उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित चिंतामण गणेश मंदिर देश भर में एक अनोखी पहचान रखता है. यहां भगवान गणेश तीन अलग-अलग रूपों (चिंतामण गणेश, इच्छामण गणेश और सिद्धिविनायक) के रूप में विराजमान हैं. मान्यता है कि यहां भगवान गणेश भक्तों की सभी चिंताओं को हरते हैं, इच्छाएं पूरी करते हैं और रिद्धि-सिद्धि प्रदान करते हैं. आइए इस मंदिर से जुड़ी खास मान्यताएं और इसके इतिहास के बारे में जानते हैं.
3 रूपों में विराजित हैं भगवान गणेश
उज्जैन शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर स्थित यह चिंतामण गणेश मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है. मंदिर में भगवान गणेश 3 रूपों में विराजित हैं. चिंताओं का हरण करने वाले चिंतामण गणेश, इच्छाओं को पूर्ण करने वाले इच्छामण गणेश और सिद्धि देने वाले सिद्धिविनायक. लोगों का दावा है कि ये प्रतिमाएं स्वयं-भू हैं यानी ये स्वतः प्रकट हुई हैं. पुजारी पंडित गणेश गुरू ने बताया कि ''चिंतामण गणेश मंदिर में यहां आने वाले भक्त गणेश जी से उल्टा स्वास्तिक बनाकर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं और जब वह पूरी हो जाती हैं, तो सीधा स्वास्तिक बनाते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.''
जानिए चिंतामण गणेश मंदिर का इतिहास
पंडित गणेश गुरू के मुताबिक, मंदिर का प्रमुख आकर्षण यह है कि यहां भक्त रक्षा सूत्र बांधते हैं जो उनकी इच्छाओं की पूर्ति के प्रतीक होते हैं. जब मनोकामना पूरी हो जाती है तो भक्त वापस आकर रक्षा सूत्र खोलते हैं. यहां की एक अन्य अनोखी प्रथा यह है कि यदि किसी दंपत्ति को संतान प्राप्ति होती है तो वह बच्चे के वजन के बराबर लड्डू को तोल कर भगवान गणेश को अर्पित करते हैं. मंदिर के इतिहास की बात करें तो इस मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान राम, लक्ष्मण और सीता ने की थी. लोगों का मानना है कि वनवास के दौरान एक दिन सीता माता को प्यास लगी. तब लक्ष्मण ने इस स्थल पर तीर मारा और धरती से जल निकला. उसी स्थान पर एक बावड़ी का निर्माण हुआ, जिसे आज लक्ष्मण बावड़ी के नाम से जाना जाता है.
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आज भी स्थित है लक्ष्मण बावड़ी
माना जाता है कि तब भगवान राम ने चिंतामण गणेश, लक्ष्मण ने इच्छामण गणेश और माता सीता ने सिद्धिविनायक की पूजा की थी. मंदिर के सामने लक्ष्मण बावड़ी आज भी स्थित है, जहां भक्त दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने लगभग 250 साल पहले बनवाया था. गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. खासकर बुधवार के दिन और गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहां भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं.