शिमला: हिमाचल में अवैध शराब की बिक्री पर सरकार सख्त हो गई है. इस दिशा ने सुक्खू सरकार के कड़े कदम उठाए हैं. प्रदेश में अब अवैध, गुणवत्ताहीन, जहरीली शराब पकड़े जाना काफी महंगा पड़ेगा. ऐसे मामले सामने आने पर अब संपत्ति जब्त होगी. इसके साथ ही सरकार ने कानून में पांच साल तक की कैद और पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान किया है. इसको लेकर गुरुवार को विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदन में हिमाचल प्रदेश आबकारी संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित किया गया. इसके अलावा ये व्यवस्था भी की गई है कि आबकारी विभाग में सेकंडमेंट आधार पर कमांडो फोर्स तैनात की जाएगी.
मुख्यमंत्री ने लाया प्रस्ताव
हिमाचल में अवैध शराब की बिक्री पर नकेल कसने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में विधेयक पारित करने का प्रस्ताव रखा. ये कानून उन पर लागू होगा, जो किसी भी प्रकार की शराब का उत्पादन और विनिर्माण का अधिकार रखता हो या आयात, निर्यात और परिवहन करता हो. शराब निर्माण या उत्पादन के प्रयोजन के लिए कोई भी सामग्री, भट्ठी, उपकरण आदि चाहे जैसा भी हो, इसका उपयोग करता है, अपराध के लिए कैद की अवधि तीन से पांच वर्ष और जुर्माना 50 हजार से पांच लाख रुपये तक होगा.
हिमाचल बना देश का पहला राज्य
सदन में विधेयक पारित होते ही हिमाचल अवैध, गुणवत्ताहीन और जहरीली शराब पकड़े जाने पर एक्साइज एक्ट के तहत संपत्ति जब्त करने वाला अब देश का पहला राज्य बन गया है. अन्य राज्यों में पुलिस एक्ट के तहत यह कार्रवाई होती है. हिमाचल सरकार ने अब मामले को संज्ञेय अपराध भी बना दिया है. आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संज्ञेय अपराध की परिभाषा ऐसे अपराध के रूप में की गई है, जिसमें गिरफ्तारी के लिए किसी वारंट की जरूरत नहीं होती. इस प्रकार के मामलों को गैर जमानती भी बना दिया गया है.
सुंदरनगर में जहरीली शराब से हुई थी 8 मौतें
विधेयक पारित करने का प्रस्ताव करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पहले ऐसे अपराध पर सख्त कानून नहीं था. जिसका फायदा उठाया जाता है. सुंदरनगर में तो जहरीली शराब से आठ मौतें हो गई और कुछ लोगों की नजर चली गई. अब संपत्ति जब्त करने और पेनल्टी में बढ़ोतरी का भी प्रावधान किया जा रहा है, ताकि हिमाचल में इस तरह की अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लग सके.
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