नई दिल्ली: आए दिन हो रहे ट्रेन हादसों को रोकने के लिए रेलवे की तरफ से ट्रेनों में कवच लगाने का काम किया जा रहा है. अगले 4 महीने में यानी कि दिसंबर के अंत तक दिल्ली मंडल की कुल 150 ट्रेनों में कवच लगा दिया जाएगा. अभी 65 ट्रेनों में इसे लगा दिया गया है. 85 ट्रेनों में कवच लगाने का काम चल रहा है. ट्रेनों में कवच लगाने के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 1112.57 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है.
सुरक्षा के लिए ट्रेनों के इंजन (लोकोमोटिव) और ट्रैक पर कवच लगाने का काम उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दिल्ली से पलवल रूट पर किया जा रहा है. 50 किलोमीटर के इस रूट पर 35 किमी से अधिक ट्रैक पर कवच लगा दिया गया है. साल के अंत तक पूरे ट्रैक पर कवच लगा दिया जाएगा. 65 ट्रेनों के इंजन में कवच लगाया गया है. 85 अन्य इजनों में कवच लगाने का काम चल रहा है. ये कवच लगने से दो ट्रेनें आपस में नहीं टकराएंगी. कवच से आने वाले सिग्नल के बारे में भी पता चल जाएगा. इससे कोहरे के कारण ट्रेनों का संचालन प्रभावित नहीं होगा. दिल्ली रेवाड़ी रूट के अतिरिक्त नई दिल्ली से पुरानी दिल्ली को भी कवच के दायरे में लाया जा रहा है.
देश भर में कवच के कार्य की स्थिति
यदि पूरे देश की बात की जाए तो अभी दिल्ली, मुंबई और दिल्ली हावड़ा गलियारे में करीब 300 किलोमीटर पर कवच से संबंधित उपकरण लगाए जा चुके हैं. 4275 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल भी बिछाई जा चुकी है. इतनी देर में 364 दूरसंचार के टावर भी लगाए जा चुके हैं. 285 रेलवे स्टेशनों को भी कवच के दायरे में लाया गया है. देश भर में अभी तक कुल 319 रेल इंजन को कवच से लैस किया गया है.
क्या है कवच और कैसे काम करता है
सुरक्षित तरीके से ट्रेनों के संचालन के लिए ट्रेन के लोकोमोटिव, रेलवे ट्रैक और सिग्नल में एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटक्शन सिस्टम लगाया जा रहा है, जिसे कवच नाम दिया गया है. रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) की ओर से इस डिवाइस को डेवलप किया गया है. सबसे पहले साउथ सेंट्रल रेलवे में इसका सफल ट्रायल किया गया था. ट्रायल के समय एक लोकोमोटिव में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव थे और सामने से आ रही दूसरी ट्रेन में तत्कालीन रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष बीके त्रिपाठी सवार थे. ट्रायल के समय दोनों ट्रेनें जैसे-जैसे एक दूसरे के पास आ रही थीं कवच सिस्टम लोको पायलट को अलार्म दे रहा था. दोनों ट्रेनों में 200 मीटर की दूरी पर खुद ब्रेक लग गई थी. कवच ट्रेन के इंजन, रेल की पटरी में लगाया जा रहा है. सभी दूरसंचार टावर से जुड़े रहते है. ये कवच अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी के माध्यम से काम करता है. कवच में यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम को भी शामिल किया गया है.
आरडीएसओ द्वारा भारत मे बनाया जा रहा स्वदेशी कवच, ट्रेन हादसे रोकेगा
- दिल्ली मंडल में दिल्ली - पलवल रूट पर करीब 35 किमी तक लगाया गया कवच
- दिल्ली मंडल के 65 लोगों को मोटिव में कवच लगा, 85 में लगाने का काम जारी
- कवच लगाने के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1112.57 करोड़ का है बजट
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