नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान में तमाम गड़बड़ियों की उच्चस्तरीय जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान प्रशासन (एरीज) और वन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने 4 हफ्ते का समय दिया है.
मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने नंदप्रयाग चमोली निवासी दयाल सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई की. जिसमें कहा गया है कि आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान की ओर से सड़क बनाने के लिए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को 99 लाख दिए गए. लेकिन घटिया निर्माण किया गया. जनवरी 2023 में सड़क उखड़ गई. जबकि ठेका 18 मई 2022 को दिया गया था. 14 मार्च को एरीज के सिविल वर्क प्रभारी ने खुद सड़क निर्माण को संतोषजनक नहीं मानते हुए भुगतान नहीं करने की संस्तुति की थी.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि सितंबर 2023 में बनाए गए हॉस्टल के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ काट दिए. लेकिन वन विभाग की ओर से शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई. जबकि वन विभाग घरों के ऊपर खतरा बन चुके पेड़ की टहनी काटने पर हजारों रुपयों का जुर्माना लगाता है, जो घोर लापरवाही की ओर इशारा करता है. एरीज में वैज्ञानिक डी श्रेणी के एक और वैज्ञानिक सी श्रेणी के दो पदों पर जुलाई 2023 में नियम कायदों को ताक में रखकर नियुक्तियां की गई. ना योग्यता का मापदंड पूरा किया गया और ना ही आरक्षण का अनुपालन किया गया. इसलिए मामले की जांच कराई जाए.
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