल: करम राम ने बताया कि उन्हें इस मामले में झोल नजर आता है, क्योंकि जब कर्मचारियों को आरक्षण संविदा में नहीं मिल रहा है, तो फिर नियमित कारण में भी आरक्षित श्रेणी को लाभ नहीं मिल पाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि अब तक 2003 में लगाई गई रोक के बाद कितने कर्मचारी को संविदा और तदर्थ पर लगाया गया है. उन्होंने कहा कि नियमितीकरण करने से पहले रोक के बावजूद लगाए गए इन कर्मचारियों को लेकर भी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

उपनल कर्मचारी भी उठा चुके हैं ऐसा मामला: उत्तराखंड में संविदा और तदर्थ कर्मचारियों की तैनाती पर रोक का यह मामला इससे पहले उपनल कर्मचारी भी उठा चुके हैं. उपनल कर्मचारी संगठन ने भी यह स्पष्ट किया था कि रोक के इस आदेश के बाद ही उपनल के जरिए कर्मचारियों की तैनाती की जा रही है और इस तैनाती के दौरान सभी नियमों का पालन भी किया जा रहा है. ऐसे में यदि नियमितीकरण के लिए पॉलिसी लाई जा रही है, तो वह पॉलिसी उपनल कर्मचारियों के लिए ही होनी चाहिए. बहरहाल कैबिनेट में संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का यह मामला अब विवादों से घिर गया है और अब इस पर निर्णय लेना सरकार के लिए भी आसान नहीं होगा.

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Last Updated : Aug 28, 2024, 10:42 PM IST
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