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लिमिट खत्म होने के बावजूद साल के अंत में फिर से 500 करोड़ का कर्ज ले रही सुखविंदर सरकार, अगली लिमिट से कटेगा एडवांस लोन - SUKHU GOVT TAKE LOAN

कांग्रेस सरकार को अपना खर्चा चलाने के लिए फिर से 500 करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ रहा है. इसको लेकर नोटिफिकेश जारी हुई है.

500 करोड़ का कर्ज ले रही सुखविंदर सरकार
500 करोड़ का कर्ज ले रही सुखविंदर सरकार (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 6 hours ago

शिमला: हिमाचल प्रदेश में कर्ज के मर्ज का इलाज नहीं सूझ रहा. आलम ये है कि मार्च से दिसंबर तक की 6200 करोड़ रुपये की लोन लिमिट खत्म हो चुकी है, लेकिन सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को अपना खर्च चलाने के लिए फिर से 500 करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ रहा है. इस बारे में सोमवार 16 दिसंबर को नोटिफिकेशन अपलोड की गई है. इस अधिसूचना के अनुसार कल यानी 17 दिसंबर को आरबीआई औपचारिक रूप से ऑक्शन करेगा और फिर 18 दिसंबर को ये रकम सरकार के खजाने में आ जाएगी.

बड़ी बात ये है कि लोन लिमिट खत्म होने के बाद ये 500 करोड़ रुपये एडवांस के रूप में लिए जा रहे हैं. ये रकम अगली लोन लिमिट से कट जाएगी. यानी अंतिम तिमाही के लिए केंद्र सरकार की तरफ से जो लोन लिमिट दी जाएगी, उसमें से ये 500 करोड़ कम हो जाएंगे. सरल शब्दों में कहें तो राज्य सरकार अपनी दिसंबर तक की 6200 करोड़ रुपये की लोन लिमिट खत्म होने के बाद एडवांस में पैसा कर्ज के रूप में ले रही है.

अधिसूचना
अधिसूचना (ETV Bharat)
अधिसूचना
अधिसूचना (ETV Bharat)

उदाहरण के लिए यदि केंद्र से जनवरी से मार्च 2025 तक की अंतिम तिमाही के लिए 1700 करोड़ रुपये की लिमिट सेंक्शन होती है तो ये 500 करोड़ रुपये कट जाएंगे और फिर सरकार मार्च 2025 तक महज 1200 करोड़ रुपये ही कर्ज ले सकेगी. उसके बाद अगली लिमिट सेंक्शन होगी. फिलहाल, राज्य सरकार के वित्त विभाग की तरफ से सचिव डॉ. अभिषेक जैन ने कर्ज की बाबत अधिसूचना जारी की है. अधिसूचना के अनुसार ये लोन 12 साल की अवधि के लिए होगा. इसे 18 दिसंबर 2036 तक चुकता करना होगा.

इससे पहले राज्य सरकार ने 30 नवंबर को भी 500 करोड़ रुपये के कर्ज की अधिसूचना जारी की थी. ये रकम 4 दिसंबर को राज्य सरकार के खजाने में आई थी. इसी साल में सुखविंदर सरकार ने नवंबर माह में 500 करोड़, अक्टूबर महीने में 700 करोड़ व सितंबर महीने में 600 करोड़ रुपये कर्ज लिया था. कर्ज को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों एक-दूसरे को दोषी बताते हैं.

भाजपा का आरोप है कि जितना कर्ज जयराम सरकार के पांच साल के कार्यकाल में लिया गया, उससे अधिक सुखविंदर सरकार ने अभी तक के कार्यकाल में ले लिया है. वहीं, सुखविंदर सरकार का आरोप है कि पूर्व की जयराम सरकार की वजह से हिमाचल की आर्थिक स्थिति खराब हुई है. आरोप-प्रत्यारोप के इस सिलसिले के बीच सत्य ये है कि हिमाचल पर मार्च 2025 तक 92 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज हो जाएगा और नए साल में ही हिमाचल कर्ज के मामले में एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को छू लेगा.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के स्कूलों में संविधान के मूल्य जानेंगे छात्र, सिलेबस में शामिल होगी संविधान से जुड़ी अध्ययन सामग्री

ये भी पढ़ें: नए साल में व्यवस्था परिवर्तन, क्लास वन व टू अफसरों को नहीं मिलेगी बिजली सब्सिडी

शिमला: हिमाचल प्रदेश में कर्ज के मर्ज का इलाज नहीं सूझ रहा. आलम ये है कि मार्च से दिसंबर तक की 6200 करोड़ रुपये की लोन लिमिट खत्म हो चुकी है, लेकिन सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को अपना खर्च चलाने के लिए फिर से 500 करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ रहा है. इस बारे में सोमवार 16 दिसंबर को नोटिफिकेशन अपलोड की गई है. इस अधिसूचना के अनुसार कल यानी 17 दिसंबर को आरबीआई औपचारिक रूप से ऑक्शन करेगा और फिर 18 दिसंबर को ये रकम सरकार के खजाने में आ जाएगी.

बड़ी बात ये है कि लोन लिमिट खत्म होने के बाद ये 500 करोड़ रुपये एडवांस के रूप में लिए जा रहे हैं. ये रकम अगली लोन लिमिट से कट जाएगी. यानी अंतिम तिमाही के लिए केंद्र सरकार की तरफ से जो लोन लिमिट दी जाएगी, उसमें से ये 500 करोड़ कम हो जाएंगे. सरल शब्दों में कहें तो राज्य सरकार अपनी दिसंबर तक की 6200 करोड़ रुपये की लोन लिमिट खत्म होने के बाद एडवांस में पैसा कर्ज के रूप में ले रही है.

अधिसूचना
अधिसूचना (ETV Bharat)
अधिसूचना
अधिसूचना (ETV Bharat)

उदाहरण के लिए यदि केंद्र से जनवरी से मार्च 2025 तक की अंतिम तिमाही के लिए 1700 करोड़ रुपये की लिमिट सेंक्शन होती है तो ये 500 करोड़ रुपये कट जाएंगे और फिर सरकार मार्च 2025 तक महज 1200 करोड़ रुपये ही कर्ज ले सकेगी. उसके बाद अगली लिमिट सेंक्शन होगी. फिलहाल, राज्य सरकार के वित्त विभाग की तरफ से सचिव डॉ. अभिषेक जैन ने कर्ज की बाबत अधिसूचना जारी की है. अधिसूचना के अनुसार ये लोन 12 साल की अवधि के लिए होगा. इसे 18 दिसंबर 2036 तक चुकता करना होगा.

इससे पहले राज्य सरकार ने 30 नवंबर को भी 500 करोड़ रुपये के कर्ज की अधिसूचना जारी की थी. ये रकम 4 दिसंबर को राज्य सरकार के खजाने में आई थी. इसी साल में सुखविंदर सरकार ने नवंबर माह में 500 करोड़, अक्टूबर महीने में 700 करोड़ व सितंबर महीने में 600 करोड़ रुपये कर्ज लिया था. कर्ज को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों एक-दूसरे को दोषी बताते हैं.

भाजपा का आरोप है कि जितना कर्ज जयराम सरकार के पांच साल के कार्यकाल में लिया गया, उससे अधिक सुखविंदर सरकार ने अभी तक के कार्यकाल में ले लिया है. वहीं, सुखविंदर सरकार का आरोप है कि पूर्व की जयराम सरकार की वजह से हिमाचल की आर्थिक स्थिति खराब हुई है. आरोप-प्रत्यारोप के इस सिलसिले के बीच सत्य ये है कि हिमाचल पर मार्च 2025 तक 92 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज हो जाएगा और नए साल में ही हिमाचल कर्ज के मामले में एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को छू लेगा.

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