नई दिल्ली: हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा कैदी पैरोल मिलने के बाद फरार हो गया था. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 8 साल बाद उसे मंगोलपुरी इलाके से गिरफ्तार कर लिया. क्राइम ब्रांच के डीसीपी सतीश कुमार ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी की पहचान ईश्वर के तौर पर हुई है. वह 2016 से फरार चल रहा था.
डीसीपी ने बताया कि सितंबर 2008 में नूर उर्फ बबलू की हत्या के संबंध में दिल्ली के नांगलोई थाना में मामला दर्ज किया गया था. जांच में खुलासा हुआ कि ईश्वर ने अपने साथियों के साथ मिलकर शराब के नशे में लूटपाट के इरादे से पीड़ित पर धारदार चाकू से वार किया और उसकी मौत हो गई थी.
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8 साल से आत्मसमर्पण नहीं किया था
जांच के बाद ईश्वर और उसके पांच साथियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. मुकदमे के दौरान ईश्वर को दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. 19 मार्च 2016 को ईश्वर को 30 दिनों के लिए पैरोल पर रिहा किया गया. 20 अप्रैल 2016 को उसे जेल वापस आना था, लेकिन उसने आत्मसमर्पण नहीं किया.
ईश्वर की तलाश के लिए इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार के नेतृत्व में एक समर्पित टीम का गठन किया गया, जिसमें एसआई सचिन और ब्रज, एएसआई नरेंद्र और सुरेंद्र, एचसी दीपक, पप्पू, धर्मराज, श्याम सुंदर, मिंटू और विनोद शामिल थे. एसीपी नरेश कुमार की करीबी निगरानी में फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए टीम गठित की गई.
ऐसे हुई गिरफ्तारीः टीम ने दिल्ली, एनसीआर और अन्य संभावित ठिकानों पर तलाशी ली. कई स्रोतों का इस्तेमाल करने के बाद, हेड कांस्टेबल दीपक को सूचना मिली कि ईश्वर दिल्ली के मंगोलपुरी इलाके में देखा गया. जानकारी मिलते ही जाल बिछाकर मंगोलपुरी इलाके से ईश्वर को गिरफ्तार कर लिया गया.
पूछताछ के दौरान, आरोपी ईश्वर ने स्वीकार किया कि उसने आत्मसमर्पण नहीं किया था क्योंकि उसे सलाखों के पीछे अपनी जिंदगी बिताने का डर था, क्योंकि वह पहले ही आठ साल से अधिक की सजा काट चुका था. गिरफ्तारी से बचने के लिए, वह देहरादून और चंडीगढ़ के बीच घूमता रहा, और हाल ही में साथियों से मिलने दिल्ली आया था.
आरोपी ईश्वर का जन्म 1978 में दिल्ली के पीरागढ़ी गाँव में हुआ था. बड़े होते हुए, ईश्वर नकारात्मक प्रभावों के संपर्क में आया, जिससे वह मादक पदार्थ के सेवन और अपराध की ओर बढ़ गया. 2008 में, उसने नूर मोहम्मद की चाकू घोंपकर हत्या कर दी थी, जिसके परिणामस्वरूप उसे आजीवन कारावास की सजा हुई.
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