जयपुर. 'स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े' के तहत जयपुर में देश की पहली नवदुर्गा वाटिका स्थापित की गई. यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने नौ औषधीय पौधे लगाकर नवदुर्गा वाटिका का शुभारंभ किया. ये 9 औषधीय पौधे नवरात्रि में पूजी जाने वाली मां दुर्गा के 9 स्वरूपों से जुड़े हैं। यहां वाटिका तैयार कर नवरात्रि में बड़ा आयोजन करते हुए देश भर में संदेश देने की तैयारी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस 17 सितम्बर से शुरू हुए 'स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े' के तहत बुधवार को अनूठा नवाचार किया गया. जयपुर में मानसरोवर स्थित गुरू गोलवलकर पार्क में नवदुर्गा वाटिका स्थापित की गई. इस नवदुर्गा वाटिका में नव दुर्गा की तर्ज पर नौ औषधीय पौधे लगाए गए. यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने इस नवदुर्गा वाटिका का शुभारंभ करते हुए कहा यहां लगे नवदुर्गा के चित्रों की पूजा-आरती भी की. इस अवसर पर उन्होंने बताया कि औषधीय पौधे स्वास्थ्य को बेहतर रखने के साथ-साथ पर्यावरण को भी बेहतर बनाते हैं. ग्रेटर निगम की ओर से नवदुर्गा वाटिका की स्थापना अपने आप में एक अनूठा नवाचार है. इन औषधीय पौधे से जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. नवदुर्गा की तर्ज पर बने नौ औषधीय पौधों की ये वाटिका आमजन के लिये उपयोगि सिद्ध होगी, क्योंकि इसमें औषधीय पौधों की भी जानकारी भी दी गई है. उन्होंने इसे विश्व की पहली अनूठी नवदुर्गा वाटिका बताया और आगे सभी शहर और कस्बों में इस तरह की नव दुर्गा वाटिका तैयार करने की बात कही. इस दौरान झाबर सिंह खर्रा ने इस वाटिका को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पेड़ मां के नाम अभियान से भी जोड़ा.
वहीं इस संबंध में महापौर सौम्या गुर्जर ने कहा कि नवदुर्गा की तर्ज पर नौ औषधीय पौधों की वाटिका लगाई गई है. जब इन औषधीय पौधों को आमजन ग्रहण करेंगे तो उनके शरीर में नवदुर्गा की शक्ति भी आएगी और जीवन पर सकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा. वहीं अब नवरात्रि में गरबा डांडिया के सांस्कृतिक आयोजन भी किए जाएंगे. उन्होंने इसे शुरुआत बताते हुए आगे शहर के और पार्कों में भी नवदुर्गा वाटिका तैयार करने की बात कही.
नौ औषधीय पौधों की उपयोगिता :-
- मां शैलपुत्री - हरड़ : हरड़ का पौधा एंटी ओक्सिडेंट, पाचन तंत्र, सूजन, बवासीर, खासी, पीलिया, एसिडीटी के लिए उपयोगी है।
- मां ब्रह्मचारिणी - ब्राह्मी : ब्राह्मी के पौधा आयु, याददाश्त, रक्तविकार के लिए उपयोगी है।
- मां चंद्रकांता - चंद्रशूर : चंद्रशूर का पौधा खांसी, कब्ज, विटामिन सी की कमी के लिए उपयोगी है।
- मां कुष्मांडा - पेठा : पेठा के पौधा रक्तविहार के लिए उपयोगी है।
- मां स्कंदमाता - अलसी : अलसी का पौधा वात, पित्त, कफ के लिये उपयोगी है।
- मां कात्यायनी - मोइया : मोइया का पौधा कफ, पित्त और गले के रोग के लिए उपयोगी है।
- मां कालरात्रि - नागदोन : नागदोन का पौधा मन एवं मस्तिष्क के विकारों, बवासीर के लिए उपयोगी है।
- मां महागौरी - तुलसी : तुलसी का पौधा रक्तविकार, हदय रोग के लिए उपयोगी है।
- मां सिद्धिदात्री - शतावरी : शतावरी का पौधा बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है।