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राजभवन में शिक्षक सम्मान समारोह, रायपुर के राजर्षि पाण्डेय हुए सम्मानित, कहा- सालों के मेहनत का मिला फल - Teachers honor ceremony at CG

छत्तीसगढ़ के राजभवन में शिक्षक सम्मान समारोह में रायपुर के राजर्षि पाण्डेय को सम्मानित किया गया. इस दौरान उन्होंने कहा कि सालों के की गई मेहनत का फल मिला है.

TEACHERS HONOR CEREMONY AT CG
रायपुर के राजर्षि पाण्डेय हुए सम्मानित (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 5, 2024, 8:08 PM IST

राजभवन में शिक्षक सम्मान समारोह (ETV Bharat)

रायपुर: छत्तीसगढ़ के राजभवन में शिक्षक दिवस के मौके पर शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इसमें शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले शिक्षकों को राज्यपाल ने सम्मानित किया. इस दौरान राजर्षि पाण्डेय को भी सम्मानित किया गया. राजर्षि पाण्डेय कबीरधाम जिले के पंडरिया विकासखंड अंतर्गत शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला सिंगपुर में पदस्थ हैं. उन्हें डॉ. मुकुटधर पांडे स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

राज्यपाल से हुए सम्मानित: ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान राजर्षि पाण्डेय ने कहा, "साल 1995 से शिक्षा के क्षेत्र में काम करते आ रहे हैं.साल 2024 में इसका फल मिला है. साल 1995 में शिक्षा के क्षेत्र में काम शुरू किया था. लगातार मेहनत के बाद राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय उपलब्धि हर क्षेत्र में दिया हूं. शिक्षा के साथ खेल, नवाचार, पुरातत्व, विज्ञान, वैल्यू एजुकेशन ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जिसमें मैंने काम नहीं किया है. हर क्षेत्र में काम करने का अवसर मुझे मिला है. खेल क्षेत्र में मुझे बहुत ज्यादा बड़ी उपलब्धि मिली है. 8 राष्ट्रीय टीम में चयन होकर मेडल प्राप्त किए हैं. खेल अलंकरण में शासन की ओर से 21000 रुपए और 15000 की राशि प्रदान की गई. ऐसे बहुत सारे क्षेत्र हैं, जिसमें मैंने काम किया है."

"शिक्षा के प्रति उनका जुनून ऐसा था कि मैंने अशासकीय सेवक से अपने करियर की शुरुआत की. 1 साल तक बिना किसी वेतन मैने काम किया. उसके बाद मिडिल स्कूल में शिक्षक रहते हुए हाई स्कूल का काम करने लगा. मेरा एक जूनून था शिक्षा साहित्य के क्षेत्र में काम करने का. इस सब का प्रतिफल यह हुआ कि साल 2024 में डॉक्टर मुकुटधर पांडे स्मृति पुरस्कार से मुझे सम्मानित किया गया. आने वाले समय में मेरा फोकस आईसीटी पर होगा, क्योंकि आने वाला समय आईसीटी का है." - राजर्षि पाण्डेय, राज्यपाल से सम्मानित शिक्षक

शिक्षा के क्षेत्र में हुए बदलाव: शिक्षा के क्षेत्र में 1995 से 2024 के बीच में हुए बदलाव को लेकर राजर्षि पाण्डेय ने कहा, "उस दौरान उस स्थिति के अनुसार हम ढले थे. हमें तकनीक मिला. उसकी सहायता से शिक्षा का जीवन आसान हो जाता है. यह लेसन लगातार चलता रहता है. यह प्रक्रिया है, उसमें हमें अपडेट होना पड़ेगा. जैसे-जैसे अपडेट होते रहेंगे, आगे काम चलता रहेगा. नई नीति नई तकनीक आती रहेगी. उससे बच्चे जरूर लाभान्वित भी होंगे."

निजी स्कूलों का रूख कर रहे बच्चे: बच्चों के सरकारी स्कूल की जगह निजी स्कूलों में जाने के ट्रेंड को लेकर राजर्षि पाण्डेय ने कहा कि इसके लिए कक्षा में अच्छे से काम करना होगा. सफलता का एक ही मूल मंत्र होता है- अच्छी मेहनत और यदि हम मेहनत करते हैं, तो निश्चित रूप से इसमें हमें सफलता मिलेगी. इसी मूल मंत्र के साथ मैं काम कर रहा हूं.

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राज्यपाल से हुए सम्मानित: ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान राजर्षि पाण्डेय ने कहा, "साल 1995 से शिक्षा के क्षेत्र में काम करते आ रहे हैं.साल 2024 में इसका फल मिला है. साल 1995 में शिक्षा के क्षेत्र में काम शुरू किया था. लगातार मेहनत के बाद राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय उपलब्धि हर क्षेत्र में दिया हूं. शिक्षा के साथ खेल, नवाचार, पुरातत्व, विज्ञान, वैल्यू एजुकेशन ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जिसमें मैंने काम नहीं किया है. हर क्षेत्र में काम करने का अवसर मुझे मिला है. खेल क्षेत्र में मुझे बहुत ज्यादा बड़ी उपलब्धि मिली है. 8 राष्ट्रीय टीम में चयन होकर मेडल प्राप्त किए हैं. खेल अलंकरण में शासन की ओर से 21000 रुपए और 15000 की राशि प्रदान की गई. ऐसे बहुत सारे क्षेत्र हैं, जिसमें मैंने काम किया है."

"शिक्षा के प्रति उनका जुनून ऐसा था कि मैंने अशासकीय सेवक से अपने करियर की शुरुआत की. 1 साल तक बिना किसी वेतन मैने काम किया. उसके बाद मिडिल स्कूल में शिक्षक रहते हुए हाई स्कूल का काम करने लगा. मेरा एक जूनून था शिक्षा साहित्य के क्षेत्र में काम करने का. इस सब का प्रतिफल यह हुआ कि साल 2024 में डॉक्टर मुकुटधर पांडे स्मृति पुरस्कार से मुझे सम्मानित किया गया. आने वाले समय में मेरा फोकस आईसीटी पर होगा, क्योंकि आने वाला समय आईसीटी का है." - राजर्षि पाण्डेय, राज्यपाल से सम्मानित शिक्षक

शिक्षा के क्षेत्र में हुए बदलाव: शिक्षा के क्षेत्र में 1995 से 2024 के बीच में हुए बदलाव को लेकर राजर्षि पाण्डेय ने कहा, "उस दौरान उस स्थिति के अनुसार हम ढले थे. हमें तकनीक मिला. उसकी सहायता से शिक्षा का जीवन आसान हो जाता है. यह लेसन लगातार चलता रहता है. यह प्रक्रिया है, उसमें हमें अपडेट होना पड़ेगा. जैसे-जैसे अपडेट होते रहेंगे, आगे काम चलता रहेगा. नई नीति नई तकनीक आती रहेगी. उससे बच्चे जरूर लाभान्वित भी होंगे."

निजी स्कूलों का रूख कर रहे बच्चे: बच्चों के सरकारी स्कूल की जगह निजी स्कूलों में जाने के ट्रेंड को लेकर राजर्षि पाण्डेय ने कहा कि इसके लिए कक्षा में अच्छे से काम करना होगा. सफलता का एक ही मूल मंत्र होता है- अच्छी मेहनत और यदि हम मेहनत करते हैं, तो निश्चित रूप से इसमें हमें सफलता मिलेगी. इसी मूल मंत्र के साथ मैं काम कर रहा हूं.

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