भोपाल : अगर आपने पहली बार यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) का नाम सुना है तो बता दें कि यह केंद्र सरकार द्वारा लाई गई नई पेंशन योजना है, जो ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम और एनपीएस यानी नेशनल पेंशन स्कीम से जरा हटकर है. इस पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन की गारंटी मिलेगी. ये पेंशन कर्मचारी की आखिरी 1 साल की बेसिक सैलरी के 50 प्रतिशत के बराबर होगी.
यूपीएस में कुछ शर्तें भी
हालांकि, यूपीएस में भी कुछ शर्तें हैं, जो कर्मचारियों को शायद पसंद न आएं. पहली शर्त यह है कि यूपीएस का पूरा लाभ लेने के लिए कम से कम 25 साल की नौकरी होनी चाहिए. वहीं अगर नौकरी का कुल समय 25 साल से कम होगा तो उसके हिसाब से पेंशन की राशि भी कम होती चली जाएगी.
मध्यप्रदेश के कर्मचारियों को होगा फायदा?
अब बात करें मध्यप्रदेश के कर्मचारियों की तो सरकार अगर केंद्र की तरह यूपीएस लागू करती है तो कई मामलों में कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सकता है. लंबे समय से मध्यप्रदेश के कर्मचारी संघ ओल्ड पेंशन स्कीम बंद किए जाने से एक निश्चित पेंशन की मांग कर रहे थे, पेंशन के लिए एनपीएस स्कीम भी थी पर कर्मचारियों का मानना है कि एनपीएस में पेंशन की राशि कम या अपर्याप्त होती है. ऐसे में यूपीएस से प्रदेश के कर्मचारियों को बड़ी राहत मिल सकती है.
![BENEFITS OF UNIFIED PENSION SCHEME](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/29-08-2024/22323888_pp.jpg)
भविष्य को लेकर नहीं होगी चिंता
मध्यप्रदेश के कर्मचारी संघों ने चिंता जताई थी कि नेशनल पेंशन स्कीम से मिलने वाली पेंशन निवेश व बाजार के आधार पर होती है. ऐसे में कर्मचारी को यह पता नहीं होता था कि भविष्य में उसे कितनी पेंशन मिलेगी. वहीं यूपीएस स्कीम में ऐसा कुछ भी नहीं है. इस योजना में कर्मचारियों को उनके आखिरी वेतन के 50 प्रतिशत का हिस्सा बतौर पेंशन निश्चित ही मिलेगा, जो उनकी कार्य अवधि के आधार पर होगा.
यूपीएस में एनपीएस से ज्यादा योगदान
सबसे खास बात यह है कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम में सरकार ने अपनी ओर से 18.5 प्रतिशत योगदान करने की बात कही है, वहीं कर्मचारी का योगदान 10 प्रतिशत होगा. वहीं एनपीएस में कर्मचारी का योगदान 10 प्रतिशत होता था और सरकार की ओर से 14 प्रतिशत. यानी इस योजना में सरकार अपनी ओर से 4.5 प्रतिशत योगदान और देगी.
अगले वित्तीय वर्ष से मिलेगा लाभ
केंद्र सरकार की यह योजना केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अगले वित्त वर्ष 2025-26 से लागू हो जाएगी. माना जा रहा है कि मोहन यादव सरकार भी केंद्र सरकार के नक्शे कदम पर चलते हुए यूपीएस को साथ ही साथ लागू कर सकता है. हालांकि, सरकार को इससे पड़ने वाले 225 करोड़ के अतिरिक्त भार के लिए कॉस्ट कटिंग भी करनी पड़ सकती है. यूपीएस की खास बात ये है कि इसमें ओल्ड पेंशन योजना यानी ओपीएस और राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) की खासियतों को शामिल किया गया है. ओपीएस की तरह यूपीएस में भी निश्चित पेंशन सुनिश्चित की जा रही है और यही मांग मध्यप्रदेश के कर्मचारी लंबे समय से कर रहे थे.
तो कितनी मिलेगी पेंशन?
यूपीएस अगर मध्यप्रदेश में लागू होती है तो कर्मचारियों को उनके आखिरी एक साल के बेसिक का 50 प्रतिशत हर महीन बतौर पेंशन दिए जाने का प्रावधान है. उदाहरण के तौर पर यदि किसी कर्मचारी की एक साल की बेसिक पे का कुल जोड़ 50 हजार रु होता है, तो उसे रिटायरमेंट के बाद हर महीने 25 हजार रु तक की पेंशन मिले सकती है. यह एक तरह से ओल्ड पेंशन स्कीम की तरह ही है, पर इसमें एक शर्त कर्मचारी की कुल कार्य अवधि से जुड़ी हुई है, जिसके आधार पर पेंशन का अनुपात तय होगा.
प्रदेश सरकार पर आएगा 225 करोड़ का भार
वित्त विभाग के मुताबिक मध्यप्रदेश सरकार अगर इस पेंशन स्कीम को अपने 5 लाख कर्मचारियों के लिए लागू करती है, तो इससे सरकार पर सालाना 225 करोड़ रु का अतिरिक्त भार आएगा. यही वजह है कि वित्त विभाग के वरिष्ठतम अधिकारी इस योजना के हर पहलुओं पर अध्ययन करने के बाद सीएम को रिपोर्ट सौंपेंगे. मोहन यादव सरकार ने इसे प्रदेश में लागू करने का इशारा किया है, वहीं इसे लेकर कर्मचारी संघों की भी मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है. केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति के महासचिव यशवंत पुरोहित ने कहा, " यूपीएस, नेशनल पेंशन स्कीम से बेहतर और पुरानी पेंशन स्कीम से कम बेहतर है. हालांकि, इसमें एक निश्चित पेंशन मिलेगी." वहीं मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने कहा, '' यूपीएस से एनपीएस के नुकसान कम हुए, लेकिन खत्म नहीं हुए.''