नई दिल्ली: एक्सीडेंट या अचानक हृदयघात (हार्ट अटैक) के कारण इन दिनों लोगों की असामयिक मृत्यु की घटनाएं काफी बढ़ गई है. लेकिन अगर बेसिक मेडिकल जानकारी हो, तो ऐसे मामलों में व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है. हालांकि जागरूकता की कमी के कारण ऐसे लोगों की जान नहीं बचाई जा पाती. इसी को लेकर दिल्ली एम्स में एनेस्थेसियोलॉजी, पेन मेडिसिन और क्रिटिकल केयर विभाग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में ओटी टेक्नोलॉजी में अत्याधुनिक प्रगति पर चर्चा के अलावा इमरजेंसी में सीपीआर (Cardiopulmonary resuscitation) देकर मरीजों की जान बचाने की बेसिक मेडिकल ट्रेनिंग भी दी गई.
ऑर्गेनाइजिंग कमेटी के सचिव व एनेस्थिसिया विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि ऑपरेशन थियेटर टेक्नोलॉजी हमारी बैकबोन होते हैं. इसलिए ये हमेशा अपडेटेड होना चाहिए. दिक्कत यह है कि इनके लिए कॉफ्रैंसेज या सेमिनार बहुत कम होते हैं, जिसके कारण इनके विशेषज्ञों को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है. यदि ओटी टेक्नीशियन तकनीक को लेकर अपडेटेड नहीं रहेंगे, तो हमारा ऑपरेशन थियेटर का काम बाधित होगा, जिसका खामियाजा अंतिम रूप से मरीजों को ही भगतना पड़ता है. हमने इसलिए ये देशव्यापी कांफ्रैंस व सेमिनार का आयोजन इसलिए किया, ताकि ओटी टेक्नीशियन को अपडेट किया जाए. सेमिनार में शामिल 400 से अधिक प्रतिभागियों को सीपीआर जैसी लाइफ सेविंग ट्रेनिंग भी दी गई. इनमें डॉक्टरों के अलावा बीएससी ओटी टेक्नोलॉजी के छात्रों ने भी हिस्सा लिया.
वहीं एनेस्थिसिया विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सना ने सीपीआर के बारे में बताया कि इन दिनों बड़ी संख्या में देखने को मिलता है कि अचानक हार्ट अटैक से युवओं लोगों की मौत हो जाती है. यह काफी दु:खद है. अच्छी बात यह है कि सही लाइफ सेविंग ट्रेनिंग से ऐसी मौतों को बहुत हद तक टाला जा सकता है. सीपीआर ऐसी ही ट्रेनिंग है. यह उनको दिया जाता है, जिन्हें अचानक हार्ट अटैक हुआ और बेहोश होकर गिर पड़े. जब भी कोई व्यक्ति अचानक बेहोश होकर गिरे तो उन्हें तत्काल सीपीआर देकर उनकी जान बचाई जा सकती है. ऐसे व्यक्ति की सबसे पहले हृदय की धड़कन और नब्ज देखते हैं. यदि नब्ज नहीं मिला रही हो और सांस भी नहीं चल रही हो तो इसका मतलब है कि हार्ट ने काम करना बंद कर दिया है. ये लक्षण हार्ट अटैक या कर्डियक अरेस्ट के हैं. ऐसे में तत्काल सीपीआर देने की आवश्यकता होती है.
डॉ. सना ने आगे बताया कि सीपीआर का मतलब है छाती को तेजी से प्रेस (दबाना) करना. ऐसा हार्ट को रिवाइव करने और ब्लड सर्कुलेशन को चालू करने के लिए किया जाता है. सीपीआर के साथ-साथ बेहोश व्यक्ति को नियमित अंतराल पर सांस भी दी जाती है. कुछ देर के बाद मरीज को होश आ सकता है, तबतक बैकअप में इमरजेंसी कॉल कर एंबुलेंस को भी बुलाना जरूरी होता है. यह इसलिए सीखना जरूरी है ताकि अचानक हृदयघात के शिकार व्यक्ति की जान बचाई जा सके. इसमें जितनी देरी होगी, मरीज के होश में आने की संभावना उतनी ही कम होगी. इसलिए इसका समय बहुत मायने रखता है.
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