उज्जैन: महाकालेश्वर मंदिर में तैयार किए जाने वाले लड्डू प्रसाद की शुद्धता और गुणवत्ता को लेकर हमेशा तारीफ मिली है. लेकिन हाल ही में तिरुपति बालाजी में प्रसाद के रूप में मिलने वाले लड्डूओं की गुणवत्ता पर सवाल उठने के बाद महाकालेश्वर मंदिर के लड्डू प्रसाद की निर्मित प्रक्रिया पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. महाकाल प्रबंधन समिति लड्डूओं में उपयोग होने वाली हर एक चीज की बारीकी से जांच करवाती है और उसके बाद ही उन चीजों का लड्डू बनाने में उपयोग होता है.
लड्डूओं में उपयोग होने वाली चीजें
महाकाल मंदिर के लड्डू श्रद्धालुओं के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हैं. चिंतामणि के पास स्थित एक यूनिट में लड्डू तैयार किए जाते हैं. लड्डूओं के लिए तैयार होने वाले मिश्रण में उपयोग होने वाली हर एक चीज की बारीकी से जांच होती है. इन लड्डूओं में चने की दाल, रवा, सांची का देसी घी, ड्राई फ्रूट्स, इलायची और किशमिश जैसी सामग्रियों का उपयोग किया जाता है. इन सभी साम्रगी का मिश्रण तैयार होने से पहले हर चीज जांच के लिए लेबोट्ररी भेजी जाती है.
'लेबोट्ररी में होती है हर सामग्री की जांच'
लड्डूओं को बनाने में बेसन, रवा, शक्कर का भूरा, सांची का देसी घी, ड्राई फ्रूट्स, इलायची और किशमिश जैसी सामग्रियों का उपयोग होता है. इन सामग्रियों की पहले लेबोट्ररी में जांच की जाती है और तभी लड्डू बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है. लड्डू यूनिट प्रभारी कमलेश सिसोदिया बताते हैं कि "जो भी सामान आता है उसकी सूचना खाद्य अधिकारी को दी जाती है और उसकी जांच करते हैं और लेबोट्ररी से जांच करवाते हैं इसके बाद ही उस सामान का इस्तेमाल होता है. लड्डू बनने के बाद उसकी फिर लेबोट्ररी में जांच करवाई जाती है और अनुमति मिलने के बाद ही पैकिंग की जाती है. यदि जांच में कोई सामान अमानक पाया जाता है तो उसे व्यापारी को वापस कर दिया जाता है."
'लड्डूओं को मिली है 5 स्टार रेटिंग'
लड्डू यूनिट में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. लड्डू यूनिट प्रभारी कमलेश सिसोदिया बताते हैं कि "हर घंटे साफ सफाई की जाती है. इस प्रक्रिया में करीब 60 लोग लगे हैं. गुणवत्ता को लेकर विशेष ध्यान रखा जाता है. लड्डूओं को सेफ भोग अवार्ड मिला है साथ ही 5 स्टार रेटिंग मिली है. पैकिंग भी उच्च मानकों के अनुसार की जाती है ताकि इसकी नकल कोई नहीं कर सके."
'हर दिन बनते हैं 50 से 60 क्विंटल लड्डू'
महाकालेश्वर मंदिर के लड्डू प्रसाद की मांग सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. लड्डू यूनिट प्रभारी कमलेश सिसोदिया बताते हैं कि "हर दिन मंदिर समिति 25 से 30 क्विंटल लड्डू बनाती है. विशेष पर्वों पर 50 से 65 क्विंटल लड्डू तैयार किए जाते हैं. ये 100 ग्राम, 200 ग्राम, 500 ग्राम और 1 किलो के पैकेट में उपलब्ध होते हैं. इस प्रसाद की कीमत 400 रुपये प्रति किलो है. विशेष पर्वों पर अतिरिक्त लड्डू बनाए जाते हैं ताकि भक्तों की मांग पूरी हो सके."
'सभी मंदिरों में प्रसाद की हर महीने हो जांच'
महाकाल मंदिर के मुख्य पुजारी महेश पुजारी ने तिरुपति की घटना को लेकर कहा कि "ये देश के लिए शर्मसार करने वाली घटना है. उन्होंने इसके लिए मैनेजमैंट को दोषी बताया है और ये सब कमीशनखोरी के लिए किया जाता है. इसमें जो कमेटी है और ट्रस्ट के जो प्रमुख लोग हैं उन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. अब जरूरी हो गया है कि देश के सभी ऐसे मंदिरों में जहां प्रसाद की व्यवस्था है वहां हर महीने जांच होना चाहिए. महाकाल मंदिर प्रसाद को लेकर कहा कि यहां शुद्धता बनी हुई है लेकिन मंदिर समिति को सजग और जागरुक रहना चाहिए."
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'साधु-संतों के हवाले की जाए व्यवस्था'
महामंडलेश्वर शैलेश आनंद गिरि जी महाराज का कहना है कि तिरुपति में यदि प्रसाद में मिलावट की गई है तो उसके दोषियों को कड़ा दंड मिलना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि जब ऐसी व्यवस्थाएं शासकीय नियंत्रण में आती हैं तो वहां इस प्रकार की गतिविधि आ ही जाती है क्योंकि वहां राजनीतिक विद्वेष का भाव आता है इसलिए मठ मंदिर की व्यवस्था साधु संतों के हवाले किया जाए और सरकार को मार्गदर्शक की भूमिका में रहना चाहिए.