नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद नगर निगम की महापौर सुनीता दयाल और नगर आयुक्त विक्रम आदित्य मलिक के बीच तल्खी अब और खुलकर सामने आ रही है. हालांकि अभी तक पत्राचार के माध्यम से ही आरोप लगाए जा रहे थे. लेकिन अब मेयर इस पूरे प्रकरण पर खुलकर सामने आई है. नगर निगम मुख्यालय में महापौर सुनीता दयाल ने प्रेस वार्ता कर नगर आयुक्त पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं.
महापौर सुनीता दयाल का कहना है कि उनके कैंप कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर राजकुमार तैनात था. पिछली मेयर के कार्यकाल के दौरान भी राजकुमार ने कंप्यूटर ऑपरेटर का कार्यभार संभाला. मेयर बदलने पर कंप्यूटर ऑपरेटर को नहीं बदल गया. अचानक पता चलता है कि कंप्यूटर ऑपरेटर राजकुमार को उसके दायित्व से हटा दिया गया है. काम कार्यालय से हटाने के बाद मुझे किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी गई. कैंप कार्यालय से कंप्यूटर ऑपरेटर को हटाना सीधी तानाशाही है.
निगम अधिकारियों द्वारा किसी भी बात को मेरे संज्ञान में नहीं लाया गया
सुनीता दयाल का कहना है कि कंप्यूटर ऑपरेटर पर तमाम तरह के आरोप लगाए गए. लेकिन निगम अधिकारियों द्वारा किसी भी बात को मेरे संज्ञान में नहीं लाया गया. मेयर का कहना है इस पूरे प्रकरण के होने के बाद भी वह पूरी तरह से शांत रहीं. इस संबंध में उसके समक्ष कोई विषय नहीं रखा. मेयर का कहना है की नगर निगम में अनिमियताओं के कई प्रकरण उनके समक्ष आए. ऐसे तमाम प्रकरणों को ठीक करने का काफी प्रयास किया.
फाइलों को आगे बढ़ाने के लिए कमीशन की मांग
मेयर का आरोप है कि ठेकेदारों की फाइलों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ कमीशन लिया जाता है. ये सारा काम नाक के नीचे हो रहा है. मेयर का कहना है कि जब उन्होंने निगम के अधिकारियों से एक प्रकरण से संबंधित फाइल मांगी तो उसमें से सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज निकाल लिए गए. एग्रीमेंट का कागज छोड़ फाइल में से सभी कागज गायब थे. फाइल को देखकर समझ आ गया कि आखिर किस्सा क्या है. महापौर का कहना है कि नगर आयुक्त और स्वास्थ्य अधिकारी ने मिलकर फ्रॉड किया. फ्रॉड हमारे सामने ना आ जाए इसलिए फाइल मांगने की वजह से हमारे ऊपर इतने आरोप लगाए गए.
पति को बीच में लाकर किया अपमानित
महापौर सुनीता दयाल ने कहा कि मेरे पति को बीच में लाया गया. पति की बात और धारा एक्ट की बात कर यह साबित किया गया कि महिला कमजोर है वह कुछ नहीं जानती और उसे सहारे की जरूरत है. पार्षद पति का नाम लेकर पार्षदों को अपमानित किया गया. मेयर का कहना है कि वह इस विषय को लेकर महिला आयोग में जाएगी.
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बीते दिनों, नगर आयुक्त ने पत्र लिख पत्र कहा था कि महापौर के पति को नगर निगम के फाइलों को देखने का अधिकार नहीं है. फाइलों को अप्रूवल से पहले मंगाकर देखने की बात सामने आई है. नगरायुक्त ने सभी विभागाध्यक्षों को लेटर भेजा था. वहीं, महापौर ने नगर आयुक्त द्वारा लगाए गए तमाम आरोपों का पत्र जारी कर जवाब दिया था. नगर आयुक्त को संबोधित करते हुए महापौर ने लिखा था आप शायद यह स्थापित करना चाहते है कि आपको नगर निगम में निरंकुश शासन करने का अधिकार है.
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