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1 जुलाई से देश में लागू होंगे तीन नए लॉ, DGP ने CM को दी प्रेजेंटेशन, एक क्लिक में जानें कानूनों की खास बातें - Highlights of New Law - HIGHLIGHTS OF NEW LAW

Highlights Of New Law उत्तराखंड डीजीपी अभिनव कुमार ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को लागू होने वाले नए कानूनों की प्रेजेंटेशन दी. पढ़ें नए कानून की खास बातें

Highlights Of New Law
DGP ने CM को दी नए कानूनों की प्रेजेंटेशन (PHOTO- INFORMATION DEPARTMENT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 29, 2024, 7:52 PM IST

देहरादूनः देश में एक जुलाई से तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होने जा रहे हैं. जिसकी तैयारियां उत्तराखंड में पूरी हो गई है. नए कानूनों के संबंध में शनिवार को डीजीपी अभिनव कुमार ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के समक्ष प्रस्तुतिकरण दिया. इस मीटिंग के दौरान डीजीपी ने सीएम धामी को नए कानूनों की आवश्यकता, इन्हें बनाने के लिए किए गए प्रयासों के साथ ही इनकी विशेषताओं की भी जानकारी दी. इस दौरान सीएम धामी ने उत्तराखंड पुलिस हस्तपुस्तिका का विमोचन भी किया.

बैठक के बाद सीएम धामी ने कहा कि इन तीनों नए कानूनों के लागू होने के बाद प्रदेश में इन कानूनों को सही ढंग से लागू किया जाए. इन कानूनों की जानकारी के लिए प्रशिक्षण की पर्याप्त व्यवस्था की जाए. साथ ही आम जनता को भी इन कानूनों की जानकारी हो. इसके लिए तमाम माध्यमों से कानूनों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा. बैठक के दौरान, पुलिस महानिदेशक ने नए कानूनों के बारे में बताया कि पूर्व के कानून बहुत जटिल थे, जिसके कारण भारतीय नागरिकों को न्याय पाना और आवाज उठा पाना कठिन था. साथ ही सहिंता का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को बढ़ावा देना और भारतीय नागरिकों का दमन करना था.

देश में पहले से लागू कानूनों की वजह से न्यायालय में लंबित मामलों की बड़ी संख्या, दोषसिद्धि की कम दर, पीड़ित की असंतुष्टि और अपराधी पर अपूर्ण कार्रवाई रहा है. जिसको देखते हुए नए कानूनों को बनाने की जरूरत महसूस की गई. 25 दिसंबर 2023 को नए आपराधिक कानूनों के बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गई थी. देश में एक जुलाई 2024 से इन्हें लागू किया जाना प्रस्तावित है. कानून के गठन को 18 राज्य, 6 केंद्र शासित प्रदेशों, सुप्रीम कोर्ट, 16 उच्च न्यायालयों, 5 न्यायिक अकादमियों, 22 कानून विश्वविद्यालय, 142 संसद सदस्यों, करीब 270 विधायकों को जनता की ओर से दिए गए सुझावों के आधार पर करीब चार साल परीक्षण कर इन्हें तैयार किया गया है.

ये है नए और पुराने कानूनों में अंतर: नए कानूनों को तीन मुख्य तथ्यों न्याय, समानता और निष्पक्षता को केंद्रित कर तैयार किया गया है. भारतीय न्याय सहिंता 2023 में कुल 358 धाराएं हैं, जबकि वर्तमान कानून में 511 धाराएं हैं. जिसमे 21 नई धाराओं को जोड़ा गया है. 41 धाराओं में सजा को बढ़ाया गया है. 82 धाराओं में फाइन को बढ़ाया गया है. 25 धाराओं में न्यूनतम सजा का प्राविधान, 6 धाराओं में सामुदायिक अपराधों को जोड़ा गया है और 19 धाराओं को हटाया गया है. भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता 2023 में 531 धाराएं हैं. जबकि वर्तमान में लागू कानून में 484 धाराएं हैं. भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में कुल 170 धाराएं हैं, जबकि वर्तमान कानून में 166 धाराएं हैं.

डीजीपी ने बताया कि नए कानून में पीड़ित को अधिक अधिकार मिलने के साथ ही जल्द न्याय, आपराधिक न्याय विंग प्रणाली के सभी विंग को अधिक जवाबदेह बनाने पर जोर दिया गया है. राज्य में नए कानूनों को लागू करने के लिए 6 कमेटियों का गठन किया गया है. जिनमें जनशक्ति, प्रशिक्षण, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सीसीटीएनएस, राज्य में लागू एक्ट में नए कानून के तहत परिवर्तन और जागरूक समिति शामिल हैं. नए कानूनों के लागू होने पर राज्य में लागू अधिनियमों में जरूरी संशोधन किया जाना प्रस्तावित है. जिनमें उत्तराखंड राज्य के कुल 434 स्थानीय अधिनियमों का अवलोकन कर 74 अधिनियमों में संशोधन के प्रस्ताव के साथ ही उत्तर प्रदेश के 343 अधिनियमों का परीक्षण कर 116 अधिनियमों में संशोधन के प्रस्ताव और केंद्र के कुल 228 अधिनियमों का अवलोकन कर संशोधन का भी प्रस्ताव है.

मसूरी पुलिस ने लोगों को दी नए कानूनों की जानकारी: मसूरी में मसूरी कोतवाल अरविंद चौधरी द्वारा पुलिसकर्मियों के साथ देश-विदेश से मसूरी में मौजूद पर्यटकों और स्थानीय लोगों को नए कानूनों के बादे में विस्तृत जानकारी दी गई. उन्होंने बताया कि अब न्यायालय में लंबित आपराधिक मामलों को वापस लेने के लिए पीड़ित को कोर्ट में अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिलेगा. न्यायालय पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना मुकदमा वापस लेने की सहमति नहीं देगा. नए कानूनों में ऐसे कई प्रावधान किए गए हैं, जो न्याय की अवधारणा को मजबूत करते हैं.

मसूरी कोतवाल अरविंद चौधरी ने कहा कि नए कानूनों की मूल भावना तकनीक का अधिक से अधिक प्रयोग कर यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी स्थिति में वादी (शिकायतकर्ता) का उत्पीड़न न हो और कोई भी निर्दोष व्यक्ति दंडित न हो.

नए कानून की खास बातें:

  • विदेश में रहकर अथवा रहने वाला कोई व्यक्ति यदि कोई घटना कराता है तो वह भी आरोपित बनेगा.
  • अपराध में किसी बालक को शामिल कराने वाले को तीन से 10 वर्ष तक की सजा की व्यवस्था की गई है.
  • पांच और उससे अधिक व्यक्तियों की भीड़ द्वारा मूल वंश, जाति, समुदाय, लिंग और अन्य आधार पर किसी व्यक्ति की हत्या पर आजीवन कारावास से मृत्युदंड तक की सजा.
  • राजद्रोह के स्थान पर भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्य को धारा 152 के तहत दंडनीय बनाया गया है.
  • चोरी एक से अधिक बार करने वाले को पांच वर्ष तक के कारावास की सजा.
  • छोटे अपराध जिनमें तीन वर्ष से कम की सजा है, उनमें आरोपित यदि 60 वर्ष से अधिक आयु का है अथवा गंभीर बीमार/आशक्त है तो उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस उपाधीक्षक या उससे वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य.
  • निजी व्यक्ति द्वारा किसी आरोपित को पकड़ने पर उसे 6 घंटे के भीतर पुलिस के हवाले करना होगा.
  • गंभीर अपराध की सूचना पर घटनास्थल पर बिना विचार करे शून्य पर एफआईआर दर्ज होगी. ई-एफआईआर की दशा में सूचना देने वाले व्यक्ति को तीन दिन के भीतर हस्ताक्षर करने होंगे.
  • एफआईआर की प्रति अब सूचनादाता के साथ-साथ पीड़ित को भी मुफ्त दी जाएगी.
  • तीन से सात वर्ष से कम की सजा वाले अपराध में थानाध्यक्ष, पुलिस उपाधीक्षक अथवा उससे वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति लेकर एफआईआर दर्ज करने से पहले 14 दिन के भीतर प्रारंभिक जांच कर सकेंगे.
  • दुष्कर्म और एसिड अटैक के मामले में विवेचना के दौरान पीड़िता का बयान महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाएगा. महिला मजिस्ट्रेट की अनुपस्थिति में पुरुष मजिस्ट्रेट किसी महिला अधिकारी की मौजूदगी में बयान दर्ज करेंगे.

ये भी पढ़ेंः देश के साथ ही उत्तराखंड में एक जुलाई से लागू होंगे 3 नए कानून, पुलिस महकमे ने तैयारी की पूरी

देहरादूनः देश में एक जुलाई से तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होने जा रहे हैं. जिसकी तैयारियां उत्तराखंड में पूरी हो गई है. नए कानूनों के संबंध में शनिवार को डीजीपी अभिनव कुमार ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के समक्ष प्रस्तुतिकरण दिया. इस मीटिंग के दौरान डीजीपी ने सीएम धामी को नए कानूनों की आवश्यकता, इन्हें बनाने के लिए किए गए प्रयासों के साथ ही इनकी विशेषताओं की भी जानकारी दी. इस दौरान सीएम धामी ने उत्तराखंड पुलिस हस्तपुस्तिका का विमोचन भी किया.

बैठक के बाद सीएम धामी ने कहा कि इन तीनों नए कानूनों के लागू होने के बाद प्रदेश में इन कानूनों को सही ढंग से लागू किया जाए. इन कानूनों की जानकारी के लिए प्रशिक्षण की पर्याप्त व्यवस्था की जाए. साथ ही आम जनता को भी इन कानूनों की जानकारी हो. इसके लिए तमाम माध्यमों से कानूनों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा. बैठक के दौरान, पुलिस महानिदेशक ने नए कानूनों के बारे में बताया कि पूर्व के कानून बहुत जटिल थे, जिसके कारण भारतीय नागरिकों को न्याय पाना और आवाज उठा पाना कठिन था. साथ ही सहिंता का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को बढ़ावा देना और भारतीय नागरिकों का दमन करना था.

देश में पहले से लागू कानूनों की वजह से न्यायालय में लंबित मामलों की बड़ी संख्या, दोषसिद्धि की कम दर, पीड़ित की असंतुष्टि और अपराधी पर अपूर्ण कार्रवाई रहा है. जिसको देखते हुए नए कानूनों को बनाने की जरूरत महसूस की गई. 25 दिसंबर 2023 को नए आपराधिक कानूनों के बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गई थी. देश में एक जुलाई 2024 से इन्हें लागू किया जाना प्रस्तावित है. कानून के गठन को 18 राज्य, 6 केंद्र शासित प्रदेशों, सुप्रीम कोर्ट, 16 उच्च न्यायालयों, 5 न्यायिक अकादमियों, 22 कानून विश्वविद्यालय, 142 संसद सदस्यों, करीब 270 विधायकों को जनता की ओर से दिए गए सुझावों के आधार पर करीब चार साल परीक्षण कर इन्हें तैयार किया गया है.

ये है नए और पुराने कानूनों में अंतर: नए कानूनों को तीन मुख्य तथ्यों न्याय, समानता और निष्पक्षता को केंद्रित कर तैयार किया गया है. भारतीय न्याय सहिंता 2023 में कुल 358 धाराएं हैं, जबकि वर्तमान कानून में 511 धाराएं हैं. जिसमे 21 नई धाराओं को जोड़ा गया है. 41 धाराओं में सजा को बढ़ाया गया है. 82 धाराओं में फाइन को बढ़ाया गया है. 25 धाराओं में न्यूनतम सजा का प्राविधान, 6 धाराओं में सामुदायिक अपराधों को जोड़ा गया है और 19 धाराओं को हटाया गया है. भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता 2023 में 531 धाराएं हैं. जबकि वर्तमान में लागू कानून में 484 धाराएं हैं. भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में कुल 170 धाराएं हैं, जबकि वर्तमान कानून में 166 धाराएं हैं.

डीजीपी ने बताया कि नए कानून में पीड़ित को अधिक अधिकार मिलने के साथ ही जल्द न्याय, आपराधिक न्याय विंग प्रणाली के सभी विंग को अधिक जवाबदेह बनाने पर जोर दिया गया है. राज्य में नए कानूनों को लागू करने के लिए 6 कमेटियों का गठन किया गया है. जिनमें जनशक्ति, प्रशिक्षण, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सीसीटीएनएस, राज्य में लागू एक्ट में नए कानून के तहत परिवर्तन और जागरूक समिति शामिल हैं. नए कानूनों के लागू होने पर राज्य में लागू अधिनियमों में जरूरी संशोधन किया जाना प्रस्तावित है. जिनमें उत्तराखंड राज्य के कुल 434 स्थानीय अधिनियमों का अवलोकन कर 74 अधिनियमों में संशोधन के प्रस्ताव के साथ ही उत्तर प्रदेश के 343 अधिनियमों का परीक्षण कर 116 अधिनियमों में संशोधन के प्रस्ताव और केंद्र के कुल 228 अधिनियमों का अवलोकन कर संशोधन का भी प्रस्ताव है.

मसूरी पुलिस ने लोगों को दी नए कानूनों की जानकारी: मसूरी में मसूरी कोतवाल अरविंद चौधरी द्वारा पुलिसकर्मियों के साथ देश-विदेश से मसूरी में मौजूद पर्यटकों और स्थानीय लोगों को नए कानूनों के बादे में विस्तृत जानकारी दी गई. उन्होंने बताया कि अब न्यायालय में लंबित आपराधिक मामलों को वापस लेने के लिए पीड़ित को कोर्ट में अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिलेगा. न्यायालय पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना मुकदमा वापस लेने की सहमति नहीं देगा. नए कानूनों में ऐसे कई प्रावधान किए गए हैं, जो न्याय की अवधारणा को मजबूत करते हैं.

मसूरी कोतवाल अरविंद चौधरी ने कहा कि नए कानूनों की मूल भावना तकनीक का अधिक से अधिक प्रयोग कर यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी स्थिति में वादी (शिकायतकर्ता) का उत्पीड़न न हो और कोई भी निर्दोष व्यक्ति दंडित न हो.

नए कानून की खास बातें:

  • विदेश में रहकर अथवा रहने वाला कोई व्यक्ति यदि कोई घटना कराता है तो वह भी आरोपित बनेगा.
  • अपराध में किसी बालक को शामिल कराने वाले को तीन से 10 वर्ष तक की सजा की व्यवस्था की गई है.
  • पांच और उससे अधिक व्यक्तियों की भीड़ द्वारा मूल वंश, जाति, समुदाय, लिंग और अन्य आधार पर किसी व्यक्ति की हत्या पर आजीवन कारावास से मृत्युदंड तक की सजा.
  • राजद्रोह के स्थान पर भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्य को धारा 152 के तहत दंडनीय बनाया गया है.
  • चोरी एक से अधिक बार करने वाले को पांच वर्ष तक के कारावास की सजा.
  • छोटे अपराध जिनमें तीन वर्ष से कम की सजा है, उनमें आरोपित यदि 60 वर्ष से अधिक आयु का है अथवा गंभीर बीमार/आशक्त है तो उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस उपाधीक्षक या उससे वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य.
  • निजी व्यक्ति द्वारा किसी आरोपित को पकड़ने पर उसे 6 घंटे के भीतर पुलिस के हवाले करना होगा.
  • गंभीर अपराध की सूचना पर घटनास्थल पर बिना विचार करे शून्य पर एफआईआर दर्ज होगी. ई-एफआईआर की दशा में सूचना देने वाले व्यक्ति को तीन दिन के भीतर हस्ताक्षर करने होंगे.
  • एफआईआर की प्रति अब सूचनादाता के साथ-साथ पीड़ित को भी मुफ्त दी जाएगी.
  • तीन से सात वर्ष से कम की सजा वाले अपराध में थानाध्यक्ष, पुलिस उपाधीक्षक अथवा उससे वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति लेकर एफआईआर दर्ज करने से पहले 14 दिन के भीतर प्रारंभिक जांच कर सकेंगे.
  • दुष्कर्म और एसिड अटैक के मामले में विवेचना के दौरान पीड़िता का बयान महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाएगा. महिला मजिस्ट्रेट की अनुपस्थिति में पुरुष मजिस्ट्रेट किसी महिला अधिकारी की मौजूदगी में बयान दर्ज करेंगे.

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