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क्रिप्टो करेंसी के जरिए अमेरिकी नागरिक से 3 करोड़ 39 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा करने के आरोपी को मिली जमानत - CRYPTO CURRENCY FRAUD

-आरोप में तथ्य ना होने पर मिली जमानत -कोर्ट ने पूछ, सह आरोपी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया

क्रिप्टो करेंसी धोखाधड़ी
क्रिप्टो करेंसी धोखाधड़ी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 5 hours ago

नई दिल्लीः दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने क्रिप्टो करंटी के जरिए अमेरिकी नागरिक के साथ 3 करोड़ 39 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा करने के आरोपी को जमानत दे दी है. स्पेशल जज शैलेंद्र मलिक ने कहा कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप में तथ्य नहीं दिखाई देता है. कोर्ट ने आरोपी लक्ष्य विज को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया.

कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को बिना तथ्यों के सच नहीं माना जा सकता है. सीबीआई ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया कि इस मामले के सह आरोपी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया. आरोपी का एफआईआर में नाम भी नहीं है. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि आरोपी 31 मई, 3, 4 और 18 जून को जांच में शामिल हुआ था. उसे 24 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था.

कोर्ट ने कहा कि सीबीआई के जवाब में कहा गया था कि आरोपी व्हाट्सऐप ग्रुप का सदस्य था, जिस ग्रुप के दूसरे आरोपी सदस्य थे. सीबीआई के मुताबिक आरोपी ने निर्देश दिया था कि क्रिप्टो करेंसी विभिन्न बैंक खातों में जमा किए जाएं. ये आरोप काफी गंभीर हैं. लेकिन जब सीबीआई को इस आरोप से संबंधित साक्ष्य देने को कहा गया तो कोई भी साक्ष्य पेश नहीं किया गया.

FIR में नाम न होने के बावजूद गिरफ्तारी क्यों? कोर्ट ने कहा कि CBI ये भी नहीं बता सकी कि केवल एक आरोपी को ही जांच के लिए गिरफ्तार क्यों किया गया और उसकी गिरफ्तारी की गई, जिसका FIR में नाम तक नहीं है. सुनवाई के दौरान CBI ने कहा क आरोपी ने अमेरिकी नागरिक के साथ तीन करोड़ 39 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा किया.

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नई दिल्लीः दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने क्रिप्टो करंटी के जरिए अमेरिकी नागरिक के साथ 3 करोड़ 39 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा करने के आरोपी को जमानत दे दी है. स्पेशल जज शैलेंद्र मलिक ने कहा कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप में तथ्य नहीं दिखाई देता है. कोर्ट ने आरोपी लक्ष्य विज को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया.

कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को बिना तथ्यों के सच नहीं माना जा सकता है. सीबीआई ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया कि इस मामले के सह आरोपी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया. आरोपी का एफआईआर में नाम भी नहीं है. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि आरोपी 31 मई, 3, 4 और 18 जून को जांच में शामिल हुआ था. उसे 24 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था.

कोर्ट ने कहा कि सीबीआई के जवाब में कहा गया था कि आरोपी व्हाट्सऐप ग्रुप का सदस्य था, जिस ग्रुप के दूसरे आरोपी सदस्य थे. सीबीआई के मुताबिक आरोपी ने निर्देश दिया था कि क्रिप्टो करेंसी विभिन्न बैंक खातों में जमा किए जाएं. ये आरोप काफी गंभीर हैं. लेकिन जब सीबीआई को इस आरोप से संबंधित साक्ष्य देने को कहा गया तो कोई भी साक्ष्य पेश नहीं किया गया.

FIR में नाम न होने के बावजूद गिरफ्तारी क्यों? कोर्ट ने कहा कि CBI ये भी नहीं बता सकी कि केवल एक आरोपी को ही जांच के लिए गिरफ्तार क्यों किया गया और उसकी गिरफ्तारी की गई, जिसका FIR में नाम तक नहीं है. सुनवाई के दौरान CBI ने कहा क आरोपी ने अमेरिकी नागरिक के साथ तीन करोड़ 39 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा किया.

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