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टीआई की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज, जबरन फंसाने की दी थी दलील - TI AMIT TIWARI

बलौदाबाजार स्कैंडल केस में आरोपी टीआई अमित तिवारी की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है.

TI Amit tiwari given argument of forced entrapment
टीआई की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 15, 2024, 4:11 PM IST

बलौदाबाजार : बलौदाबाजार के चर्चित स्कैंडल केस में टीआई अमित तिवारी का भी नाम सामने आया था.जिसके बाद अमित तिवारी के खिलाफ कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई. जिसके बाद अमित तिवारी ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने केस के सभी पहलुओं को देखते हुए टीआई अमित तिवारी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.जिसके बाद अब टीआई के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटकी है.

क्यों हुई जमानत याचिका खारिज : इस मामले में आरोपित थाना प्रभारी ने पहले जिला अदालत में जमानत याचिका दायर की थी. लेकिन जिला कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था. जिला कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि इस तरह के मामलों में जमानत देने से समाज में गलत संदेश जा सकता है. खासकर जब पुलिस अधिकारी पर गंभीर आरोप लगे हो. कोर्ट का कहना था कि आरोपी पुलिसकर्मी के खिलाफ चल रही जांच को प्रभावित करने का डर है और इस समय उसे जमानत देना उचित नहीं होगा.

हाईकोर्ट ने भी जमानत याचिका ठुकराई : इसके बाद आरोपी ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई.लेकिन हाईकोर्ट ने भी जिला अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए टीआई अमित तिवारी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने ये माना कि इस मामले में आरोपी का जमानत पर बाहर रहना समाज के लिए अनुचित होगा. इससे न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप हो सकता है. जमानत देने से समाज में यह संदेश जाएगा कि ऐसे मामलों में प्रभावशाली लोग बच सकते हैं, जो कि न्याय व्यवस्था और समाज दोनों के लिए हानिकारक होगा.


टीआई ने दी थी जबरन फंसाने की दलील : टीआई अमित तिवारी ने हाईकोर्ट के सामने अपने वकील के माध्यम से ये दलील पेश की थी कि उसे जशपुर ट्रांसफर किया गया था.ज्वाइनिंग के बाद उसे फंसाया जा रहा है. केवल सह-आरोपी के ज्ञापन कथन के आधार पर वर्तमान आवेदक को फंसाया गया है. विधानसभा चुनाव के पूर्व आवेदक ने बीजेपी नेता के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की थी.जिसके बाद उन्हें छुड़वाने के लिए मौजूदा मंत्री ने थाने के सामने धरना दिया था.फिर भी कार्यकर्ताओं को नहीं छोड़ा गया था. इसी वजह से स्कैंडल के मुख्य आरोपी पर राजनीतिक दबाव डालकर उन्हें जबरन फंसाया जा रहा है. इसलिए आवेदक को अग्रिम जमानत देने की प्रार्थना करता है.

अब क्या होगी कार्रवाई : इस मामले में अब एएसपी हेमसागर सिदार जांच कर रहे हैं. अब जब टीआई अमित तिवारी की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है तो उनके पास कानूनी रास्ता नहीं बचा.इसलिए कभी भी पुलिस अमित तिवारी को अरेस्ट कर सकती है. वहीं कई अन्य पुलिसकर्मियों से भी पूछताछ की जा रही है. जांच पूरी होने के बाद मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी.इस कांड ने जहां एक ओर पुलिस अफसरों की संलिप्तता सामने आ रही है,वहीं दूसरी ओर खाकी की छवि भी धूमिल की है.लेकिन हाईकोर्ट ने दोषी पुलिसकर्मी को जमानत ना देकर अपराधियों को संदेश दिया है कि कानून की नजर में अपराधी को ढिलाई नहीं दी जा सकती.

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क्यों हुई जमानत याचिका खारिज : इस मामले में आरोपित थाना प्रभारी ने पहले जिला अदालत में जमानत याचिका दायर की थी. लेकिन जिला कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था. जिला कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि इस तरह के मामलों में जमानत देने से समाज में गलत संदेश जा सकता है. खासकर जब पुलिस अधिकारी पर गंभीर आरोप लगे हो. कोर्ट का कहना था कि आरोपी पुलिसकर्मी के खिलाफ चल रही जांच को प्रभावित करने का डर है और इस समय उसे जमानत देना उचित नहीं होगा.

हाईकोर्ट ने भी जमानत याचिका ठुकराई : इसके बाद आरोपी ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई.लेकिन हाईकोर्ट ने भी जिला अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए टीआई अमित तिवारी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने ये माना कि इस मामले में आरोपी का जमानत पर बाहर रहना समाज के लिए अनुचित होगा. इससे न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप हो सकता है. जमानत देने से समाज में यह संदेश जाएगा कि ऐसे मामलों में प्रभावशाली लोग बच सकते हैं, जो कि न्याय व्यवस्था और समाज दोनों के लिए हानिकारक होगा.


टीआई ने दी थी जबरन फंसाने की दलील : टीआई अमित तिवारी ने हाईकोर्ट के सामने अपने वकील के माध्यम से ये दलील पेश की थी कि उसे जशपुर ट्रांसफर किया गया था.ज्वाइनिंग के बाद उसे फंसाया जा रहा है. केवल सह-आरोपी के ज्ञापन कथन के आधार पर वर्तमान आवेदक को फंसाया गया है. विधानसभा चुनाव के पूर्व आवेदक ने बीजेपी नेता के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की थी.जिसके बाद उन्हें छुड़वाने के लिए मौजूदा मंत्री ने थाने के सामने धरना दिया था.फिर भी कार्यकर्ताओं को नहीं छोड़ा गया था. इसी वजह से स्कैंडल के मुख्य आरोपी पर राजनीतिक दबाव डालकर उन्हें जबरन फंसाया जा रहा है. इसलिए आवेदक को अग्रिम जमानत देने की प्रार्थना करता है.

अब क्या होगी कार्रवाई : इस मामले में अब एएसपी हेमसागर सिदार जांच कर रहे हैं. अब जब टीआई अमित तिवारी की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है तो उनके पास कानूनी रास्ता नहीं बचा.इसलिए कभी भी पुलिस अमित तिवारी को अरेस्ट कर सकती है. वहीं कई अन्य पुलिसकर्मियों से भी पूछताछ की जा रही है. जांच पूरी होने के बाद मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी.इस कांड ने जहां एक ओर पुलिस अफसरों की संलिप्तता सामने आ रही है,वहीं दूसरी ओर खाकी की छवि भी धूमिल की है.लेकिन हाईकोर्ट ने दोषी पुलिसकर्मी को जमानत ना देकर अपराधियों को संदेश दिया है कि कानून की नजर में अपराधी को ढिलाई नहीं दी जा सकती.

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