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शिमला में कांग्रेस के 'सुल्तान' अपने ही 'घर' में चित, क्या हैं बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार के फैक्टर - BJP won shimla seat

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 4, 2024, 5:05 PM IST

संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के सासंद सुरेश कश्यप ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है. इस सीट पर बीजेपी की जीत के लिए हाटी समुदाय को जनजातिय समुदाय का दर्जा दिलाना बड़ा फैक्टर रहा है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल का सोलन और सिरमौर में प्रभाव होना भी बीजेपी के पक्ष में रहा है. 2009 से ये सीट बीजेपी के पास है. इस बार कांग्रेस यहां ढेर हो गई है. 2009 में बीजेपी ने यहां पहली बार कमल खिलाया था.

BJP WON SHIMLA SEAT
सुरेश कश्यप ने विनोद सुल्तानपुरी को हराया (ईटीवी भारत)

शिमला: संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के सासंद सुरेश कश्यप ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी को हराया है. सुरेश कश्यप को 5,13,936 मत मिले. विनोद सुल्तानपुरी को 4,23,388 वोट मिले. वहीं, नोटा पर 5876 वोट पड़े. सुरेश कश्यप ने 90,548 मतों से जीत हासिल की है. खबर में दिया गया आंकड़ा चुनाव आयोग की जानकारी के अनुसार दिया गया है. फाइनल टेली के बाद ही सुरेश कश्यप की जीत का ऐलान होगा.

अर्की विधानसभा क्षेत्र से सुरेश कश्यप को लगभग 15,484 वोटों की लीड मिली है. यहां पर सुरेश कश्यप को 40,026 और विनोद सुल्तानपुरी को 24,542 वोट मिले हैं. इसी तरह सोलन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप को कुल 32,125 मत मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 27,109 मत मिले हैं. यहां पर भी 5,016 मतों की लीड सुरेश कश्यप को देखने को मिली है. इसी तरह कसौली विधानसभा क्षेत्र के सभी टेबलों की गणना के दौरान सुरेश कश्यप को यहां से 3,360 मतों की लीड मिली है. कसौली से ही विनोद सुल्तानपुरी विधायक भी हैं. यहां पर बीजेपी को 27,737 और कांग्रेस को 24,377 मिले हैं. 2009 से ये सीट बीजेपी के पास है. इस बार कांग्रेस यहां ढेर हो गई है. 2009 में बीजेपी ने यहां पहली बार कमल खिलाया था.

बीजेपी की जीत का कारण

वरिष्ठ पत्रकार ओपी वर्मा ने कहा कि बीजेपी ने हाटी समुदाय को जनजातिय समुदाय का दर्जा दिलाने के लिए पहल की थी. इसका फायदा बीजेपी को मिला. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल का प्रभाव सोलन-सिरमौर दोनों जिलों में है. बिंदल सोलन और सिरमौर जिलों से विधायक रहे हैं. ऐसे में पहुंच भी शिमला में बीजेपी के काम आई. कांग्रेस के लिए हिमाचल में जिस तरह से प्रदेश के नेताओं ने प्रचार किया था, उस तरह कांग्रेस के प्रदेशिक नेता प्रचार में एक्टिव नहीं दिखे. सीएम-डिप्टी सीएम दोनों उपचुनावों में ज्यादा व्यस्त दिखे. कैंपेन के दौरान ऐसा लगा कि दोनों की लोकसभा चुनावों में कोई रूचि नहीं है. इस सीट पर पीएम मोदी की रैली में जुटी भीड़ ने भी बीजेपी में नई ऊर्जा का संचार किया है.

कौन हैं सुरेश कश्यप

23 मार्च, 1971 को सिरमौर जिले के पपलाहन में जन्मे सुरेश कश्यप वायु सेना में भी सेवाएं दे चुके हैं. वह लोक प्रशासन में एमफिल, अंग्रेजी और टूरिज्म में पोस्ट ग्रेजुएट, पब्लिक रिलेशंस एवं कम्युनिकेशंस मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमाधारक हैं. उनके पास बीएड की डिग्री भी है. 24 अप्रैल 1988 को सुरेश कश्यप एयर फोर्स में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे. इसके बाद साल 2004 में उन्होंने सेवानिवृत्त होने के बाद सियासत में कदम रखा. उन्होंने अपना राजनीतिक पारी का आगाज बीजेपी से किया. 2006 में सुरेश कश्यप भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष बने. इसके बाद उन्होंने सियासत में पलटकर नहीं देखा.

सुरेश कश्यप का राजनीतिक सफर

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने अपना राजनीतिक सफर बतौर बीडीसी सदस्य शुरू किया था. वह साल 2012 में पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुनकर आए. 2017 में वह दूसरी बार फिर इसी विस क्षेत्र से विधायक बने. उन्हें 2019 में लोकसभा के लिए चुना गया. जुलाई 2020 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल बीजेपी का अध्यक्ष भी बनाया. कोरोना काल में सुरेश कश्यप को दोबारा भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने सुरेश कश्यप को शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा का उम्मीदवार घोषित किया था. सुरेश कश्यप एक बार फिर से पार्टी के भरोसे पर खरे उतरे हैं.

राजनीति की भी क्वीन साबित हुई कंगना, छह बार के सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को चुनावी मैदान में दी पटखनी - Kangana Ranaut Won Election

शिमला: संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के सासंद सुरेश कश्यप ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी को हराया है. सुरेश कश्यप को 5,13,936 मत मिले. विनोद सुल्तानपुरी को 4,23,388 वोट मिले. वहीं, नोटा पर 5876 वोट पड़े. सुरेश कश्यप ने 90,548 मतों से जीत हासिल की है. खबर में दिया गया आंकड़ा चुनाव आयोग की जानकारी के अनुसार दिया गया है. फाइनल टेली के बाद ही सुरेश कश्यप की जीत का ऐलान होगा.

अर्की विधानसभा क्षेत्र से सुरेश कश्यप को लगभग 15,484 वोटों की लीड मिली है. यहां पर सुरेश कश्यप को 40,026 और विनोद सुल्तानपुरी को 24,542 वोट मिले हैं. इसी तरह सोलन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप को कुल 32,125 मत मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 27,109 मत मिले हैं. यहां पर भी 5,016 मतों की लीड सुरेश कश्यप को देखने को मिली है. इसी तरह कसौली विधानसभा क्षेत्र के सभी टेबलों की गणना के दौरान सुरेश कश्यप को यहां से 3,360 मतों की लीड मिली है. कसौली से ही विनोद सुल्तानपुरी विधायक भी हैं. यहां पर बीजेपी को 27,737 और कांग्रेस को 24,377 मिले हैं. 2009 से ये सीट बीजेपी के पास है. इस बार कांग्रेस यहां ढेर हो गई है. 2009 में बीजेपी ने यहां पहली बार कमल खिलाया था.

बीजेपी की जीत का कारण

वरिष्ठ पत्रकार ओपी वर्मा ने कहा कि बीजेपी ने हाटी समुदाय को जनजातिय समुदाय का दर्जा दिलाने के लिए पहल की थी. इसका फायदा बीजेपी को मिला. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल का प्रभाव सोलन-सिरमौर दोनों जिलों में है. बिंदल सोलन और सिरमौर जिलों से विधायक रहे हैं. ऐसे में पहुंच भी शिमला में बीजेपी के काम आई. कांग्रेस के लिए हिमाचल में जिस तरह से प्रदेश के नेताओं ने प्रचार किया था, उस तरह कांग्रेस के प्रदेशिक नेता प्रचार में एक्टिव नहीं दिखे. सीएम-डिप्टी सीएम दोनों उपचुनावों में ज्यादा व्यस्त दिखे. कैंपेन के दौरान ऐसा लगा कि दोनों की लोकसभा चुनावों में कोई रूचि नहीं है. इस सीट पर पीएम मोदी की रैली में जुटी भीड़ ने भी बीजेपी में नई ऊर्जा का संचार किया है.

कौन हैं सुरेश कश्यप

23 मार्च, 1971 को सिरमौर जिले के पपलाहन में जन्मे सुरेश कश्यप वायु सेना में भी सेवाएं दे चुके हैं. वह लोक प्रशासन में एमफिल, अंग्रेजी और टूरिज्म में पोस्ट ग्रेजुएट, पब्लिक रिलेशंस एवं कम्युनिकेशंस मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमाधारक हैं. उनके पास बीएड की डिग्री भी है. 24 अप्रैल 1988 को सुरेश कश्यप एयर फोर्स में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे. इसके बाद साल 2004 में उन्होंने सेवानिवृत्त होने के बाद सियासत में कदम रखा. उन्होंने अपना राजनीतिक पारी का आगाज बीजेपी से किया. 2006 में सुरेश कश्यप भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष बने. इसके बाद उन्होंने सियासत में पलटकर नहीं देखा.

सुरेश कश्यप का राजनीतिक सफर

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने अपना राजनीतिक सफर बतौर बीडीसी सदस्य शुरू किया था. वह साल 2012 में पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुनकर आए. 2017 में वह दूसरी बार फिर इसी विस क्षेत्र से विधायक बने. उन्हें 2019 में लोकसभा के लिए चुना गया. जुलाई 2020 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल बीजेपी का अध्यक्ष भी बनाया. कोरोना काल में सुरेश कश्यप को दोबारा भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने सुरेश कश्यप को शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा का उम्मीदवार घोषित किया था. सुरेश कश्यप एक बार फिर से पार्टी के भरोसे पर खरे उतरे हैं.

राजनीति की भी क्वीन साबित हुई कंगना, छह बार के सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को चुनावी मैदान में दी पटखनी - Kangana Ranaut Won Election

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