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तैयार हो रहा एक ऐसा सॉफ्टवेयर, जो बताएगा किस रूट पर कितनी बसों की है जरूरत, कहां पर भेजना होगा घाटे का सौदा - UPSRTC

यूपीडेस्को से उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम एक सॉफ्टवेयर (Corporation is preparing a software) तैयार करा रहा है. विभाग की ओर से की तरफ से इसका अध्ययन करने के लिए भी विशेषज्ञ लगाए गए हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 22, 2024, 4:39 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें उन रूटों पर जरूरत के हिसाब से नहीं संचालित हो रही हैं, जहां पर यात्रियों को बसों की आवश्यकता लगती है. ऐसे रूटों पर ज्यादा बसें भेज दी जाती हैं, जहां पर यात्रियों की संख्या कम होती है और यही परिवहन निगम के घाटे का बड़ा कारण बन रहा है. अब इससे निपटने के लिए परिवहन निगम यूपी डेस्को से एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार करा रहा है जो उत्तर प्रदेश के विभिन्न रूटों का तार्किक अध्ययन कर बताएगा कि किस रूट पर कितनी बसों की आवश्यकता है. किस रूट पर बसें बढ़ानी हैं और किस रूट पर बसों को कम करना है.

बेवजह खाली रूट पर नहीं दौड़ेंगी बसें : परिवहन निगम की तरफ से इसका अध्ययन करने के लिए भी विशेषज्ञ लगाए गए हैं. यह विशेषज्ञ अध्ययन कर जानकारी देंगे कि किन रूटों पर अभी तक जो बसें संचालित की जा रही हैं वहां पर बसें बढ़ाने की आवश्यकता है या फिर उनकी संख्या कम करने की. यह सब कुछ इस सॉफ्टवेयर में फीड किया जाएगा. परिवहन निगम के अधिकारियों का कहना है कि इससे सीधे तौर पर लाभ यह होगा कि बेवजह खाली रूट पर बसें नहीं दौड़ेंगी. जहां पर यात्रियों की जरूरत होगी वहां पर उन्हें समय पर बसें मिलेंगी. यह नई व्यवस्था चुनावी आचार संहिता समाप्त होने के बाद लागू किए जाने की बात अधिकारी कर रहे हैं.

परिवहन निगम को हो रहा नुकसान : उत्तर प्रदेश में तमाम ऐसे रूट हैं जहां पर जरूरत से ज्यादा बसें संचालित कराई जा रही हैं और लोड फैक्टर भी नहीं आ रहा है. यही परिवहन निगम के घाटे का सबब बन रहा है. कई बार समीक्षा बैठक में सामने आया है कि बिना डिमांड के ही रोड पर कम यात्रियों को लेकर बसें रवाना की जा रही हैं, जिससे परिवहन निगम को नुकसान हो रहा है. अब यह सॉफ्टवेयर बनने के बाद रूट पर जरूरत के मुताबिक ही बसों का संचालन होगा, जिसका फायदा यात्रियों को भी मिलेगा और परिवहन निगम को भी. सूत्रों के मुताबिक, आजमगढ़ से बनारस रोड पर 120 बसें दौड़ाई जा रही हैं जबकि हकीकत यह है कि इस रोड पर सिर्फ 60 बसों की ही आवश्यकता है. यही घाटे का कारण है. इसके अलावा फतेहपुर रूट पर भी बेवजह यह अतिरिक्त बसों का संचालन कराया जा रहा है. लखनऊ से भी कई रूटों पर यात्रियों के अभाव में भी बसें दौड़ाई जा रही हैं.

परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक (आईटी) यजुवेंद्र कुमार का कहना है कि उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट सिस्टम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीडेस्को) जो सॉफ्टवेयर तैयार कर रहा है. उससे परिवहन निगम को काफी लाभ होगा. सॉफ्टवेयर पर ही पता चलेगा कि किस रूट पर बसें भेजना फायदे का सौदा साबित होगा और किस रूट पर यात्रियों के अभाव में बस भेजने पर घाटा हो जाएगा तो उसे रूट पर बस न भेजी जाए. विशेषज्ञ प्रदेश भर के सभी रूटों का अध्ययन कर रहे हैं और सारा डाटा इस सॉफ्टवेयर में फीड किया जाएगा.

यह भी पढ़ें : रामनवमी पर अयोध्या के लिए 400 बसें चलाएगा परिवहन निगम, रोडवेज कर्मचारियों की छुट्टियां कैंसिल - Ram Navami Special Buses

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें उन रूटों पर जरूरत के हिसाब से नहीं संचालित हो रही हैं, जहां पर यात्रियों को बसों की आवश्यकता लगती है. ऐसे रूटों पर ज्यादा बसें भेज दी जाती हैं, जहां पर यात्रियों की संख्या कम होती है और यही परिवहन निगम के घाटे का बड़ा कारण बन रहा है. अब इससे निपटने के लिए परिवहन निगम यूपी डेस्को से एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार करा रहा है जो उत्तर प्रदेश के विभिन्न रूटों का तार्किक अध्ययन कर बताएगा कि किस रूट पर कितनी बसों की आवश्यकता है. किस रूट पर बसें बढ़ानी हैं और किस रूट पर बसों को कम करना है.

बेवजह खाली रूट पर नहीं दौड़ेंगी बसें : परिवहन निगम की तरफ से इसका अध्ययन करने के लिए भी विशेषज्ञ लगाए गए हैं. यह विशेषज्ञ अध्ययन कर जानकारी देंगे कि किन रूटों पर अभी तक जो बसें संचालित की जा रही हैं वहां पर बसें बढ़ाने की आवश्यकता है या फिर उनकी संख्या कम करने की. यह सब कुछ इस सॉफ्टवेयर में फीड किया जाएगा. परिवहन निगम के अधिकारियों का कहना है कि इससे सीधे तौर पर लाभ यह होगा कि बेवजह खाली रूट पर बसें नहीं दौड़ेंगी. जहां पर यात्रियों की जरूरत होगी वहां पर उन्हें समय पर बसें मिलेंगी. यह नई व्यवस्था चुनावी आचार संहिता समाप्त होने के बाद लागू किए जाने की बात अधिकारी कर रहे हैं.

परिवहन निगम को हो रहा नुकसान : उत्तर प्रदेश में तमाम ऐसे रूट हैं जहां पर जरूरत से ज्यादा बसें संचालित कराई जा रही हैं और लोड फैक्टर भी नहीं आ रहा है. यही परिवहन निगम के घाटे का सबब बन रहा है. कई बार समीक्षा बैठक में सामने आया है कि बिना डिमांड के ही रोड पर कम यात्रियों को लेकर बसें रवाना की जा रही हैं, जिससे परिवहन निगम को नुकसान हो रहा है. अब यह सॉफ्टवेयर बनने के बाद रूट पर जरूरत के मुताबिक ही बसों का संचालन होगा, जिसका फायदा यात्रियों को भी मिलेगा और परिवहन निगम को भी. सूत्रों के मुताबिक, आजमगढ़ से बनारस रोड पर 120 बसें दौड़ाई जा रही हैं जबकि हकीकत यह है कि इस रोड पर सिर्फ 60 बसों की ही आवश्यकता है. यही घाटे का कारण है. इसके अलावा फतेहपुर रूट पर भी बेवजह यह अतिरिक्त बसों का संचालन कराया जा रहा है. लखनऊ से भी कई रूटों पर यात्रियों के अभाव में भी बसें दौड़ाई जा रही हैं.

परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक (आईटी) यजुवेंद्र कुमार का कहना है कि उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट सिस्टम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीडेस्को) जो सॉफ्टवेयर तैयार कर रहा है. उससे परिवहन निगम को काफी लाभ होगा. सॉफ्टवेयर पर ही पता चलेगा कि किस रूट पर बसें भेजना फायदे का सौदा साबित होगा और किस रूट पर यात्रियों के अभाव में बस भेजने पर घाटा हो जाएगा तो उसे रूट पर बस न भेजी जाए. विशेषज्ञ प्रदेश भर के सभी रूटों का अध्ययन कर रहे हैं और सारा डाटा इस सॉफ्टवेयर में फीड किया जाएगा.

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