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किसानों को मिलेंगे सस्ते बीज: 3000 करोड़ का खर्च यूपी बचाएगा, योगी सरकार खोलेगी 5 सीड पार्क, साउथ इंडिया पर निर्भरता होगी खत्म - up government

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 1 hours ago

किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है. यूपी बीजों का करीब तीन हजार करोड़ का खर्च बचाने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए योगी सरकार 5 बीज पार्क खोलने की तैयारी कर रही है. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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योगी सरकार देने जा रही किसानों को बड़ी सौगात. (photo credit: getty images)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार किसानों के लिए अब ऐसा कदम उठाने जा रही है जो फायदे का सौदा साबित होगा. उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को राज्य में ही उत्पादित बीज उपलब्ध कराएगी. दूसरे राज्यों पर बीज की निर्भरता खत्म करेगी. इसका सीधा लाभ फसल की अच्छी पैदावार होने से किसानों को मिलेगा. प्रदेश की प्रमुख फसलों के लिए करीब 50 फीसद बीज दक्षिण भारत के राज्यों से आता है. किसानों को प्रदेश के कृषि जलवायु के अनुकूल गुणवत्ता के बीज मिले, इसके लिए योगी सरकार ने बड़े पैमाने पर उत्तर प्रदेश में ही बीज उत्पादन की रणनीति तैयार की है.




3000 करोड़ के बीज बाहर से आतेः सालाना तीन हजार करोड़ का बीज गैर राज्यों से मंगाना पड़ता है. बात जब बीज की आती है तो प्रदेश को कुल उपयोग का करीब आधा हिस्सा दूसरे राज्यों से मांगना पड़ता है. इसके लिए सरकार को हर साल करीब 3000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. सभी फसलों के हाइब्रिड बीज तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से आते हैं. विभागीय आंकड़ों के अनुसार गेहूं के 22%, धान के 51%, मक्का के 74%, जौं के 95%, दलहन के 50% और तिलहन के 52% बीज गैर राज्यों से आते हैं.

5 पार्क बनाने की योजनाः योगी सरकार ने बीज उत्पादन की एक योजना तैयार की है. इसके तहत प्रदेश के नौ कृषि जलवायु क्षेत्रों में होने वाली फसलों के मद्देनजर पांच बीज पार्क (वेस्टर्न जोन, तराई जोन, सेंट्रल जोन, बुंदेलखंड और ईस्टर्न जोन) पीपीपी मॉडल पर बनाए जाएंगे. हर पार्क का रकबा न्यूनतम 200 हेक्टेयर का होगा. कृषि विभाग के पास बुनियादी सुविधाओं के साथ ऐसे छह फार्म उपलब्ध हैं. इसमें से दो फार्म 200 हेक्टेयर, दो फार्म 200 से 300 और दो फार्म 400 हेक्टर से अधिक के हैं. राज्य सरकार इनको इच्छुक पार्टियों को लीज पर दे सकती है.


सीड पार्क से मिलेगा ये लाभः सालाना करीब तीन हजार करोड़ रुपये की बचत होगी. प्लांटवार अतिरिक्त निवेश आएगा. प्लांट से लेकर लॉजिस्टिक लोडिंग, अनलोडिंग, परिवहन में स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिलेगा. सीड रिप्लेसमेंट दर (एसएसआर) में सुधार आएगा. इसका असर उपज पर पड़ेगा. सबसे उर्वर भूमि, सर्वाधिक सिंचित रकबे के बावजूद प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल उपज के मामले में यूपी पीछे है. इसके लिए अन्य वजहों के साथ गुणवत्ता के बीजों की अनुपलब्धता भी एक प्रमुख वजह है. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गेहूं का प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल उत्पादन 26.75 कुंतल है, जबकि पंजाब का सर्वोच्च 40.35 कुंतल है. इसी तरह धान का उत्पादन 37.35 कुंतल है, जबकि हरियाणा का 45.33 कुंतल. अन्य राज्यों की तुलना में इसी तरह का अंतर चना और सरसों के उत्पादन में भी है. गुणवत्ता के बीज से इस अंतर को 15 से 20 फीसद तक कम किया जा सकता है.

ये भी पढ़ेंः यूपी के किसानों को योगी सरकार का दिवाली गिफ्ट; धान का MSP 117 रुपए बढ़ा, खाते में जाएगा पैसा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार किसानों के लिए अब ऐसा कदम उठाने जा रही है जो फायदे का सौदा साबित होगा. उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को राज्य में ही उत्पादित बीज उपलब्ध कराएगी. दूसरे राज्यों पर बीज की निर्भरता खत्म करेगी. इसका सीधा लाभ फसल की अच्छी पैदावार होने से किसानों को मिलेगा. प्रदेश की प्रमुख फसलों के लिए करीब 50 फीसद बीज दक्षिण भारत के राज्यों से आता है. किसानों को प्रदेश के कृषि जलवायु के अनुकूल गुणवत्ता के बीज मिले, इसके लिए योगी सरकार ने बड़े पैमाने पर उत्तर प्रदेश में ही बीज उत्पादन की रणनीति तैयार की है.




3000 करोड़ के बीज बाहर से आतेः सालाना तीन हजार करोड़ का बीज गैर राज्यों से मंगाना पड़ता है. बात जब बीज की आती है तो प्रदेश को कुल उपयोग का करीब आधा हिस्सा दूसरे राज्यों से मांगना पड़ता है. इसके लिए सरकार को हर साल करीब 3000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. सभी फसलों के हाइब्रिड बीज तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से आते हैं. विभागीय आंकड़ों के अनुसार गेहूं के 22%, धान के 51%, मक्का के 74%, जौं के 95%, दलहन के 50% और तिलहन के 52% बीज गैर राज्यों से आते हैं.

5 पार्क बनाने की योजनाः योगी सरकार ने बीज उत्पादन की एक योजना तैयार की है. इसके तहत प्रदेश के नौ कृषि जलवायु क्षेत्रों में होने वाली फसलों के मद्देनजर पांच बीज पार्क (वेस्टर्न जोन, तराई जोन, सेंट्रल जोन, बुंदेलखंड और ईस्टर्न जोन) पीपीपी मॉडल पर बनाए जाएंगे. हर पार्क का रकबा न्यूनतम 200 हेक्टेयर का होगा. कृषि विभाग के पास बुनियादी सुविधाओं के साथ ऐसे छह फार्म उपलब्ध हैं. इसमें से दो फार्म 200 हेक्टेयर, दो फार्म 200 से 300 और दो फार्म 400 हेक्टर से अधिक के हैं. राज्य सरकार इनको इच्छुक पार्टियों को लीज पर दे सकती है.


सीड पार्क से मिलेगा ये लाभः सालाना करीब तीन हजार करोड़ रुपये की बचत होगी. प्लांटवार अतिरिक्त निवेश आएगा. प्लांट से लेकर लॉजिस्टिक लोडिंग, अनलोडिंग, परिवहन में स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिलेगा. सीड रिप्लेसमेंट दर (एसएसआर) में सुधार आएगा. इसका असर उपज पर पड़ेगा. सबसे उर्वर भूमि, सर्वाधिक सिंचित रकबे के बावजूद प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल उपज के मामले में यूपी पीछे है. इसके लिए अन्य वजहों के साथ गुणवत्ता के बीजों की अनुपलब्धता भी एक प्रमुख वजह है. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गेहूं का प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल उत्पादन 26.75 कुंतल है, जबकि पंजाब का सर्वोच्च 40.35 कुंतल है. इसी तरह धान का उत्पादन 37.35 कुंतल है, जबकि हरियाणा का 45.33 कुंतल. अन्य राज्यों की तुलना में इसी तरह का अंतर चना और सरसों के उत्पादन में भी है. गुणवत्ता के बीज से इस अंतर को 15 से 20 फीसद तक कम किया जा सकता है.

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