मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक मनेंद्रगढ़ के प्रबंधक और एक दिव्यांग शिक्षक के बीच का विवाद शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है. शिक्षक पवन दुबे ने अपने दिवंगत पिता की आत्मा की शांति के लिए बैंक के सामने ही मुंडन और पिंडदान कर अनोखे ढंग से विरोध जताया. इस प्रदर्शन के पीछे की वजह दिव्यांग शिक्षक ने बैंक की कार्यशैली और मानवीय असंवेदना को बताया है.
बैंक के सामने किया मुंडन और पिंडदान : दिव्यांग शिक्षक पवन दुबे के मुताबिक, 24 सितंबर को दिव्यांग शिक्षक पवन दुबे के पिता का देहांत हो गया. जिसके बाद दिव्यांग शिक्षक अपने आर्थिक संकट को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक मनेंद्रगढ़ से मदद की अपील की. दुबे ने बैंक को पत्र लिखकर आग्रह किया कि सितंबर माह की उनकी लोन की किश्त को एक महीने के लिए टाल दिया जाए, ताकि वे अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी पूरी कर सकें. लेकिन बैंक प्रबंधक ने नियमों का हवाला देते हुए निवेदन अस्वीकार कर उनकी सैलरी से किश्त काट लिया. इससे नाराज पवन दुबे ने बैंक के सामने अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए मुंडन और पिंडदान किया.
मेरे पिता का स्वर्गवास बीते दिनों हुआ है. जिसके बाद मैंने बैंक मैनेजर को पत्र लिखकर निवेदन किया कि जो मेरी प्रतिमाह ईएमआई कटती है, उसे इस में के लिए स्थगित कर दें, ताकि मैं अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकूं, लेकिन शाखा प्रबंधक ने मेरे दिए गए आवेदन को दरकिनार कर किसी अनुनय को नहीं माना. इससे मुझे बहुत तकलीफ हुआ. इसलिए आज मैंने बैंक के सामने मुंडन और पिंडदान किया. : पवन दुबे, दिव्यांग शिक्षक
बैंक मैनेजर ने दिया नियमों का हवाला : छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक मनेंद्रगढ़ के शाखा प्रबंधक आशुतोष झा का कहना है कि पवन दुबे पहले भी दबाव बनाकर काम करवा चुके हैं और इस बार भी वही कोशिश कर रहे थे. प्रबंधक ने कहा कि बैंक के नियमों के अनुसार ही कार्य किया जाता है. इसलिए इस बार दुबे की मांग मानना संभव नहीं था. उन्होंने यह भी कहा कि दुबे ने एसडीएम कार्यालय से कोई अनुमति लिए बिना यह विरोध प्रदर्शन किया, जो कि गलत है.
बैंक नियमों के अधीन उनका निवेदन को स्वीकार नहीं किया जा सकता था, तो कटौती हमको करनी पड़ी. बाकी शिक्षक का, सिर्फ अभी ही नहीं इससे पहले के शाखा प्रबंधक रहे हैं, उनके प्रति भी इसी तरह का व्यवहार रहा है. उनके द्वारा धमकी दी जाती है और दबाव बनाया जाता है. नियम के तहत हम जितना सहयोग कर सकते हैं, वह करते हैं. लेकिन उनका यह निवेदन नियम के खिलाफ है. : आशुतोष झा, शाखा प्रबंधक, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक मनेंद्रगढ़
यह घटना केवल बैंक और दिव्यांग शिक्षक के बीच का मामला ही नहीं है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए उदाहरण है, जो बैंकिंग व्यवस्था में मानवीय संवेदनाओं की उम्मीद करते हैं. बैंक के नियमों के खिलाफ मैनेजर कोई कदम नहीं उठा सकता, यह जनता को समझना चाहिए. अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या बैंक प्रबंधक पर कोई कार्रवाई होती है या फिर यह मामला इसी मोड़ पर समाप्त हो जाएगा.