उज्जैन। 12 ज्योतिर्लिंग में से एक महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व बड़े धूमधाम से बनाया गया. 8 मार्च को प्रातः काल भगवान महाकाल के पट खोलते ही पंडित पुजारी ने विधि विधान से भगवान महाकाल का पूजन पाठ किया. इसके बाद भगवान महाकाल पूरे दिन निराकार रहे और रात 11:00 बजे कोटेश्वर कुंड की पूजा होने के बाद भगवान कोटेश्वर को सेहरा पहनाया गया. सेहरा आरती होने के बाद भगवान महाकाल का पूजन पाठ कर दूल्हा बनाया फिर भगवान महाकाल निराकार से साकार रूप में आए.
12 बजे हुई भस्म आरती
सुबह 11 बजे भगवान का सेहरा उतारने के बाद भगवान महाकाल की साल में एक बार दिन में भस्म आरती की जाती है. जिसमें भगवान 44 घंटे भक्तों को दर्शन देते हैं. भगवान महाकाल का पंचांग अभिषेक किया गया इसके बाद पंडित पुजारी ने भगवान महाकाल का विशेष सिंगर कर दोपहर 12 बजे भस्म आरती की गई. जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का परिवार भी शामिल हुआ.
11 बजे उतारा भगवान का मुकुट सेहरा
शिवरात्रि महापर्व की रात में भगवान श्री महाकालेश्वर का महाभिषेक कर पुष्प मुकुट धारण कराया गया था. सुबह 11 बजे भगवान का मुकुट सेहरा उतारा गया. सुबह से ही आम श्रद्धालुओं की कतार दर्शन के लिए लगी रहीं. दोपहर में 12 बजे से भगवान महाकाल की वर्ष में एक बार दोपहर में होने वाली भस्म आरती प्रारंभ हुई. जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए.
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19 मार्च को शिव विवाह
भगवान महाकाल के दरबार में 29 फरवरी से महाशिवरात्रि पर्व की शुरुआत हो गई थी. रोजाना नौ दिनों तक भगवान महाकाल ने अलग-अलग स्वरूपों में भक्तों को दर्शन दिए. शिव विवाह मनाने की परंपरा एकमात्र उज्जैन में ही है. यहां भगवान महाकाल के दरबार में शिव विवाह बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. अब उज्जैन के शयन आरती भक्त मंडल की ओर से 19 मार्च को शिव विवाह को लेकर एक बारात निकाली जाएगी. इसके बाद एक नगर भोज का आयोजन किया जाएगा. जिसे भगवान शिव और पार्वती का रिसेप्शन कहा जाता है.