शिमला: दस साल पहले शिमला में चार साल का मासूम बच्चे मास्टर युग का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था. शिमला के एक कारोबारी परिवार के मासूम बच्चे को पड़ोस के ही तीन युवकों ने फिरौती के लालच में अपहरण किया था. बाद में तीनों दरिंदों ने मासूम को तड़पा-तड़पा कर जिंदा ही शरीर को पत्थर से बांधकर पानी के टैंक में फेंक दिया था. स्टेट सीआईडी ने केस को सुलझाया और शिमला की एक अदालत ने तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी. दोषियों को सुनाई गई फांसी की सजा के पुष्टिकरण के लिए मामला हाईकोर्ट में लंबित है. इस दौरान कई न्यायाधीशों ने इस केस से खुद को अलग किया. अब नए घटनाक्रम के तहत राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल यानी महाधिवक्ता इस केस में सरकार की ओर से पक्ष रखेंगे.
मामले में हाईकोर्ट में दोषियों को सुनाई गई फांसी की सजा पर बहस होनी थी. इसी बीच, राज्य सरकार की ओर से मामले में पेश हुए डिप्टी एडवोकेट जनरल की ओर से अदालत को बताया गया कि गृह विभाग से एक हिदायत मिली है. राज्य सरकार के गृह विभाग से मिली हिदायत के अनुसार इस मामले की पैरवी अब डिप्टी एडवोकेट जनरल की जगह एडवोकेट जनरल करेंगे.
मामले में तीन दोषियों की ओर से भी फांसी की सजा के पुष्टिकरण पर हाईकोर्ट में जुलाई माह में सुनवाई की मांग की गई. इस मांग को स्वीकारते हुए अदालत ने सुनवाई 25 जुलाई को निर्धारित करने के आदेश जारी किए. तीनों दोषियों की फांसी की सजा के पुष्टिकरण का मामला सत्र न्यायाधीश शिमला की ओर से रेफरेंस के तौर पर हाईकोर्ट के समक्ष रखा गया है. इस मामले में तीनों दोषियों ने भी अपील के माध्यम से सत्र न्यायाधीश शिमला के फैसले को चुनौती दी हुई है.
उल्लेखनीय है कि दस वर्ष पहले शिमला में एक 4 वर्षीय बच्चे युग की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी. हत्या में शामिल तीन दोषियों को जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है. 6 सितंबर 2018 को तीनों दोषी चंद्र शर्मा, तेजिंद्र पाल और विक्रांत बख्शी को सजा सुनाते हुए तत्कालीन सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की अदालत ने इस अपराध को दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी (रेयरेस्ट ऑफ रेयर) के दायरे में पाया था.
तीनों दोषियों ने 14 जून, 2014 को शिमला के राम बाजार से फिरौती के लिए मास्टर युग का अपहरण किया था. अपहरण के दो साल बाद सीआईडी ने मामले को सुलझाते हुए अगस्त 2016 में भराड़ी पेयजल टैंक से युग का कंकाल बरामद किया गया था. जांच में सामने आया था कि तीनों दोषियों ने मासूम से क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए युग के शरीर में पत्थर बांध कर, उसे जिंदा ही नगर निगम शिमला के भराड़ी सहित पानी स्टोरेज टैंक में फेंक दिया था. फिलहाल बच्चे के परिजन न्याय की आस में हैं.
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