भिलाई : आदिवासी विकास परिषद के प्रदेशाध्यक्ष केआर शाह ने आदिवासियों को लेकर बड़ा बयान दिया है. केआर शाह की माने तो आज भी पचास फीसदी आदिवासी ऐसे हैं,जो हिंदू देवी देवताओं को नहीं जानते हैं. आदिवासियों की संस्कृति और सभ्यता हिंदू धर्म से बिल्कुल अलग है.आदिवासी नहीं जानते हैं कि कौन ब्रह्मा,विष्णु,महेश और लक्ष्मी गणेश है.
आदिवासियों की रीति रिवाज हैं अलग : केआर शाह ने बताया कि आदिवासी हजारों साल से मेन स्ट्रीम से दूर जंगल और बीहड़ों में रह रहे हैं. वहां अब तक विकास नहीं पहुंचा है. इसलिए उनको आरक्षण दिया जाए. क्योंकि ट्राइबल हजारों साल से घने जंगलों में निवास करने वाला व्यक्ति है. उसकी अपनी सभ्यता, संस्कृति और परंपरा है. उनके अपने तीज, त्योहार और परंपरा हैं. उनकी शादी, मरण, हरण सारे सिस्टम हिंदू धर्म के पैदा होने के पहले से हैं.
''आदिवासी परंपरा को कोई नहीं बदल सकता. आदिवासियों को संविधान में रूढ़िगत संरक्षण मिला है. उसकी रूढ़ि परंपरा पर ना तो भारत सरकार कोई कानून बना सकती है.ना ही राज्य सरकार को यह अधिकार है. उन्हें संविधान में ही विशेष संरक्षण मिला हुआ है. बीजेपी इसलिए तीसरी बार इतने बड़े बहुमत से सरकार बनाना चाहती है कि वो आरक्षण और संविधान को बदल सके.''- केआर शाह, प्रदेशाध्यक्ष आदिवासी विकास परिषद
बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप : शाह के मुताबिक 400 पार लाकर संविधान को बदलने की कोशिश जल, जंगल जमीन छत्तीसगढ़ की पहचान के रूप में है. बीजेपी 400 पार का नारा इसलिए लगा रही, क्योंकि वो संविधान में फेरबदल कर सके. जितने भी पब्लिक सेक्टर भारत में है, वो सभी निजी हाथों में सौंप दिए जाएंगे. आदिवासियों की मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड में मौजूद विशाल वन संपदा है. उसे खनिज और राष्ट्र के विकास के नाम पर निजीकरण कर दिया जाएगा.बीजेपी 2023 में इसी तरह का बिल लोकसभा में पारित कर चुकी है.
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