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संशय खत्म, एक ब्राह्मण, एक दलित और 2 ओबीसी समेत 4 लोग होंगे पीएम मोदी के प्रस्तावक, पढ़िए डिटेल - PM Modi proponent

पीएम नरेंद्र मोदी आज वाराणसी में अपना नामांकन करेंगे. कई दिनों से इसके लिए उनके प्रस्तावकों के नामों पर मंथन चल रहा था. अब यह संशय खत्म हो चुका है.

पीएम मोदी के प्रस्तावक.
पीएम मोदी के प्रस्तावक. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 14, 2024, 10:23 AM IST

Updated : May 14, 2024, 10:39 AM IST

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना नामांकन दाखिल करेंगे. नामांकन के लिए प्रस्तावकों की आवश्यकता होती है. 4 प्रस्तावकों के नाम फाइनल कर दिए गए हैं. इसमें राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर शास्त्री द्रविड़, बीजेपी नेता और पुराने जनसंघ कार्यकर्ता बैजनाथ पटेल, बीजेपी कार्यकर्ता लालचंद कुशवाहा और बीजेपी नेता संजय सोनकर शामिल हैं. प्रस्तावकों को जातीय समीकरण के आधार पर प्रधानमंत्री के लिए चुना गया है.

बता दें कि पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ मूल रूप से दक्षिण भारत के रहने वाले हैं. अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहली बार प्रधानमंत्री बनने और राम मंदिर के शिलान्यास पूजन से संबंधित मुहूर्त भी उन्होंने ही निकाला था. काशी में रामघाट पर वह रहते हैं.

यहीं पर एक संस्कृत विद्यालय भी संचालित होता है. काशी में संचालित होने वाला यह संस्कृत स्कूल गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ के दादा जी के पहले उनके पूर्वजों ने स्थापित किया था. उनके परिवार के लोग स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं. शहीद राजगुरु भी इस विद्यालय में पढ़ चुके हैं.

बैजनाथ पटेल ओबीसी वर्ग से आते हैं. हरोज गांव के रहने वाले बैजनाथ 1995 से सन 2000 तक गांव के प्रधान थे. जनसंघ के वक्त से पार्टी से जुड़े हैं. वाराणसी के पुराने भाजपा नेता होने के साथ ही पीएम मोदी के भरोसेमंद के रूप में उनकी पहचान है.

लालचंद कुशवाहा ओबीसी वर्ग से आते हैं और कैंट विधानसभा के रहने वाले हैं. भाजपा के मंडल अध्यक्ष होने के साथ ही पार्टी में सक्रिय हैं और कुशवाहा की अपने वर्ग में अच्छी पकड़ भी है.

संजय सोनकर दलित वर्ग से आते हैं और वाराणसी में भाजपा के जिला महामंत्री हैं. पीएम के भरोसेमंद की लिस्ट में इनका नाम है और 2022 में बरेका हेलीपैड पर पीएम से मुलाकात करने समय उनकी तस्वीर सामने आई थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014, 2019 की तरह इस बार भी अपने प्रस्ताव को रिपीट नहीं किया है. 2014 में मदन मोहन मालवीय के पौत्र पंडित जस्टिस गिरधर मालवीय, अशोक कुमार, पंडित छन्नूलाल मिश्रा और वीरभद्र निषाद को प्रस्तावक बनाया गया था. जबकि 2019 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की मानस पुत्री प्रोफेसर अन्नपूर्णा शुक्ल, डॉ उमाशंकर पटेल, सुभाष गुप्ता और डोम राजा जगदीश चौधरी को प्रस्तावक बनाया गया था.

जानिए प्रस्तावक कौन होते हैं और उनकी जरूरत क्यों पड़ती है : किसी भी चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है. चुनाव आयोग के निर्देश के मुताबिक प्रस्तावक लोकल स्तर पर होने वाले वे लोग हैं जो किसी भी कैंडिडेट को चुनाव लड़ने के लिए अपनी तरफ से प्रस्ताव रखते हैं. आमतौर पर नामांकन के लिए वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम कैंडिडेट के लिए 10 प्रस्तावकों की जरूरत होती है.

चुनाव नामांकन नियमों के अनुसार यदि कोई उम्मीदवार किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है तो निर्वाचन क्षेत्र के एक मतदाता को उसकी उम्मीदवारी का प्रस्ताव देना आवश्यक होता है.

यदि उम्मीदवार एक स्वतंत्र उम्मीदवार है या पंजीकृत लेकिन गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल द्वारा नामित उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है तो निर्वाचन क्षेत्र के 10 मतदाताओं को प्रस्ताव के रूप में नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर करना होता है.

नियमों के अनुसार रिटर्निंग ऑफिसर को प्रस्तावकों के हस्ताक्षर सत्यापित करने होते हैं. यदि एक संक्षिप्त पूछताछ के बाद रिटर्निंग ऑफिसर यह निर्धारित करता है कि हस्ताक्षर वास्तविक नहीं हैं, जैसा प्रस्तावक ने दावा किया है तो प्रस्तावकों के कारण भी नामांकन पत्र रद्द किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें : पीएम मोदी नामांकन LIVE; दशाश्वमेध घाट पर पहुंचे प्रधानमंत्री, पांच वैदिक विद्वानों की मौजूदगी में कर रहे पूजन

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना नामांकन दाखिल करेंगे. नामांकन के लिए प्रस्तावकों की आवश्यकता होती है. 4 प्रस्तावकों के नाम फाइनल कर दिए गए हैं. इसमें राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर शास्त्री द्रविड़, बीजेपी नेता और पुराने जनसंघ कार्यकर्ता बैजनाथ पटेल, बीजेपी कार्यकर्ता लालचंद कुशवाहा और बीजेपी नेता संजय सोनकर शामिल हैं. प्रस्तावकों को जातीय समीकरण के आधार पर प्रधानमंत्री के लिए चुना गया है.

बता दें कि पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ मूल रूप से दक्षिण भारत के रहने वाले हैं. अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहली बार प्रधानमंत्री बनने और राम मंदिर के शिलान्यास पूजन से संबंधित मुहूर्त भी उन्होंने ही निकाला था. काशी में रामघाट पर वह रहते हैं.

यहीं पर एक संस्कृत विद्यालय भी संचालित होता है. काशी में संचालित होने वाला यह संस्कृत स्कूल गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ के दादा जी के पहले उनके पूर्वजों ने स्थापित किया था. उनके परिवार के लोग स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं. शहीद राजगुरु भी इस विद्यालय में पढ़ चुके हैं.

बैजनाथ पटेल ओबीसी वर्ग से आते हैं. हरोज गांव के रहने वाले बैजनाथ 1995 से सन 2000 तक गांव के प्रधान थे. जनसंघ के वक्त से पार्टी से जुड़े हैं. वाराणसी के पुराने भाजपा नेता होने के साथ ही पीएम मोदी के भरोसेमंद के रूप में उनकी पहचान है.

लालचंद कुशवाहा ओबीसी वर्ग से आते हैं और कैंट विधानसभा के रहने वाले हैं. भाजपा के मंडल अध्यक्ष होने के साथ ही पार्टी में सक्रिय हैं और कुशवाहा की अपने वर्ग में अच्छी पकड़ भी है.

संजय सोनकर दलित वर्ग से आते हैं और वाराणसी में भाजपा के जिला महामंत्री हैं. पीएम के भरोसेमंद की लिस्ट में इनका नाम है और 2022 में बरेका हेलीपैड पर पीएम से मुलाकात करने समय उनकी तस्वीर सामने आई थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014, 2019 की तरह इस बार भी अपने प्रस्ताव को रिपीट नहीं किया है. 2014 में मदन मोहन मालवीय के पौत्र पंडित जस्टिस गिरधर मालवीय, अशोक कुमार, पंडित छन्नूलाल मिश्रा और वीरभद्र निषाद को प्रस्तावक बनाया गया था. जबकि 2019 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की मानस पुत्री प्रोफेसर अन्नपूर्णा शुक्ल, डॉ उमाशंकर पटेल, सुभाष गुप्ता और डोम राजा जगदीश चौधरी को प्रस्तावक बनाया गया था.

जानिए प्रस्तावक कौन होते हैं और उनकी जरूरत क्यों पड़ती है : किसी भी चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है. चुनाव आयोग के निर्देश के मुताबिक प्रस्तावक लोकल स्तर पर होने वाले वे लोग हैं जो किसी भी कैंडिडेट को चुनाव लड़ने के लिए अपनी तरफ से प्रस्ताव रखते हैं. आमतौर पर नामांकन के लिए वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम कैंडिडेट के लिए 10 प्रस्तावकों की जरूरत होती है.

चुनाव नामांकन नियमों के अनुसार यदि कोई उम्मीदवार किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है तो निर्वाचन क्षेत्र के एक मतदाता को उसकी उम्मीदवारी का प्रस्ताव देना आवश्यक होता है.

यदि उम्मीदवार एक स्वतंत्र उम्मीदवार है या पंजीकृत लेकिन गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल द्वारा नामित उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है तो निर्वाचन क्षेत्र के 10 मतदाताओं को प्रस्ताव के रूप में नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर करना होता है.

नियमों के अनुसार रिटर्निंग ऑफिसर को प्रस्तावकों के हस्ताक्षर सत्यापित करने होते हैं. यदि एक संक्षिप्त पूछताछ के बाद रिटर्निंग ऑफिसर यह निर्धारित करता है कि हस्ताक्षर वास्तविक नहीं हैं, जैसा प्रस्तावक ने दावा किया है तो प्रस्तावकों के कारण भी नामांकन पत्र रद्द किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें : पीएम मोदी नामांकन LIVE; दशाश्वमेध घाट पर पहुंचे प्रधानमंत्री, पांच वैदिक विद्वानों की मौजूदगी में कर रहे पूजन

Last Updated : May 14, 2024, 10:39 AM IST
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