लखनऊ: एसजीपीजीआई में पूरे प्रदेश के गंभीर मरीज इलाज के लिए लाए जाते हैं. इनमें हवा के जरिए फैलने वाले संक्रमण की सटीक जांच करने में कई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा था. सटीक जांच के लिए माइक्रोबायोलॉजी विभाग की देखरेख में बीएसएल-3 लैब बनाई गई है. इसमें कल्चर और ड्रग सेंसिटिविटी जांच के साथ ही मॉलीक्यूलर परीक्षण और शोध पर काम भी आसान होगा. एसजीपीजीआई में अब टीबी के मरीजों को और बेहतर इलाज मिल सकेगा. बीमारी की सटीक पहचान के लिए क्षय रोग जैव सुरक्षा स्तर-3 (बीएसएल- 3) लैब बनाई गई है. लैब का काम अंतिम चरण में है. संस्थान प्रशासन का दावा है कि जुलाई महीने से इसका लाभ मिलने लगेगा. संस्थान के निदेशक डॉ. आरके धीमन ने बताया कि कोरोना काल में सरकार ने पीजीआई में बीएसएल 3 लैब स्थापित करने की मंजूरी दी थी. लैब का नोडल माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. रिचा मिश्रा को बनाया गया है.
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एक्सट्रीमली ड्रग रेजिस्टेंट टीबी का चलेगा पता: डॉ. रिचा मिश्रा ने बताया, कि ड्रग सेंसिटिविटी टेस्ट से मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी और एक्सट्रीमली ड्रग रेजिस्टेंट टीबी का पता लगाना आसान होगा. यह परीक्षण बीएसएल लैब में ही संभव है. ड्रग रेजिस्टेंट टेस्ट के बाद ही टीबी का सटीक उपचार संभव होगा. अभी तक पीजीआई में ड्रग सेंसिटिविटी टेस्ट की सुविधा नहीं थी.
केजीएमयू में जल्द दूर होगा मुफ्त दवाओं का संकट: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में मरीजों को मिलने वाली मुफ्त दवाओं का संकट दूर होगा. केजीएमयू प्रशासन की ओर से दवाओं की खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू करा दी गई है. 9 जुलाई तक प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. इसके बाद दवा आपूर्ति शुरू होगी. केजीएमयू की ओपीडी में रोजाना सात से आठ हजार मरीज आ रहे हैं. ओपीडी मरीजों के साथ वार्ड में भर्ती मरीजों को भी कुछ प्रकार की दवाएं मुफ्त मुहैया कराई जाती हैं. अभी तक दवाओं के संकट का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा था. संस्थान के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह का कहना है, कि मरीजों को बेहतर और किफायती इलाज उपलब्ध की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. जल्द से जल्द टेंडर प्रक्रिया पूरी की जाएगी. इसके बाद मरीजों को और अधिक प्रकार की दवाएं मिल सकेंगी.
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