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ताजमहल या तेजोमहालय केस पर सुनवाई आज, वादी का ऐलान महाकुंभ में चलाएंगे हस्ताक्षर अभियान - TAJ MAHAL OR TEJO MAHALAYA CASE

सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी को पक्षकार बनाए जाने के अधिकार पर होनी है सुनवाई.

ताजमहल या तेजोमहालय केस.
ताजमहल या तेजोमहालय केस. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 20, 2025, 10:12 AM IST

आगरा : आगरा की दीवानी स्थित लघुवाद न्यायालय के न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में ताजमहल या तेजोमहालय विवाद की सुनवाई सोमवार को होगी. पिछली तारीख 16 दिसंबर 2024 की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी के वादी बनाए जाने के प्रार्थना पर आपत्ति दाखिल पर सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी के अधिवक्ता कोर्ट में जवाब दाखिल नहीं किया था. जिससे समय के अभाव में कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 20 जनवरी 2025 नियत की थी. वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि प्रयागराज महाकुंभ में तेजोमहालय की मुक्ति के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा.



बता दें, योगी यूथ बिग्रेड अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने 23 जुलाई 2024 को अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर के जरिए सावन माह में ताजमहल या तेजोमहालय में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग की थी. इसके बाद से ही इस मामले में लगातार सुनवाई चल रही है. इस मामले में अब तक यूनियन ऑफ इंडिया के जरिए सचिव सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार को पक्षकार बनाया जा चुका है. साथ ही मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुैसन जैदी ने कोर्ट में खुद को वादी बनाए जाने का प्रार्थना पत्र दिया है. जिसमें वादी पक्ष, प्रतिवादी एएसआई और भारत संघ से मिले होने का आरोप लगाया गया है.



केंद्र सरकार से मांग प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 करें खारिज

वादी योगी यूथ बिग्रेड के वादी अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि इस मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्ति करने के प्रार्थना पत्र किया जा चुका है. साथ ही ताजमहल के सर्वे की मांग प्रार्थना पत्र दाखिल करना था. मगर, बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 पर हुई सुनवाई में दिए गए निर्देश की वजह से ताजमहल के सर्वे का प्रार्थना पत्र नहीं दिया जा सका. इस बारे में वादी योगी यूथ बिग्रेड अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने बताया कि ताजमहल की लड़ाई जारी रखेंगे. केंद्र सरकार से मांग है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को खारिज करे. यह एक्ट बहुसंख्यक हिंदुओं, सिख, जैन और बौद्ध समेत अन्य के मूल अधिकारों का हनन करता है. जिससे ही हिंदू अपने मंदिरों को मस्जिद, दरगाह और मजारों से मुक्त करा सकें.



सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी नहीं मुगल वंशज

वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि एएसआई ने मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी के वादी बनाए जाने के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दाखिल की है. इससे साफ है कि प्रतिवादी एएसआई और सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी मिले हैं. जबकि, हम कोर्ट में सात अक्टूबर 2024 को ही अपनी आपत्ति दाखिल कर चुके हैं. जिसमें कहा था कि सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी की ताजमहल निजी प्रॉपर्टी नहीं है. ना ही वे शाहजहां के वंशज हैं. ऐसे में ये केस लड़ने का कोई अधिकार नहीं है.



ताजमहल की छवि हो रही खराब : मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने इस मामले में वादी बनने को प्रार्थना पत्र दाखिल किया है. जिसमें कहा कि सुर्खियों में रहने के लिए आगरा में कई लोग आए दिन ताजमहल को लेकर कुछ न कुछ करते रहते हैं. जिससे चेहरा चमकता रहे जो ताजमहल और आगरा की छवि दुनिया में खराब कर रहे हैं. अव्यवस्थाओं के जो वीडियो वायरल होते हैं, वो भी ताजमहल और आगरा के पर्यटन कारोबार के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने कोर्ट में ये भी कहा था कि जहां पर मस्जिद या मकबरा है वो वक्फ संपत्ति है. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. अभी हमें वादी नहीं बनाया है.



एएसआई ने की थी ये अपील

बता दें, सितंबर की सुनवाई में प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल के अधिवक्ता विवेक कुमार ने न्यायालय में आपत्ति दाखिल की थी. जिसमें एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल एक सरकारी अधिकारी होने की वजह से मुकदमा नहीं चलाने की जानकारी दी थी. इस मामले में भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया जाए. जबकि, वादी ने अधिवक्ता के जरिए धारा 80 सीपीसी का नोटिस दिया था. जिससे सरकारी अधिकारी पर मुकदमा हो सकता है. इस मामले में भारत सरकार प्रतिवादी है.


वादी ने वाद में किया था ये दावा

वादी कुंवर अजय तोमर का दावा है कि सन 1212 में राजा परमर्दिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक विशाल शिव मंदिर बनवाया था. जिसका नाम तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा परमर्दिदेव के बाद राजा मानसिंह ने तेजोमहालय को अपना महल बनाया, लेकिन राजा मानसिंह ने तेजोमहालय मंदिर सुरक्षित रखा. राजा मानसिंह से मुगल शहंशाह शाहजहां ने तेजोमहालय हड़प लिया. जिस पर ताजमहल का निर्माण कराया. तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कब्र एक सफेद झूठ है. मुमताज का निधन 1631 में हो हुआ था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था. किसी भी मृत को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है. जबकि असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया था.


वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि तेजोमहालय यानी ताजमहल के मुख्य मकबरे पर कलश है. वो हिन्दू मंदिरों की तरह है. क्योंकि आज भी हिन्दू मंदिरों पर कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा है. साथ ही कलश और चंद्रमा की नोंक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है, जो भगवान शिव का चिह्न है. ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिह्न हैं, जो हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. जिनका सनातन धर्म में महत्व है. देखा जाए तो हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते थे. ऐसे ही तेजोमहालय यानी ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है.


आक्रांता ने मंदिर ध्वस्त कर बनाए मकबरे और मस्जिद : वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि विदेशी आक्रांता मुगल जब भारत आए तो उन्होंने हिंदू मंदिर ध्वस्त किए. वहां पर मकबरे और मस्जिद बनवाईं. उन्होंने कहा कि किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. ताजमहल में मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करते हैं. वहां उर्स भी होता है, फिर सावन माह या महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकता है. न्यायालय में मामला विचाराधीन है. इसलिए इस सावन में तेजोमहालय में जलाभिषेक नहीं कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें : ताजमहल या तेजोमहालय: ASI ने वादी बनाने की अर्जी पर दाखिल की आपत्ति, जानिए पूरा मामला - TAJ MAHAL OR TEJOMAHALAYA CASE

यह भी पढ़ें : ताजमहल-तेजोमहालय विवाद; सर्वे कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई आज, पढ़िए पूरा मामला - TAJ MAHAL SURVEY COURT HEARING

आगरा : आगरा की दीवानी स्थित लघुवाद न्यायालय के न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में ताजमहल या तेजोमहालय विवाद की सुनवाई सोमवार को होगी. पिछली तारीख 16 दिसंबर 2024 की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी के वादी बनाए जाने के प्रार्थना पर आपत्ति दाखिल पर सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी के अधिवक्ता कोर्ट में जवाब दाखिल नहीं किया था. जिससे समय के अभाव में कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 20 जनवरी 2025 नियत की थी. वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि प्रयागराज महाकुंभ में तेजोमहालय की मुक्ति के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा.



बता दें, योगी यूथ बिग्रेड अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने 23 जुलाई 2024 को अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर के जरिए सावन माह में ताजमहल या तेजोमहालय में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग की थी. इसके बाद से ही इस मामले में लगातार सुनवाई चल रही है. इस मामले में अब तक यूनियन ऑफ इंडिया के जरिए सचिव सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार को पक्षकार बनाया जा चुका है. साथ ही मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुैसन जैदी ने कोर्ट में खुद को वादी बनाए जाने का प्रार्थना पत्र दिया है. जिसमें वादी पक्ष, प्रतिवादी एएसआई और भारत संघ से मिले होने का आरोप लगाया गया है.



केंद्र सरकार से मांग प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 करें खारिज

वादी योगी यूथ बिग्रेड के वादी अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि इस मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्ति करने के प्रार्थना पत्र किया जा चुका है. साथ ही ताजमहल के सर्वे की मांग प्रार्थना पत्र दाखिल करना था. मगर, बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 पर हुई सुनवाई में दिए गए निर्देश की वजह से ताजमहल के सर्वे का प्रार्थना पत्र नहीं दिया जा सका. इस बारे में वादी योगी यूथ बिग्रेड अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने बताया कि ताजमहल की लड़ाई जारी रखेंगे. केंद्र सरकार से मांग है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को खारिज करे. यह एक्ट बहुसंख्यक हिंदुओं, सिख, जैन और बौद्ध समेत अन्य के मूल अधिकारों का हनन करता है. जिससे ही हिंदू अपने मंदिरों को मस्जिद, दरगाह और मजारों से मुक्त करा सकें.



सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी नहीं मुगल वंशज

वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि एएसआई ने मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी के वादी बनाए जाने के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दाखिल की है. इससे साफ है कि प्रतिवादी एएसआई और सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी मिले हैं. जबकि, हम कोर्ट में सात अक्टूबर 2024 को ही अपनी आपत्ति दाखिल कर चुके हैं. जिसमें कहा था कि सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी की ताजमहल निजी प्रॉपर्टी नहीं है. ना ही वे शाहजहां के वंशज हैं. ऐसे में ये केस लड़ने का कोई अधिकार नहीं है.



ताजमहल की छवि हो रही खराब : मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने इस मामले में वादी बनने को प्रार्थना पत्र दाखिल किया है. जिसमें कहा कि सुर्खियों में रहने के लिए आगरा में कई लोग आए दिन ताजमहल को लेकर कुछ न कुछ करते रहते हैं. जिससे चेहरा चमकता रहे जो ताजमहल और आगरा की छवि दुनिया में खराब कर रहे हैं. अव्यवस्थाओं के जो वीडियो वायरल होते हैं, वो भी ताजमहल और आगरा के पर्यटन कारोबार के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने कोर्ट में ये भी कहा था कि जहां पर मस्जिद या मकबरा है वो वक्फ संपत्ति है. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. अभी हमें वादी नहीं बनाया है.



एएसआई ने की थी ये अपील

बता दें, सितंबर की सुनवाई में प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल के अधिवक्ता विवेक कुमार ने न्यायालय में आपत्ति दाखिल की थी. जिसमें एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल एक सरकारी अधिकारी होने की वजह से मुकदमा नहीं चलाने की जानकारी दी थी. इस मामले में भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया जाए. जबकि, वादी ने अधिवक्ता के जरिए धारा 80 सीपीसी का नोटिस दिया था. जिससे सरकारी अधिकारी पर मुकदमा हो सकता है. इस मामले में भारत सरकार प्रतिवादी है.


वादी ने वाद में किया था ये दावा

वादी कुंवर अजय तोमर का दावा है कि सन 1212 में राजा परमर्दिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक विशाल शिव मंदिर बनवाया था. जिसका नाम तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा परमर्दिदेव के बाद राजा मानसिंह ने तेजोमहालय को अपना महल बनाया, लेकिन राजा मानसिंह ने तेजोमहालय मंदिर सुरक्षित रखा. राजा मानसिंह से मुगल शहंशाह शाहजहां ने तेजोमहालय हड़प लिया. जिस पर ताजमहल का निर्माण कराया. तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कब्र एक सफेद झूठ है. मुमताज का निधन 1631 में हो हुआ था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था. किसी भी मृत को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है. जबकि असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया था.


वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि तेजोमहालय यानी ताजमहल के मुख्य मकबरे पर कलश है. वो हिन्दू मंदिरों की तरह है. क्योंकि आज भी हिन्दू मंदिरों पर कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा है. साथ ही कलश और चंद्रमा की नोंक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है, जो भगवान शिव का चिह्न है. ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिह्न हैं, जो हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. जिनका सनातन धर्म में महत्व है. देखा जाए तो हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते थे. ऐसे ही तेजोमहालय यानी ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है.


आक्रांता ने मंदिर ध्वस्त कर बनाए मकबरे और मस्जिद : वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि विदेशी आक्रांता मुगल जब भारत आए तो उन्होंने हिंदू मंदिर ध्वस्त किए. वहां पर मकबरे और मस्जिद बनवाईं. उन्होंने कहा कि किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. ताजमहल में मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करते हैं. वहां उर्स भी होता है, फिर सावन माह या महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकता है. न्यायालय में मामला विचाराधीन है. इसलिए इस सावन में तेजोमहालय में जलाभिषेक नहीं कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें : ताजमहल या तेजोमहालय: ASI ने वादी बनाने की अर्जी पर दाखिल की आपत्ति, जानिए पूरा मामला - TAJ MAHAL OR TEJOMAHALAYA CASE

यह भी पढ़ें : ताजमहल-तेजोमहालय विवाद; सर्वे कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई आज, पढ़िए पूरा मामला - TAJ MAHAL SURVEY COURT HEARING

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