जयपुर : टोंक जिले के मालपुरा में 24 साल पहले हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान हुई हत्या के मामले में विशेष अदालत ने पांच आरोपियों को बरी कर दिया है. विशेष अदालत के पीठासीन अधिकारी श्वेता गुप्ता ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ हत्या का आरोप साबित करने में विफल रहा, जिसके चलते अब्दुल वहाब, मोहम्मद हसीब, आसिफ, फिरोज अहमद और उमर को दोषमुक्त कर दिया गया.
क्या है मामला ? : अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि 10 जुलाई, 2000 को मालपुरा में दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक दंगा हुआ था. इस दौरान चुंगी नाके के पास कैलाश माली की हत्या कर दी गई थी. घटना के दो दिन बाद मृतक के बेटे मनोज ने रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसे बाद में जांच के लिए सीआईडी-सीबी को सौंपा गया. जांच पूरी करने के बाद सीआईडी-सीबी ने 9 अक्टूबर, 2000 को अदालत में आरोप पत्र पेश किया था.
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बचाव पक्ष ने क्या दलील दी ? : बचाव पक्ष के अधिवक्ता शौकत आलम ने अदालत में तर्क दिया कि मृतक कैलाश माली स्वयं एक अन्य हत्या मामले में आरोपी था और उनके मुवक्किलों को इस मामले में फंसाया गया है. उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष कोई भी स्वतंत्र गवाह पेश नहीं कर सका, जिसने हत्या को अपनी आंखों से देखा हो. यहां तक कि एफआईआर दर्ज कराने वाले मनोज ने भी घटना को प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा था. रिपोर्ट उसने दूसरों की जानकारी के आधार पर दो दिन बाद दर्ज कराई थी.
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया कि अभियोजन पक्ष हत्या के आरोप साबित करने में असमर्थ रहा है. इस आधार पर पांचों आरोपियों को बरी कर दिया गया. गौरतलब है कि मालपुरा में उसी दिन हुई एक अन्य घटना में मारे गए हरिराम के हत्याकांड में अदालत ने कुछ दिन पहले ही आठ दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.