देहरादून: उत्तराखंड में गर्मी बढ़ते ही बिजली की डिमांड भी बढ़नी शुरू हो गयी है. हालांकि ये बेहद मामूली है, लेकिन अभी से ऊर्जा निगम बिजली की आपूर्ति को व्यवस्थित रखने के लिए नए MOU करने लगा है. फिलहाल ऊर्जा निगम की कोशिश है कि दीर्घकालिक बिजली के लिए अनुबंध किया जाए, ताकि लंबे समय तक सस्ती बिजली राज्य को मिल सके. इसी कड़ी में सौर ऊर्जा और वायु आधारित बिजली के लिए अनुबंध किये गए हैं.
उत्तराखंड में बिजली की आपूर्ति का संकट वैसे तो हमेशा ही बना रहता है, लेकिन राज्य में आगामी संभावित बिजली संकट को लेकर अभी से ऊर्जा निगम तैयारी में जुट गया है. इसके लिए ऊर्जा निगम के द्वारा नए MOU किए जा रहे हैं ताकि डिमांड बढ़ने पर बिजली कटौती की समस्या ना आए. इसी कड़ी में ऊर्जा निगम ने 130 मेगावाट बिजली खरीदने को लेकर अनुबंध किया है. हालांकि आगामी बढ़ती डिमांड को देखते हुए यह काफी नहीं है. लेकिन राज्य को कुछ हद तक इससे राहत मिल सकती है..
ऊर्जा निगम ने 100 मेगावाट और 30 मेगावाट के दो अलग-अलग अनुबंध किये हैं. इसमें सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ 100 मेगावाट बिजली खरीदने का अनुबंध किया गया है. जबकि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विंड एनर्जी के साथ 30 मेगावाट बिजली का अनुबंध भी हुआ है. इस तरह कल 130 मेगावाट बिजली राज्य को सस्ते दाम पर लंबे समय तक मिलती रहेगी. अनुबंध के अनुसार आगामी 20 साल तक राज्य को 130 मेगावाट बिजली उपलब्ध होती रहेगी.
उत्तराखंड में बिजली की आपूर्ति और डिमांड को लेकर स्थितियों को देखें तो राज्य सरकार को करीब 20 मिलियन यूनिट बिजली केंद्र सरकार द्वारा आवंटित की जा रही है. इसके अलावा पांच मिलियन यूनिट राज्य सरकार द्वारा किए गए विभिन्न अनुबंधों से प्राप्त होती है. उधर उत्तराखंड का यूजेवीएनएल प्रदेश को 8 मिलियन यूनिट बिजली उपलब्ध कराता है. ऐसे में कुल मिलाकर राज्य को करीब 33 मिलियन यूनिट बिजली उपलब्ध हो पाती है. जबकि प्रदेश की डिमांड 38 मिलियन यूनिट से 40 MU तक पहुंचती है. इस तरह बाकी कमी को राज्य खुले बाजार से बिजली खरीद कर दूर करता है. लेकिन यह बिजली प्रदेश को दोगुने दामों पर मिलती है, जिससे राज्य में बिजली विभाग को आर्थिक रूप से खासा नुकसान होता है.
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