भीलवाड़ा. देश में छोटी-छोटी बात को लेकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ जाता है, वहीं शहर के मुख्य बाजार में रहने वाले मोहम्मद इरफान शेख साम्प्रदायिक एकता की नजीर पेश कर रहे हैं, जहां इरफान की पिछली तीन पीढियां पूजा के समय हाथ पर बांधने के साथ ही भगवान को अर्पण करने वाले लच्छे व दशा माता की बेल बेच रहे हैं. इरफान मंदिरों में मुख्य पुजारी द्वारा लेकर जाने वाले लच्छों पर बहुत ही कम मुनाफा लेते हैं.
शीतला सप्तमी के दिन दशा माता का पर्व मनाया जाता है, जहां सुहागिन व सभी महिलाएं व्रत रखकर पीपल की पूजा अर्चना करती है. इस दौरान दशा माता की कहानी सुनकर अपने गले में दशा माता की बेल यानी (तांती) बांधती है. यहां मोहम्मद इरफान शेख की दुकान पर काफी मात्रा में खरीदारी होती है.
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मोहम्मद इरफान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि उसकी तीन पीढ़ियां यह व्यापार लगभग 40 वर्ष से भीलवाड़ा के मुख्य बाजार में कर रहे हैं. इसकी शुरुआत उनके दादाजी ने की थी. बाद में पिताजी व वर्तमान में इस व्यापार को मै खुद संभाल रहा हूं. उन्होंने कहा, हमारी दुकान से ही भीलवाड़ा के सबसे बड़े धार्मिक स्थल हरणी महादेव व तिलस्वा महादेव मंदिर में पूजा के दौरान हाथ की कलाई पर बांधे जाने वाला लच्छा यहां से उपलब्ध करवाया जाता है.
अभी दशा माता पर हिंदू महिलाएं दशा माता की बेल पहनने की भी यहीं से खरीदते हैं. भीलवाड़ा में सभी धर्मों के लोग मेरी दुकान पर आते हैं. मैं हिंदू धर्म में पूजा पद्धति में काम आने वाले हर तरह के धागे व लच्छे बेचता हूं. आमजन की तुलना में मंदिर में पूजा के लिए काम में लिए जाने वाले लच्छे की रेट कम ली जाती है. मंदिर के पुजारी हैं जब यहां लच्छा लेने आते हैं तो थोड़ा रेट में ही उनको बेचता हूं, क्योंकि वे लोग खुद लोगों की कलाई पर निशुल्क रूप से बांधते हैं. शेख ने कहा कि मैं लोगों को यही संदेश देना चाहता हूं कि देश में कभी-कभी छोटी-छोटी बात पर माहौल खराब हो जाता है, जबकि हमारा भारत देश धार्मिक एकता का देश रहा है. यहां हर धर्म व मजहब के लोग बड़ी एकता के साथ रहते हैं. हम भी प्रेम और सद्भाव से रहे.