देहरादून: उत्तराखंड के सरकारी हॉस्पिटलों में डॉक्टरों की कमी को दूर करने और स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर करने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने विशेषज्ञ डॉक्टरों के सेवा अवधि की उम्र 60 साल से बढ़ाकर 65 साल करने का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा था. यानी विशेषज्ञ डॉक्टर्स 60 के बचाए 65 साल की उम्र में रिटायर्ड होने चाहिए. स्वास्थ्य विभाग के इस प्रस्ताव पर धामी बैठक में मुहर लगा दी है.
शनिवार को उत्तराखंड सचिवालय में हुई धामी कैबिनेट की बैठक में विशेषज्ञ डॉक्टर्स के रिटायरमेंट की उम्र 65 साल करने को मंजूरी दे दी है. मुख्यमंत्री सचिव शैलेश बगौली ने खुद इसकी जानकारी दी. दरअसल, प्रदेश के सरकारी हॉस्पिटलों खासकर पर्वतीय जिलों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की काफी कमी है.
पर्वतीय जिलों में डॉक्टरों की कमी के कारण आम जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसीलिए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग की तरफ से डॉक्टरों की सेवा उम्र 60 साल से बढ़ाकर 65 साल करने का प्रस्ताव सरकार को दिया था, जिसे शनिवार को कैबिनेट में मंजूर कर दिया.
मंत्रीमंडल ने उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड मिनिस्ट्रीयल संवर्ग पदों पर संविलियन नियमावली-2024 को लागू करने और विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवा अवधि की उम्र 65 साल किए जाने को मंजूरी दी है. उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड का काम मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के अलावा समस्त एलोपैथिक, दन्त, आयुष, होम्योपैथिक और यूनानी चिकित्सालयों में डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ के पदों पर सीधी भर्ती करना है.
बोर्ड में मिनिस्ट्रियल संवर्ग में कोई भी नियमित भर्ती कार्मिक वर्तमान में कार्यरत नहीं है और अन्य विभागों/कार्यालयों से सेवा-ट्रांसफर के जरिए और बोर्ड कार्यालय के संचालन के लिए उत्तराखण्ड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड में सेवा स्थानान्तरण के आधार पर तैनात मिनिस्ट्रीयल संवर्गीय के सीधी भर्ती के पद (03 कनिष्ठ सहायक) कार्मिकों के समायोजन के लिए उत्तराखण्ड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड में मिनिस्ट्रीयल संवर्गीय पदों पर संविलयन नियमावली- 2024 को मंजूरी दे दी है.
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