जशपुर:छत्तीसगढ़ के नागलोक के रूप में पहचान रखने वाले जशपुर में स्नेक्स की 29 प्रजातियां पाई जाती है. इनमें व्हाइट लिप्ड पिट वाइपर भी शामिल है. इस विशेष प्रजाति के सांप में एक ही पोजिशन में घंटों स्थिर रहने की अद्भुत क्षमता होती है. यह सांप जहरीला होता है. इसका जहर मनुष्य के किडनी और लीवर को नुकसान पहुंचाता है और कुछ ही देर में इंसान की मौत हो जाती है.
बिना जहर वाला सांप भी जशपुर में पाया जाता है: इसी तरह छत्तीसगढ़ में अल्प संख्या में पाया जाने वाला विषविहिन सांप कॉपर हेडेड ट्रिकेंट स्नेक भी जशपुर में पाया जाता है. यह सांप नाग की तरह फन फैलाकर रखता है. जिससे इसके बेहद जहरीला होने का भ्रम होता है. लेकिन वास्तव में यह सांप विषविहिन होता है. यानी इस सांप में बिल्कुल भी जहर नहीं होता.
सांपों की खोज में कैसर हुसैन का योगदान: जशपुर में पाई जाने वाली सांपों की प्रजातियों की खोज कैसर हुसैन और उनकी संस्था ग्रीन नेचर वेलफेयर सोसायटी से जुड़े उनके साथियों ने की है. कैसर हुसैन टीचर है. उनकी संस्था से 15 सदस्य जुड़े हुए हैं. इनमें से 10 सदस्य सांप रेस्क्यू अभियान से जुड़े हुए हैं. कैसर हुसैन ने बताया कि सांप उन्हें बचपन से ही आकर्षित करते रहे हैं. 6 वीं कक्षा में पढ़ने के दौरान उन्होंने घर में घुसे हुए एक सांप को मरते हुए देखा था. इस घटना ने उन्हें सर्प रेस्क्यू के लिए प्रेरित किया. तब से वे अपने आसपास के घरों में घुस आने वालें सांपों को पकड़ कर जंगल में छोड़ने का काम कर रहे हैं.
कैसर हुसैन बताते हैं कि 2009 से उन्होंने सांप रेस्क्यू का काम शुरू किया. आगे चल कर उनके इस अभियान से राहुल तिवारी सहित अन्य साथी जुड़े. युवाओं की इस टीम ने 5 हजार से ज्यादा सांपों का रेस्क्यू किया है. रेस्क्यू के दौरान ही कैसर हुसैन और उनके साथियों ने मिलकर जशपुर में पाई जाने वाली प्रजातियों की पहचान की है.
वन्य जीवों की गणना में सांप शामिल नहीं: डीएफओ जितेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि जशपुर में वन्य जीवों की गणना आखिर बार साल 2022 में की गई थी.इस गणना में शाकाहारी और मांसाहारी जीवों को शामिल किया गया था लेकिन इनमें सांप शामिल नहीं था. जिससे जशपुर में कितने सांप है ये फिलहाल पता नहीं चल सका है. कैसर हुसैन और उनके साथियों का मानना है कि सांप की प्रजातियों की पहचान सुनिश्चित होने से उनके संरक्षण में सहायता मिल सकती है. शासन प्रशासन को इस दिशा में पहल करनी चाहिए.
सांपों को भा रहा है जशपुर का मौसम: सांपों को जशपुर जिले का मौसम बहुत भा रहा है. यही कारण है कि जिले में सर्प प्रभावित क्षेत्र का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. डीएफओ जितेन्द्र उपाध्याय बताते हैं कि जशपुर प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है, जहां शीतल, गर्म और आर्द्र तीनों प्रकार की जलवायु पाई जाती है. यहां चट्टान युक्त पहाड़ और खोखले पेड़ की संख्या भी ज्यादा है. भुरभुरी मिट्टी में चूहा और दीमक भी ज्यादा संख्या में पाए जाते हैं. ये सांप का पसंदीदा भोजन होते हैं. भोजन और रहवास की अनुकुलता, जशपुर को सांप का पसंदीदा स्थान बना रहे हैं.
सांपों की संख्या बढ़ने की वजह जानिए: डीएफओ जितेन्द्र उपाध्याय बताते है कि जशपुर में सांप की संख्या बढ़ने का एक कारण प्राकृतिक फूड चेन का टूटना भी है. ये सिस्टम प्रकृति में सभी जीव जंतुओं की संख्या को संतुलित रखता है लेकिन बीते कुछ सालों में सांपों का भक्षण करने वाले बाज, चील, गिद्व के साथ नेवलों की संख्या भी कम हुई है. इससे स्वाभाविक रूप से सांपों की संख्या में वृद्वि हो रही है.
सरकारी फाइलों में कैद हुआ स्नेक पार्क और वेनम कलेक्शन सेंटर: नागलोक जशपुर की पहचान को पर्यटन का रूप देने के लिए सरकारी योजनाएं तो कई बनी लेकिन यह धरातल पर नहीं उतरी. यहां सालों से ये प्रस्ताव सरकारी फाइलों में ही कैद होकर रह गई है. साल 2013-14 में जिला प्रशासन ने स्नेक पार्क का प्रस्ताव तैयार किया, योजना थी कि जिले में पाए जाने वाली प्रजातियों को यहां संरक्षित किया जाए लेकिन सेंट्रल जू अथॉरिटी से इसकी अनुमति ना मिलने से यह पूरी योजना अधर में लटक गई. इसे संशोधित करते हुए 2017 और 2019 में प्रशासन ने स्नेक वेनम कलेक्शन सेंटर बनाने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा लेकिन यह प्रस्ताव भी अब तक सेंट्रल जू अथॉरिटी की स्वीकृति की बाट जोह रहा है.
जशपुर में सर्पदंश के कितने मामले: एसपी शशि मोहन सिंह ने बताया कि जिले में बीते साल 2023 में सर्पदंश से 36 और इस साल अब तक 14 मौतें हो चुकी है. जिले में करैत प्रजाति के सांप की बहुलता है. ये सांप रात के समय चूहे और दीमक खाने के लिए बिल से बाहर निकलते हैं और घरों में घुस जाते हैं. इस दौरान जमीन में सो रहे लोग आसानी से सर्पदंश का शिकार हो जाते हैं. एसपी सिंह ने बताया कि पुलिस प्रशासन, वन विभाग और जिला प्रशासन के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है ताकि लोग जमीन में ना सोए. इसके साथ ही सर्पदंश का शिकार होने पर जड़ी बूटी और झाड़फूंक के चक्कर में ना पड़कर,उपचार के लिए अस्पताल पहुंचे.